अस्पताल में उपलब्ध नहीं रेबीज का इंजेक्शन
 
                City24news@हरिओम भारद्वाज
होडल। शहर के अधिकांश इलाकों में बंदरों और आवारा कुत्तों ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। स्थिति यह है स्थानीय लोगों ने घर के बाहर और छत पर जाना बंद कर दिया है। इसके अलावा बच्चों को घर से बाहर खेलने नहीं दे रहे हैं। दहशत के मारे लोग अपने बच्चों को अकेले बाहर भी नहीं भेज रहे हैं। ऐसा कोई दिन नहीं जा रहा है जिस दिन आवारा कुत्ते व बंदरों के काटने की शिकायत नहीं आ रही हो। बंदरों और आवारा कुत्तों के आतंक की वजह शहर के लोगों की जान पर बनाई है। आवारा कुत्तों और बंदरों ने लोगों का जीना हराम कर दिया है। बच्चे घर से बाहर निकलने में घबराने लगे हैं। वहीं बंदर घरों के अंदर घुसकर हमला कर रहे हैं। उसके बावजूद नगर परिषद अधिकारी इस समस्या को हल्के में ले रहे हैं। बंदरों को पकड़ने के लिए नगर परिषद प्रशासन द्वारा कोई अभियान नहीं चलाया गया है। वहीं शहर के लोगों का कहना है कि बंदरों को पकड़ने के लिए कई दफा प्रशासन के अधिकारियों से मांग कर चुके हैं। लेेकिन अभी तक कोई अभियान नहीं चलाया गया है। आवारा कुत्तों की समस्या शहर में वर्षों पुरानी है। नगर परिषद और स्वास्थ्य विभाग मिलकर इस समस्या से आज तक शहर को मुक्त नहीं कर पाये हैं। स्थिति यह है कि रात के समय शहर की कॉलोनियों और मुख्य मार्गों पर दो पहिया वाहनों का आवागमन मुश्किल हो जाता है। आवारा कुत्ते महिला, वृद्धों और बच्चों को निशाना बनाते हैं। खासकर गर्मी के मौसम में कुत्ते आमजन के लिये अधिक हमलावर होते हैं।
यदि इन्हें पकड़ा नहीं गया और संख्या नियंत्रण के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया तो यह शहरवासियों के लिए एक बड़ी समस्या बनकर सामने आएगा। शहर की गली मोहल्लों में आवारा कुत्तों और बंदरों का झुंड देखा जा सकता है। कई चौक-चौराहें में कुत्तों और बंदरों का झुंड आक्रमक होता है जो बाइक सवार, पैदल राहगीर या चारपहिया वाहनों के पीछे दौड़ते हैं, इसकी वजह से कई बार दुर्घटना का शिकार भी होते हैं। यह हाल शहर व ग्रामीण आंचल दोनों जगहों में है। लगातार बढ़ रहे कुत्तों के हमले को लेकर लोगों का यह कहना है कि प्रशासन ने यदि जल्द ही इनके नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाया गया तो स्थिति और भी बिगड़ सकती है और इनका आवारा आतंक और भी बढ़ सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि शहर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में रेबीज के इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है। चिकित्सकों से ज्यादा आग्रह करने पर कभी कभार बाजार से मंगवा लिया जाता है होडल हसनपुर सौंध कहीं भी रेबीज के इंजेक्शन उपलब्ध नहीं मिलते है। ऐसे मामलों में घायल लोगों को जिला अस्पताल पलवल या फिर औरंगाबाद के अस्पतालों का रूख करने की सलाह दी जाती है।

 
                                             
                                             
                                             
                                         
                                         
                                         
                                        