राजपूत समाज को मौका कब मिलेगा ?
City24news@ब्यूरो
फरीदाबाद | हरियाणा में नए मुख्यमंत्री और पांच केबिनेट मंत्री बनने के साथ सरकार में जहां कैबिनेट विस्तार को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है वहीं हरियाणा के प्रत्येक समाज का वर्ग अपने समाज के विधायक को मंत्री के रूप में देखने की आस और कयास लगा रहे हैं। जहां मुख्यमंत्री नायब सिंह स्वयं सैनी (ओबीसी) समाज से हैं और 5 केबिनेट मंत्रियों में ब्राम्हण, गुज्जर, दलित और 2 जाट समाज के विधायकों को मंत्री बनाया गया है। वहीं दूसरी ओर पंजाबी, यादव वैश्य और राजपूत भी अपने अपने विधायक को मंत्री बनाने की दावेदारी ठोक रहे हैं। आगामी लोकसभा चुनाव के चलते प्रदेश में जातिगत समीकरण बनाना सरकार की जरूरत भी है और मजबूरी भी है, क्योंकि वोट बैंक के तौर पर सरकार किसी भी वर्ग को नाराज नहीं करना चाहेगी। रूठना-मनाना और रस्सा कसी के चलते मुख्यमंत्री ने 16 मार्च का मंत्री मंडल विस्तार तो टाल दिया है लेकिन आज लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही सरकार को मंत्रीमंडल का विस्तार जल्द ही करना होगा ताकि कोई वर्ग नाराज ना हो और भाजपा का सबका साथ – सबका प्रयास – सबका विकास का नारा सार्थक हो। आगामी लोकसभा चुनाव के टिकट आवंटन में कुछ वर्तमान राजपूत सांसदों के टिकट कटने से राजपूत समाज में नाराजगी है जिसे ध्यान में रखते हुए राजपूत समाज के दोनों विधायकों में से एक को मंत्री बनाना जरूरी है जिससे राजपूत समाज का वोट भाजपा के खाते में जाये। इसमें सशक्त दावेदारी निर्दलीय पृथला विधायक नयनपाल रावत की है जो निर्दलीय विधायकों की अगुवाई करते हुए संकट मोचन बन सरकार के साथ खड़े हैं। नयनपाल रावत वर्तमान सरकार में हरियाणा भंडारण निगम के चेयरमैन हैं। सोहना के विधायक संजय सिंह की भी दावेदारी कम नहीं है क्योंकि वो भाजपा से हरियाणा में अकेले विधायक हैं। उनकी पृष्टभूमि राजनैतिक परिवार से रही है। उनके पिता सूरजपाल सिंह, जिनके गांव उझीना को भारत का इजरायल कहा जाता है और जिन्हें शेर-ए-मेवात भी कहा जाता है, पूर्व में हरियाणा सरकार में केबिनेट मंत्री रहे हैं। अब देखना है कि क्या समीकरण बनते है और किसको मंत्री पद की झंडी वाली गाड़ी मिलती है।