तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का मोक्ष कल्याणक दिवस व प्रकाशोत्सव धूमधाम से मनाया।

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City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धर्म अनुयायी प्रकाशोत्सव मानते हैं। जैन धर्म धर्म के अनुयायीयो ने भी पूर्ण हर्षोल्लास के साथ प्रकाशोत्सव मनाया । सर्वजातीय सेवा समिति के उपाध्यक्ष रजत जैन ने बताया की 2552 वर्ष पूर्व कार्तिक माह की अवामावस्य को प्रातःकाल जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी को निर्वाण (मोक्ष)प्राप्त हुआ था।रजत ने बताया कि भगवान महावीर स्वामी के प्रथम गणधर गौतम स्वामी को 2552, वर्ष पूर्व, ईसा पूर्व 527, में संध्याकालीन समय में केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी।गौतम स्वामी को केवल ज्ञान की प्राप्ति होने की अपार खुशी में जैन धर्म के अनुयायी प्रकाशोत्सव (दीपावली)का पर्व मानते हैं। जिनेंद्र प्रभु से की प्रार्थना:- तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी को मोक्ष लक्ष्मी की प्राप्ति हुई थी।ओर भगवान महावीर स्वामी के प्रथम गणधर गौतम स्वामी को केवल ज्ञान प्राप्त हुआ था । जैन धर्म में लक्ष्मी का अर्थ निर्वाण से है। गणधर गौतम स्वामी को केवल ज्ञान रूपी सरस्वती प्राप्त हुई थी । इसलिए जैन धर्म में लक्ष्मी- सरस्वती का पूजन किया जाता है। जैन धर्म में लक्ष्मी पूजन में धन पूजन की कोई मान्यता नहीं है।जिनेन्द्र प्रभु से ब्रह्मांड की सुख,शांति,समृद्धि, उन्नति, खुशहाली, संप्रभुता,मंगल की कामना की।जिससे की जगत के प्रत्येक प्राणिमात्र भयमुक्त व खुशहाल रह सके। देश की एकता व अखंडता के लिए भी की विशेष प्रार्थना। शुभकामनाएं देकर की मंगल कामना:-रजत ने बताया की कस्बा में सामाजिक कार्यकर्ताओं, व्यापारियों, राजनेता, धार्मिक व्यक्तियों,आमजन ने एक दूसरे के घर, प्रतिष्ठानों,पर जाकर जय जिनेंद्र, राम राम कर दीपावली की शुभकामनाएं देकर एक दूसरे के मंगल की कामना परमपिता परमात्मा से की।

निर्वाण लाडू चढ़ाया :- श्री चंद्र प्रभु दिगंबर जैन मंदिर नगीना में भगवान महावीर स्वामी के 2552 वां निर्वाण दिवस पर प्राणी मात्र के कल्याण के निमित्त भावना के साथ निर्वाण लाडू चढ़ाया।

मंदिरों में किये दीप प्रज्वलित:- महिलाओं ने सोलह श्रंगार कर परिजनों के साथअपने घरों, प्रतिष्ठान,सभी चौराहों, व समस्त मंदिरों में आस्था व श्रद्धा के दीप प्रज्वलित कर धरा को स्वर्गमय बना दिया। इस अंधेरी रात को प्रकाशमय रात्रि में परिवर्तित कर प्रकाशवान कर दिया।

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