निजी स्कूलों की कबाड़ बसों में देश के भविष्य के जीवन से हो रहा खिलवाड़

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City24news@हरिओम भारद्वाज

होडल | उपमंडल होडल में स्थित सैकड़ो निजी स्कूलों के खटारा वाहनों में देश का भविष्य मासूम बच्चे सफर करने को मजबूर हैं। स्कूल संचालकों द्वारा खटारा बसों ,सुमो, टवेरा , ईको आदि गाड़ियों में बच्चों को स्कूल लाने ले जाने के कार्य पर लगाकर मोटा मुनाफा वसूल जा रहा है । इसके अलावा स्कूल संचालक सरकार को चूना लगाने का काम कर रहे हैं बता दें कि क्षेत्र होडल में सैकड़ो की संख्या में प्राइवेट स्कूल है अधिकांश स्कूलों में बच्चों को लाने ले जाने के लिए कबाड़ हो चुकी बसें और प्राइवेट रजिस्ट्रेशन की सरकार द्वारा समय सीमा अवधि खत्म हो चुकी गाड़ियां लगाई हुई है।  इन गाड़ियों में स्कूली बच्चों को घर से स्कूल लाने व घर ले जाने के एवज में अभिभावकों से हजारों रुपए वसूल किए जाते हैं। परंतु इन गाड़ियों में सुविधाओं के नाम पर ठीक से बैठने की जगह भी नहीं होती । इन वाहनों में सुरक्षा के उपकरण भी नहीं होते। इन वाहनों बच्चों को वाहनों की क्षमता से अधिक बिठाकर लाने ले जाने का कार्य किया जाता है। इन बसों पर ना तो कोई हेल्पलाइन नंबर लिखा होता है ना ही स्कूल का नाम ना ही कोई इमरजेंसी और हेल्पलाइन नंबर। यह खटारा हो चुकी गाड़ियां होने के कारण रास्ते में कहीं पर भी खराब होकर खड़ी हो जाती हैं । इन गाड़ियों के ड्राइवर बच्चों की परवाह न करते हुए खतरनाक ड्राइविंग करते हुए नजर आते हैं। बहुत से स्कूलों में बसों पर ड्राइवर के साथ अन्य कोई भी हेल्पर बच्चों को उतारने वह चढ़ाने के लिए नहीं होता है। ऐसा ही एक मामला बीते दिन रोड पर चलती हुई एक बस में देखने को मिला जिस स्कूल बस में उसके  शीशे तक टूटे हुए थे उसमे ना तो ब्रेक लाइट थी ना ही इंडीकेटर। आ बस में शीशे की जगह पर कुछ भी नहीं था और बच्चे इधर-उधर झांक रहे थे। ऐसी बसों में बच्चों को बिठाकर लाने ले जाने के कारण उनके जीवन के साथ खिलवाड़ हो रहा है। स्कूल संचालकों की मनमर्जी के कारण कभी भी कोई बड़ा हादसा क्षेत्र होडल में ऐसी कबाड़ बसों के कारण हो सकता है।और ऐसा प्रतीत होता है जैसे प्रशासन आंखें मूंदे शायद किसी बड़े हादसे का होने का ही इंतजार कर रहा है या फिर ऐसा कहे की प्रशासनिक अधिकारी और स्कूल संचालको की सांठ गांठ के कारण ही बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारी इन स्कूलों के कार्यक्रमों में बतौर अतिथि उपस्थित होते रहते है और बड़े बड़े उपहार उन्हे मिलते रहते है शायद इस कारण भी लगता है ऐसे स्कूलों पर कोई कार्यवाही अमल में नही लाई जाती। क्षेत्र की सड़कों पर दौड़ती ऐसी गाड़ियां सालों से दौड़ रही है पर प्रशासनिक अधिकारियों को यह कभी नजर नहीं आती। 

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