जसप्रीत बुमराह को पछाड़कर किसने कब्जा किया पर्पल कैप

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City24news@दीपिका 

मुंबई। मैदान में बेहद शांत दिखने वाले सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) के तेज गेंदबाज टी नटराजन  ने इंड‍ियन प्रीम‍ियर लीग 2024 में पर्पल कैप पर कब्जा कर लिया है।  दरअसल, नटराजन ने पर्पल कैप होल्डर की रेस में दिग्गज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को पछाड़ा है। मौजूदा आईपीएल का 50वां मैच हैदराबाद में 2 मई को खेला गया।  इस मैच में सनराइजर्स हैदराबाद ने आख‍िरी गेंद पर राजस्थान रॉयल्स को 1 रन से मात दी। हैदराबाद की जीत के हीरो भुवनेश्नर कुमार रहे, ज‍िन्होंने आख‍िरी गेंद पर रोवमैन पॉवेल को LBW आउट कर राजसथान को जीत दिलाई सनराइजर्स हैदराबाद के लिए टी नटराजन ने भी शानदार गेंदबाजी करते हुए 4 ओवरों में 35 रन देते हुए 2 विकेट हास‍िल किए।  इसके साथ ही नटराजन इस आईपीएल में इस आईपीएल में फ‍िलहाल सबसे ज्यादा 15 विकेट लेने वाले गेंदबाज बन गए हैं।  नटराजन ने 8 मैचों में 19.13 के एवरेज और 8.96 की इकोनॉमी रेट से ये विकेट लिए है। नटराजन के बाद जसप्रीत बुमराह (14 विकेट), मुस्ताफ‍िजुर रहमान (14 विकेट) हैं. वहीं, हर्षल पटेल, मथीशा पथ‍िराना, युजवेंद्र चहल, अर्शदीप सिंह, गेराल्ड कोएत्जे, मुकेश कुमार हैं, जिनके संयुक्त रूप से 13 विकेट हैं.  

नेट बॉलर बनकर किया था डेब्यू 

33 साल के नटराजन ने 2020-21 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर तीनों फॉर्मेट में में भारत की ओर से डेब्यू किया था।.यॉर्कर मैन’ के नाम से अपनी छाप छोड़ चुके  नटराजन ने ब्रिस्बेन के गाबा स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया। ऑस्ट्रेलिया के साथ हुई सीमित ओवरों की सीरीज में खेल चुके नटराजन को नेट बॉलर के तौर पर ऑस्ट्रेलिया लाया गया था, लेकिन किस्मत उनका साथ देती गई और उनके लिए नए दरवाजे खुलते गए। रव‍ि शास्त्री ने तब उनकी खूब तारीफ की थी और उनको डेथ ओवर्स का स्पेशल‍िस्ट तक कहा था. आईपीएल 2022 की नीलामी में नटराजन को सनराइजर्स की टीम ने चार करोड़ रुपए में खरीदा था। 

नटराजन के पिता थे हाड़ी मजदूर  

पांच बच्चों में सबसे बड़े थंगारासु नटराजन एक साधारण पृष्ठभूमि से हैं. उनके पिता एक साड़ी निर्माण इकाई में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे, जबकि उनकी मां सड़क के किनारे स्टॉल लगाती थीं. ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में नटराजन और उनके परिवार को पैसो की दिक्कत का का सामना करना पड़ा. यहां तक उनको शिक्षा के लिए नोटबुक और पेंसिल जैसी बुनियादी चीजों का खर्च उठाने के लिए संघर्ष करना पड़ता था। 

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