किस-किस की पैरवी करेगी भ्रष्टाचार में डूबी कांग्रेस
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शुरुआती चार्जशीट दायर करने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर वाड्रा को जानबूझ कर परेशान करने का आरोप लगाया। भ्रष्टाचार के मामलों में कांग्रेस की हालत इतनी दयनीय हो चुकी है कि राहुल के इस आरोप के चंद दिनों बाद ही ईडी ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल को कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार कर लिया। ईडी ने भूपेश बघेल के आवास सहित कई स्थानों पर छापेमारी की और महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए। यह घोटाला 2019-2022 के दौरान लगभग 2161 करोड़ रुपए की अवैध वसूली से जुड़ा है। सवाल यह है कि राहुल, सोनिया और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े आखिरकार किस-किस कांग्रेस के नेता के भ्रष्टाचार के लिए केंद्र सरकार और जांच एजेंसियों को दुर्भावना की कार्रवाई के लिए जिम्मेदार ठहराएंगे।
ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शुरुआती चार्जशीट दायर की। इस मामले में ईडी की तरफ से 11 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इस मामले पर लोकसभा नेता विपक्ष राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि मेरे जीजाजी को पिछले 10 सालों से इस सरकार की तरफ से परेशान किया जा रहा है। यह आरोपपत्र है, उसी षडयंत्र का ही एक और हिस्सा हैं। रॉबर्ड वाड्रा के खिलाफ ये चार्जशीट शिखोपुर लैंड डील मामले में पेश की गई है। ईडी के मुताबिक वाड्रा ने यहां 3.53 एकड़ महज 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी थी, जिसे कुछ ही समय बाद वाड्रा ने 58 करोड़ रुपये में बेच दिया था।
अपने जीजाजी की पैरवी करने से पहले राहुल गांधी शायद यह भूल गए कि सोनिया गांधी और खुद उन पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर मामले चल रहे हैं। नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर कर चुकी है। नेशनल हेराल्ड मामला कांग्रेस के शासनकाल में शुरू हुआ था। ईडी की चार्जशीट में सोनिया गांधी आरोपी नंबर 1 और राहुल गांधी आरोपी नंबर 2 हैं। आरोप पत्र में कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा और सुमन दुबे को भी मामले में आरोपी बनाया गया है। राहुल गांधी को वाड्रा के मामले में साजिश नजर आती है। लेकिन दूसरे घोटालों के मामलों में कांग्रेस भ्रष्टाचार के मामलों में की चुप्पी साबित करती है कि कांग्रेस अपने अतीत को दोहरा रही है।
केंद्र में कांग्रेस की सरकार नहीं हैं, लेकिन जिन गिने-चुने राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, वहां से भ्रष्टाचार की सूचनाएं आती रहती हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने कोलार-चिक्काबल्लापुर जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड (कोमूल) की 2023 भर्ती प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं के संबंध में कर्नाटक कांग्रेस विधायक केवाई नानजेगौड़ा की 1.32 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। कोलार जिले के मालूर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले नानजेगौड़ा, कोमुल के अध्यक्ष भी हैं। ईडी के अनुसार कोमुल द्वारा आयोजित भर्ती प्रक्रिया में एक लिखित परीक्षा और एक साक्षात्कार शामिल था, लेकिन पैसे और राजनीतिक सिफारिशों के बदले में इसमें हेरफेर किया गया था। संघीय एजेंसी ने आरोप लगाया कि नांजेगौड़ा की अध्यक्षता वाली भर्ती समिति ने कोमूल के प्रबंध निदेशक के.एन. गोपाल मूर्ति के साथ मिलकर अन्य निदेशकों के साथ मिलकर कुछ कम योग्य उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाया, जबकि योग्य उम्मीदवारों को वंचित रखा।
कांग्रेस की हालत यह हो गई कि वर्तमान अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और पूर्व अध्यक्ष तक भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में रहे हैं। कर्नाटक में खडग़े के बेटे राहुल खडग़े के नेतृत्व वाले सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को आवंटिक एक जमीन में हेरफेर का आरोप लगाया गया था। कर्नाटक में यदि भाजपा की सरकार होती तो खडग़े के खिलाफ भी भ्रष्टाचार का मामला दर्ज हो जाता। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने संदिग्ध परिस्थितियों में खडग़े के परिवार द्वारा संचालित सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को 5 एकड़ जमीन आवंटित थी। दिलचस्प बात यह है कि 5 एकड़ जमीन (खडग़े परिवार द्वारा चलाए जा रहे ट्रस्ट को) इलाके में अनुसंधान एवं विकास सुविधाओं के लिए नियम तैयार करने के कुछ दिनों भीतर दी गई थी। इस मामले का खुलासा होने के बाद खडग़े बैकफुट पर आ गए थे। खडग़े परिवार के स्वामित्व वाले सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट ने विवादास्पद स्थल को वापस करके भ्रष्टाचार से मुक्त होने का प्रयास किया।