गेहूं में पीले रतुए के लक्षण दिखते ही करें उपचार : उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा

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City24news/अनिल मोहनिया
नूंह । उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा ने जिला के किसानों से कहा कि गेहूं की फसल में पीले रतुए की रोकथाम के लिए 200 मिलीलीटर प्रोपिकोनाजोल (टिल्ट) 25 प्रतिशत ईसी को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे या फिर इसके वैकल्पिक तौर पर 800 ग्राम जिनेब (डाईथेन जेड-78) या मैनकोजेब (डाईथेन एम-45) को 250 लीटर पानी में मिलाकर भी छिडक़ाव कर सकते हैं। बाद में 10 से 15 दिन के अंतर से 2 या 3 छिडक़ाव और करें।

उन्होंने बताया कि पीला रतुआ फंगस से होने वाला रोग है, यदि समय रहते खेत में इस रोग की पहचान कर ली जाए तो इसका नियंत्रण सुनियोजित प्रकार से किया जा सकता है। प्रारंभिक पत्तों की ऊपरी सतह पर पीले रंग के छोटे-छोटे धब्बे दिखना इस रोग का शुरुआती लक्षण है। समय के साथ यह पीले धब्बे पाउडर नुमा धारियों में तब्दील हो जाते हैं। पत्तियों को छूने पर पीले रंग का हल्दी जैसा पाउडर हाथों पर लग जाता है। यह पीला पाउडर असल में कवक बीजाणु होते हैं जो रोग को स्वस्थ पौधों तक फैलाने का कार्य करते हैं। तापमान बढ़ते ही पत्ते का निचला हिस्सा काला पड़ने लगता है। रोगग्रस्त पौधे की पत्तियां सूख जाती है और अंतत: पौधा संभावित उपज नहीं दे पाता। खेतों में इस रोग का संक्रमण छोटे गोलाकर क्षेत्र से शुरू होता है जो धीरे-धीरे पूरे खेत में फैल जाता है। इस मौके पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डॉ. विरेन्द्र देव आर्य ने किसानों से आह्वान किया है कि वे कृषि विभाग द्वारा गेहूं की फसल में पीले रतुआ की रोकथाम के लिए सुझाव गए उपायों की पालना करें, ताकि उनकी फसल सुरक्षित रह सके।

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