बाल विवाह न करें, इसे रोकने के लिए समाज में जागरुकता जरूरी- अतिरिक्त उपायुक्त
City24news@अनिल मोहनियां
नूंह | अतिरिक्त उपायुक्त प्रदीप सिंह मलिक ने कहा कि बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है। इसके खिलाफ हमें मिलकर लडऩा चाहिए। बाल विवाह जैसे मामले रोकने के लिए समाज में भी सजगता व जागरुकता जरूरी है और जनता से भी सहयोग अपेक्षित है, ताकि इस सामाजिक बुराई को जड़ से खत्म किया जा सके। उन्होंने लोगों से भी अपील की कि वे अपने बच्चों की शादी लडक़े की आयु 21 वर्ष व लडक़ी की आयु 18 वर्ष होने पर ही करें।
अतिरिक्त उपायुक्त ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि जिला प्रशासन की तरफ से सभी लोगों से अपील की जाती है कि अगर वे अपने आसपास बाल विवाह के मामले देखते हैं, जहां पर बाल विवाह होने के आसार हैं, या फिर बाल विवाह हो रहा है तो वे इसकी सूचना जिला प्रशासन या पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को जरूर दें। ऐसे मामलों पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी तथा बाल विवाह को रूकवाया जाएगा। अभी हाल ही में नेशनल कमीशन द्वारा एक बैठक में इस बारे जरूरी दिशा-निर्देश दिए थे। उन्होंने लोगों का आह्वïान किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में सुनिश्चित करें कि अगर उन्हें ऐसे बच्चे या बच्चियां मिलती हैं, जो कम उम्र में स्वयं, पारिवारिक या सामाजिक दबाव में शादी करते हैं तो उनकी फिजिकल काउंसलिंग की जाए और उनके अभिभावकों को समझाया जाए तथा इसकी सूचना जिला प्रशासन के अधिकारियों या फिर डायल-112 पर दें। ऐसी शिकायत करने पर शिकायतकर्ता का नाम गोपनीय रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में एमडीडी ऑफ इंडिया (शक्ति वाहिनी) नूंह के द्वारा भी बाल विवाह को लेकर जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। इस संदर्भ में जिला प्रशासन की तरफ से बहुत से सरकारी कार्य किए हैं।
इस बारे में महिला संरक्षण अधिकारी मधु जैन ने बताया कि पिछले एक साल में बाल विवाह के प्रति जागरुकता लाने के लिए करीब 60 अवेयरनेस प्रोग्राम आयोजित किए गए हैं। रूटीन में जो शिकायत आती है, उन पर तुरंत कार्रवाई की जाती है। पिछले एक साल में 23 शिकायतें उनके पास आई, जिनमें से 15 चाइल्ड मैरिज से संबंधित थी, जिस पर कार्यवाही करते हुए उन्हे रूकवाया गया और काउंसलिंग की गई। दो मामलों में एफआईआर दर्ज करवाई गई है, इसके अलावा छह शिकायतों में वर-वधु बालिग पाए गए।