गाँधीग्राम घासेड़ा में मनाया गया मेवात दिवस, मुख्य अतिथि चौधरी ताहिर हुसैन एडवोकेट रहे

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मरहूम चौधरी मौo यासीन खाँ व प्रमुख लोगों के आह्वान पर 19 दिसंबर,1947 को घासेड़ा आए थे महात्मा गाँधी: चौधरी ताहिर हुसैन 
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | बृहस्पतिवार को ऐतिहासिक गाँव गाँधीग्राम घासेड़ा में शहीद हसन खाँ मेवाती स्मारक समिति के सदस्य आस मौo पहलवान व समस्त ग्रामवासियों द्वारा मेवात दिवस समारोह मनाया गया, जिसमें मुख्य अतिथि इनेलो नेता चौधरी ताहिर हुसैन एडवोकेट रहे तथा समारोह की अध्यक्षता इमरान सरपंच घासेड़ा ने की। समारोह बहुत शानदार रहा जिसमें ईलाके के सैंकडों गणमान्यों व काफी संख्या में ग्रामवासियों ने शिरकत की। 

समारोह में मुख्य अतिथि चौधरी ताहिर हुसैन का फूलमालाओं व पगड़ी बाँधकर स्वागत किया गया। समारोह के समापन के बाद चौधरी ताहिर हुसैन व अन्य सभी ने गाँधीग्राम घासेड़ा में स्थित गाँधी पार्क पर पहुंचकर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की मूर्ति पर माला पहनाकर उन्हें ख़िराज-ए-अकीदत (श्रद्धांजलि) पेश की। 

चौधरी ताहिर हुसैन ग्रामवासियों को संबोधित करते हुए सभी मेवातवासियों को मेवाती-दिवस का मुबारक़बाद व बधाई दी। उन्होंने कहा कि बंटवारे के समय आज ही के दिन 19 दिसंबर, 1947 को बाबा-ए-कौम मरहूम चौधरी मौo यासीन खाँ व अन्य मेवात के प्रमुख लोगों के आह्वान पर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी ऐतिहासिक गाँव गाँधीग्राम घासेड़ा आए थे और उन्होंने मेवातियों को पाकिस्तान जाने से रोकने की अपील करते हुए कहा था कि यह देश आप लोगों का है। आपके अधिकारों को कोई नहीं छीन सकता। आपको पूरा मान-सम्मान मिलेगा। उन्होंने कहा था कि मेव हिंदुस्तान की रीढ़ हैं। हिंदुस्तान पर जितना हक़ औरों का है उतना आप लोगों का भी है। उनके आह्वान पर मेवातियों ने अपने देश हिंदुस्तान को चुना था। पाकिस्तान ना जाने का फैसला किया और हिंदुस्तान अपनी मातृ भूमि को ही अपना देश माना था।

 हुसैन ने कहा कि देश को जब-जब भी कुर्बानियों की जरूरत पड़ी तो हर मेवाती ने देश की आजादी के लिए समय-समय पर बढ़ चढ़कर कुर्बानियाँ दी हैं। ये शहीदों की धरती है। आज भी रूपड़ाका, शाहपुर नंगली, फिरोजपुर झिरका, बड़कली चौक आदि दर्जनभर जगहों पर शहीदों की याद में “शहीद स्मारक” बने हुए हुए हैं, जो हमेशा शहीदों की याद दिलाते रहेंगे। 

   उन्होंने लोगों से खासतौर पर नौजवान साथियों से अपील करते हुए कहा कि हमें इतिहास को पढ़ना चाहिए कि हमारे पूर्वजों ने देश के लिए कैसी-कैसी कुर्बानियाँ दी हैं। उनके पदचिन्हों और उनके द्वारा दिखाए हुए रास्ते पर चलकर ही हम उन्हें ख़िराज-ए-अकीदत पेश कर सकते हैं। हमें अपने पूर्वजों की तरह ही अपने अंदर देशभक्ति की भावना को पैदा करना है। 

    इस अवसर पर हिदायत कमांडो, हाजी धूंदी, हाजी शौकत, भब्बल कुरैशी, नौमान, अंसार कुरेशी, आजाद, अरसद बाझड़का, ईसब सलंबा, अब्दुल रहमान सलंबा, नसीमा, शबनम, रिजवान, वसीम आदि के अलावा सैंकडों गणमान्य मौजूद रहे।

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