भारी ओलावृष्टि से गेहूं और सरसों की फसल हुई चौपट: अशरफ मेवाती
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ओलावृष्टि ने फेरा किसानों की उम्मीद पर पानी
City24news/अनिल मोहनिया
नूँह | नूँह क्षेत्र के गाँव टाँई,अड़बर,सालाहेड़ी,हुसैनपुर,सतपूतियाका,रायपुरी,धांधूका,मन्नाकी,सलम्बा, घासेड़ा,शाहपुर नँगली,खेड़ला,जोगीपुर निजामपुर, मालब मुरादाबास,ऊँटका आदि में कल रात हुई भारी ओलावृष्टि के कारण हुए नुकसान से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। टाँई गांव के किसान अशरफ मेवाती ने बताया कि हम कल शाम को ही योजना बना रहे थे कि कल सुबह अपनी सरसों की फसल की कटाई शुरू करेंगे लेकिन क़ुदरत को कुछ और ही मंजूर था।उन्होंने अपने खेतों की सरसों व गेहूं की फसल के फोटो भेजते हुए कहा कि सरसों की पकी हुई फसल में 90% तक नुकसान हुआ है वहीं गेहूं की फसल भी पूरी तरह लेट चुकी है और गेहूं की फसल में भी ओलावृष्टि के कारण न केवल गेहूं की बालियां पूरी तरह टूट चुकी हैं बल्कि गेहूं की नाली भी टूट कर तहस- नहस हो गई है उन्होंने बताया कि किसानों के लिए रबी फसल का सीजन एक उम्मीद और खुशहाली का उपहार लेकर आता है क्योंकि इसी सीजन के पश्चात किसान अपनी सरसों की फसल को घरेलू जरूरत के पश्चात शेष बचने वाली गेहूं की फसल को बेचकर अपने बच्चों की शादियां करने का इंतजाम करते हैं तथा मकान इत्यादि बनाने की योजनाएं बनाते हैं| इस बार इस क्षेत्र के किसानों की सारी योजनाएं,उम्मीदें एवं सपने तहस-नहस हो गए हैं। उनके अलावा टाँई गांव के किसान, मास्टर गुलज़ार,मास्टर जमील सरपंच प्रतिनिधि,पूर्व सरपंच मुबारिक,चौधरी हारून,जफर हुसैन,, अख़लाक़,आस मोहम्मद,युसूफ,नासिर,सपात, उस्मान,आसू नंबरदार,हाजी हबीबुल्लाह,अब्दुल हई ठेकेदार,रिटायर्ड इंस्पेक्टर इकबाल महमूद,लियाकत,अजीम,नंबरदार,हाजी रोशन,अरशद नंबरदार,इकबाल खुर्शीद नम्बरदार, शहरुद्दीन,फारूक फौजी,शाहबुद्दीन तथा पूर्व सरपंच अकबर सहित सैंकड़ों किसानों ने बताया कि इतनी तेज,भारी और नुकसानदायक ओलावृष्टि उन्होंने अपने जीवन में अभी तक नहीं देखी क्योंकि जब आसमान से क़ुदरत का यह कहर गिर रहा था तब मकानों की छते ही नहीं बल्कि गांव के सभी रास्ते कश्मीर की घाटी की तरह सफेद नज़र आ रहे थे। इन सभी किसानों ने हरियाणा सरकार व जिला प्रशासन से फसलों का सर्वेक्षण करने के पश्चात उचित मुआवजे की मांग की है, ताकि किसानों को कुछ सहायता मिल सके जो उनके जख्मों पर मरहम का काम करें। विदित हो कि टाँई,मन्नाकी,घासेड़ा एवं धांधूका, टैरकपुर व सूडाका सहित अनेक गांवों की सैंकड़ों एकड़ जमीन की सेम की समस्या के कारण बुवाई ही नहीं हो पाई है।