सरकारी स्कूल में आयोजित हुआ टाबर उत्सव कार्यक्रम
City24news@ज्योति खंडेलवाल
पलवल | कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग व शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में पलवल जिले के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय दुधौला में ‘टाबर उत्सव’ का आयोजन किया गया। जिला के विभिन्न सरकारी स्कूलों के 9वीं से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थी अब टाबर उत्सव के तहत किताबी ज्ञान के साथ साथ मूर्तिकला का हुनर सीखेंगे।
आर्टिस्ट उदित नारायण बैसला(मूर्तिकला) ने बताया कि इस ग्रीष्मकालीन शिविर ‘टाबर उत्सव’ में होनहार छात्र-छात्राओं को मूर्ति शिल्प कला में अपनी प्रतिभा निखारने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि मूर्तिशिल्प एक मात्र ऐसा विषय है जिसमें सभी विषयों का अध्ययन एक साथ हो जाता है। यह विद्यार्थी को शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक ज्ञान को नवीनता प्रदान करता है। विद्यार्थियों को हरियाणा राज्य में लुप्त होती मूर्तिकला का विकास एवं विभिन्न माध्यमों जैसे धातु लकड़ी, पत्थर, पीओपी, टैराकोटा, कांच, वेल्डिंग, सिरामिक, असेम्बलेज आदि से भी अवगत करवाया जाएगा। कक्षाओं को प्रयोगात्मक व रोचक बनाने के लिए लाइव मॉडल डेमो से भी कार्य करवाया जाएगा। जिला के विद्यार्थी इन 30 दिनों में तकनीकी व कलात्मक दृष्टिकोण से लाभान्वित होंगे।
हरियाणा कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग व शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान टावर उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। पलवल जिला के विभिन्न सरकारी स्कूलों के 9वीं से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को टाबर उत्सव के तहत किताबी ज्ञान के साथ साथ मूर्तिकला का हुनर सिखाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण आधुनिक मूर्तिशिल्प क्ले मॉडलिंग, रिलीफ एवं 3 डी आर्ट में हरियाणवी संस्कृति पर आधारित है। उन्होंने कहा कि ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान छात्र-छात्राओं का रचनात्मक और कलात्मक विकास करवाने के लिए यह प्रशिक्षण बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने में कारगर सिद्ध होगा। इससे विद्यार्थी भविष्य में कला प्रतियोगिताओं में बढ़-चढकर भाग लेने के साथ राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की मूर्ति शिल्प प्रतियोगिताओं के बारे में भी सीखेगें। प्रशिक्षण देने वाले कलाकारों द्वारा कला संस्कृति तथा मूर्तिकला के उत्थान संरक्षण, संवर्धन एवं विकास के लिए कला को निखारा जाएगा, जिससे विद्यार्थी अपना करियर बना सकेंगे। जिला में आधुनिक मूर्तिकला के प्रचार-प्रसार के लिए यह शिविर अत्यंत सार्थक सिद्ध होगा।
गर्मियों की छुट्टियों मे विद्यार्थी अब नहीं जाते नानी के यहाँ, क्योंकि वह बन रहे है आत्मनिर्भर :-
छात्रा रानी और काजल ने बताया कि शिविर में आकर वेस्ट मेटेरियल से कलाकृति बनाना सीख रहे है। शिविर में आकर बहुत अच्छा लग रहा है। इस कला को सीख कर आत्मनिर्भर बन सकते है। उन्होंने बताया की आर्ट करने का शौक तो पहले से ही था मगर आर्ट करने के लिए कोई मंच नहीं मिल पा रहा था जहाँ वह अपनी प्रतिभा को उजागर कर सकें उन्होंने बताया की वह अब गर्मियों की छुटियों में नानी या बुआ के घर जाना पसंद नहीं करते क्योंकि वह अब मन लगा कर आर्ट कर रहे है वो वेस्ट समान से भी बेहद अच्छी आर्ट कर रहे है और आर्ट मे अपना करियर भी चुन रहीं है.