परंपरागत खेती को छोड़कर किसान कर रहे बागवानी खेती

0

City24news@ज्योति खंडेलवाल

पलवल | पलवल जिले के किसानों का रुझान अंगूर की खेती की तरफ बढ़ने लगा है। पलवल के शमशाबाद निवासी प्रोग्रेसिव फार्मर प्रवन सैनी अंगूर की खेती कर लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे है। पवन सैनी ने अपने खेतों पर नर्सरी तैयार कर अंगूर की विभिन्न प्रकार की वैरायटी के पौधे तैयार किए है और किसानों को अंगूर की खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे है।

 प्रोग्रेसिव फार्मर अनीता ने बताया कि एक एकड़ में अंगूर की खेती कर रहे है। अंगूर की एक बेल से पंद्रह किलोग्राम अंगूर प्राप्त हो रहा है। उन्होंने अंगूर की रेड फ्लेम,रेड गलोब,पूसा परमल शीड लैस,माझरी नवीन,ब्यूटी सीडलेस और शरद सीडलेस,परलेट,क्लोन टैस ए गणेश,सोनाका और माणिक चमन आदि शामिल है। रोपाई से पूर्व मिट्टी का जांच करवाऐं। अच्छी क्वालिटी के पौधे तैयार करें। समय पर बेलों की छंटाई करें। खाद एवं उर्वरक दें ताकि फल की गुणवत्ता में सुधार आए। उन्होंने बताया कि फल के साथ साथ अंगूर से निकलने वाले जूस की वैरायटी भी तैयार की गई है। जिनमें नवरंग और मेडिका शामिल है। जिसका जूस बहुत टेस्टी होती है। जो हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। उन्होंने बताया कि नर्सरी में बेलों से कलम तैयार की जाती है। जो जनवरी में तैयार होती है। जून महीने में सप्लाई शुरू कर सकते है। अंगूर की विभिन्न वैरायटी की बाजार में अच्छी डिमांड होती है। उन्होंने बताया कि अंगूर की खेती उनके लिए लाभदायक है। इस खेती को ओर बढ़ाने का काम शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि एक एकड़ से लाखों रुपए का मुनाफा हो रहा है।

प्रोग्रेसिव फार्मर प्रावीन सैनी ने बताया कि पिछले चार पांच वर्षों से अंगूर की खेती कर रहे है। उत्तर भारत में होने वाली अंगूर की 20 प्रकार की वैरायटी नर्सरी में तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि उत्तर भारत के किसान अंगूर की खेती कर सकते है। इस खेती को किसान आसानी से कर सकते है और अच्छा प्रोडक्शन ले सकते है। उन्होंने बताया कि किसान अंगूर की विभिन्न वैरायटी के साथ साथ नर्सरी तैयार कर अच्छा प्रॉफिट भी प्राप्त कर सकते है। अंगूर की वैरायटी का बाजार में अच्छा रेट मिल जाता है। उन्होंने बताया कि हमारे यहां जब अंगूर की फसल तैयार हो जाती है उस वक्त महाराष्ट्र से आने वाला अंगूर कम हो जाता है। ऐसे में किसानों को बाजार में अच्छा भाव मिल जाता है। उन्होंने बताया कि जो अंगूर अपने खेतों पर तैयार करते है वह बेहतर क्वालिटी का होता है। अंगूर की क्रॉप बंद होने पर नर्सरी में तैयार पौधों को बेचने का काम किया जाता है जिससे आमदनी में लाखों रुपए का इजाफा होता है। मंजरी नवीन अंगूर महाराष्ट्र में उत्पादन होने वाले अंगूर के साथ मैच होता है। जिसका प्राइस 100 रूपए किलोग्राम तक मिलता है। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि अंगूर की खेती करें।

जिला बागवानी अधिकारी डॉ. अब्दुल रज्जाक ने बताया कि उत्तर भारत में अंगूर की खेती किसानों के लिए लाभदायक साबित हो रही है। बागवानी विभाग हरियाणा द्वारा अंगूर की खेती को बढ़ावा देने के लिए फिलहाल 2 नर्सरी का पंजीकरण किया है। जिसमें पलवल फ्रूट नर्सरी भी शामिल है। नर्सरी में अंगूर की पौध तैयार की जा रही है। अंगूर की विभिन्न प्रकार की किस्में उगाई जा रही है। उत्पादन भी अच्छा हो रहा है। बाजार में अंगूर की मांग लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि पलवल जिले में अंगूर की खेती करने वाले किसान का प्रोजेक्ट तैयार कर सब्सिडी के लिए विभाग के पास भेजा जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *