श्रीमद् भागवत महापुराण के पचवें दिन भक्तों ने लिया कृष्ण लीलाओं व गोवर्धन पूजा का आनंद

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City24news/सुमित गोयल
बल्लभगढ़ | श्री सियाराम हनुमान मंदिर सभा द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण के पंचम दिवस कथावाचिका सुश्री कृष्ण व्यास जी ने भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला का वर्णन सुनाया. उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के पैदा होने के बाद कंस ने उनको मौत के घाट उतारने के लिए अपनी राज्य की सर्वाधिक बलवान राक्षसी पूतना को गोकुल गांव भेजता है। पूतना वेश बदलकर भगवान श्रीकृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है।लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने पूतना को मौत के घाट उतार दिया।उन्होंने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जब भोले बाबा कृष्ण जी के मनमोहक छवि के दर्शन करने आए तो यशोदा मैया ने नजर लगने के डर से लला के दर्शन नहीं कराए।लेकिन सभी देवताओं के समझाने पर मैया ने सभी को लाला के दर्शन कराए।उन्होंने कहा कि जब दोनों बालकों का नामकरण हुआ तो बड़े भाई का नाम बलराम रखा गया ओर छोटे भाई का नाम कृष्ण रखा गया ।कथा व्यास जी ने भगवत भक्तों को कृष्ण की बाल लीलाओं के बारे में बताते हुए माखन चोरी का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक बार माखन चोरी करते हुए कान्हा ने दर्पण में अपनी छवि को देखते हुए मैया से कहा कि देखो ये गांव का छोरा माखन की चोरी कर रहा है जिसको देखकर ओर कान्हा की बात सुनकर खूब खुश होती है।उन्होंने कहा कि कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने की तैयारी करते हैं. भगवान कृष्ण द्वारा उनको भगवान इंद्र की पूजन करने से मना करते हुए गोवर्धन महाराज की पूजन करने की बात कहते हैं. इंद्र भगवान उन बातों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं. वह अपने क्रोध से भारी वर्षा करते हैं. जिसको देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं. भारी वर्षा को देख भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर पूरे नगरवासियों को पर्वत के नीचे बुला लेते हैं. जिससे हार कर इंद्र एक सप्ताह के बाद वर्षा को बंद कर देते हैं. जिसके बाद ब्रज में भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाने लगते हैं। मौके पर भगवान को छप्पन भोग लगाया गया।

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