खारा पानी से तंग आ चुके हैं नगीना वासी, कब नसीब होगा मीठा पानी

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खारा जल की जलापूर्ति की वजह से जनता के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव
खारा जल पीने को मजबूर है नगीना वासी

City24news/अनिल मोहनियां
 नूंह| कस्बा नगीना में जन स्वास्थ्य व अभियांत्रिकी विभाग के द्वारा उपलब्ध करवाए जाने वाला पेयजल खारा होने की वजह से जनता में विभाग के प्रति आक्रोश व्याप्त है।सर्व जातीय सेवा समिति के उपाध्यक्ष व समाजसेवी रजत जैन, मूलचंद शर्मा ने बताया की सरकार व प्रशासन जनता को स्वच्छ, साफ,निर्मल पेयजल उपलब्ध कराने के दावे करती है। लेकिन ये दावे कस्बा नगीना में खोखले साबित हो रहे हैं। क्योंकि कस्बा में विभाग के द्वारा पेयजलापूर्ति खारे जल की जा रही है। पेयजल खारा होने की वजह से रसोई सम्बंधित दैनिक कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।वही इस जल के उपयोग करने की वजह से जनता के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।खारा जल के सेवन की वजह से आंत्रशोध( पेट से संबंधित) रोग होने के साथ-साथ चर्म रोग से सम्बन्धित दाद, खाज, खुजली के मरीज भी दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं। धनाढ्य वर्ग के व्यक्ति तो 10 या 20 रुपये का दैनिक एक डिब्बा (केम्पर) मीठे जल का मंगा कर अपना कार्य चला लेते हैं या 800 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक का निजी टैंकर मंगाकर जीवन यापन करने को मजबूर है।लेकिन गरीब जनता के सामने विभाग के द्वारा उपलब्ध कराऐ जाने वाले जल के उपयोग करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है।कस्बावासियों की सरकार से मांग है की कस्बा में सुचारू रूप से स्वच्छ साफ,निर्मल मीठा पेयजलापूर्ति दैनिक रूप से की जाए। जिससे कि जनता अनावश्यक होने वाली परेशानियों व बीमारियों से बच सकें। क्या कहते है चिकित्सा अधिकारी : वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी फिरोजपुर झिरका के चिकित्सक कृष्ण कुमार ने बताया कि खारे जल में सोडियम क्लोराइड की मात्रा अधिक होने की वजह इसमें हानिकारक तत्व भी अधिक होते हैं जिसके उपयोग करने से मनुष्य पर शारीरिक रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है इससे पेट से संबंधित कई रोग हो जाते हैं और पाचन क्रिया भी प्रभावित होती है। चर्म रोग ,नेत्र रोग, दंत रोगों के होने की भी संभावना प्रबल रहती है इससे पथरी होने का भी खतरा भी हो जाता है जल में नमक की मात्रा अधिक होने की वजह से रक्तचाप भी अनियंत्रित हो जाता है ।इसके अलावा कई अन्य गंभीर रोगों के होने की संभावना भी बनी रहती है। व्यक्ति को खारे पानी के उपयोग से बचना चाहिए।

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