स्मार्ट सिटी में आवारा कुत्ते लोगों को बना रहे है शिकार
वर्ष 2023 में 12,149 और 2024 में 16,012 लोगों ने बीके में लगवाएं रेबिज के इंजेक्शन
शहर में रोजाना तीन सौ से अधिक लोग हो रहे आवारा पशुओं का शिकार
City24news/ब्यूरो
फरीदाबाद। शहर को स्मार्ट सिटी बनाने का दावा करने वाले नगर निगम के पास आवारा कुत्तों से निपटने का कोई इंतजाम नहीं है। जिसके कारण पूरे शहर में आवारा कुत्तों का आतंक छाया हुआ है। आवरा कुत्ते हर रोज शहर में सैंकड़ों लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। इनका शिकार बनने के बाद जब पीड़ित इलाज के लिए सरकारी अस्पताल पहुंचता है तो वहां भी रैबिज के टीकों का हमेशा अकाल पड़ा रहता है। फरीदाबाद जिले की सड़कों में घूमने वाले आवारा कुत्तों की संख्या करीब 30 से 40 हजार बताई जा रही है। लेकिन इसके बावजूद नगर निगम ने आवारा कुत्तों को रखने के लिए कोई शेलटर आदि बनाने की कोई जरूरत महसूस नहीं की।
ठंडे बस्ते में डाल दी आवारा कुत्तों का शैलटर बनाने की योजना
शहर के लोगों को आवारा कुत्तों से मुक्ति दिलवाने और कुत्तों को आश्रय देने के इरादे से करीब 17 साल पहले शहर के किसी बाहरी हिस्से में शेलटर बनाने की योजना बनाई थी। जहां आवारा कुत्तों के रहने, भोजन और इलाज की व्यवस्था की जानी थी। लेकिन इस योजना को नगर निगम के अधिकारियों ने अमलीजामा पहनाने के लिए कोई कवायत नहीं की। जिसके बाद निगम अधिकारियों ने धीरे धीरे इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया। जिसके कारण शहर की सड़कों पर लगातार आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ती चली गई।
करीब 300 ज्यादा लोग रोज बनते है शिकार
कुत्तों के हमले का शिकार होने के बाद हर रोज करीब 200 के आसपास लोग रैबिज के इंजेक्शन लगवाने के लिए बीके अस्पताल, बल्लभगढ़ सिविल अस्पताल समेत स्वास्थ्य केन्द्रों व ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज में जाते है। अनुमान है कि इससे करीब दो गुणा मरीज निजी अस्पतालों और क्लीनिकों में रैबिज के टीके लगवाते है। इससे स्पष्ट होता है कि आवारा कुत्तों के काटने की समस्या जिले में कितनी गंभीर होती जा रही है। लेकिन नगर निगम और सरकार इस मामले को लेकर जरा भी गंभीरता नहीं दिखा रही है। जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
रहता है रैबिज के टीकों का अभाव
बीके अस्पताल और अन्य सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में रैबिज के टीकों का अक्सर अभाव बना रहता है। गत वर्ष 2023 में मार्च से जून यानि चार माह तक रेबिज के टीके समाप्त थे। इसके बाद जुलाई माह में इंजेक्शन आए। ऐसे में वर्ष 2023 में 12 हजार 149 लोगों को बीके सिविल अस्पताल में टीके लगाए गए। वहीं वर्ष 2024 की बात करें, तो जनवरी से जुलाई माह तक ही 16 हजार 12 लोगों को बीके सिविल अस्पताल में टीके लगाए गए। ऐसे में अन्य अस्पतालों और पांच से आठ हजार की ओपीडी वाले ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज में कितने लोग रेबिज के इंजेक्शन लगवाने आते होंगे, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल होगा।
ब्रीडिंग सीजन में ज्यादा काटते है कुत्ते
पशुओं के डॉ. अमित कुमार ने बताया कि आवारा कुत्ते एक निश्चित इलाके में रहते है। इस इलाके में वे किसी बाहरी व्यक्ति को देख कर खुद को असुरक्षित महसूस करते है और हमला कर देते है। वैसे यह मौसम कुत्तों का ब्रीडिंग सीजन होता है। इस मौसम में कुत्तों में टेस्टोस्ट्रोन हरमोंस का लेबल बढ़ जाता है। जिससे उनका स्वभाव पहले के मुकाबले उग्र हो जाता है। यदि कुत्ते अपने इलाके के लोगों पर ही हमला करते है तो उनके खाने में 10 एमजी की डायजापाम दवा मिला कर खिलाई जा सकती है। यह दवा उनके स्वभाव से उग्रपन को कम कर देती है। यदि किसी इलाके के लोगों को कुत्तों से ज्यादा परेशानी हो रही है तो वे चाहे तो अपने स्तर पर निजी डाक्टर से वधिकरण करवा सकते है।