अरावली में अवैध निर्माण के नाम पर ये कैसा शिकंजा

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भवन पर नहीं केवल बाउंड्री वाल पर चलता है पीला पंजा
केवल नाम मात्र की होती है कार्रवाई
फार्म हाउस मालिकों का आरोप, पर्यावरण संरक्षण के नाम पर चल रही है अवैध कमाई
नगर परिषद अधिकारी दल बल के साथ पंद्रह फार्म हाउसों पर लेकर पहुंचे पीला पंजा
केवल दो फार्म हाउसों की बाउंड्री गिराकर पूरी कर दी कार्रवाई

City24news/संजय राघव

सोहना| अरावली संरक्षण को लेकर भले ही पर्यावरण कोर्ट सख्त आदेश जारी कर संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई करने के आदेश दे रही हो, लेकिन अधिकारी और कुछ नेता अब अदालत के इन आदेशों की आड़ में अपनी मनमानी करने में जुटे हुए हैं। ऐसा ही एक नजारा गुरुग्राम से सटे रायसीना की पहाड़ियों में उस समय देखने को मिला जब सोहना नगर परिषद की टीम अपने दल बल एवं पूरी मशीनरी के साथ इन फार्म हाउसों को तोड़ने के लिए पहुंची।  सोहना नगर परिषद की ये टीम कहने के लिए तो 15 फार्म हाउसो पर दलबल के साथ पहुंची लेकिन केवल दो फार्म हाउसों के बाउंड्री वाल को गिरा कर बैरंग वापस लौट आई।  इस पूरे दल बल के साथ सोहना नगर परिषद के चेयरपर्सन के पति भी साथ दिखे। जैसे-जैसे चेयरपर्सन के पति नगर परिषद के अधिकारियों को आदेश दे रहे थे वैसे-वैसे नगर परिषद का अमला अपने पीले पंजे के साथ आगे बढ़ रहा था। कागजी कार्रवाई के तौर पर तो इस दल के साथ नोडल अधिकारी के रुप में राजपाल खटाना साथ चल रहे थे। लेकिन कार्रवाई को देख कर ऐसा लग रहा था कि असली नोडल अधिकारी तो चेयरपर्सन के पति हैं।  नगर परिषद अधिकारियों के दल के साथ चेयरपर्सन के पति की उपस्थिति और उनका मनमाना रवैया क्षेत्र के फार्म हाउस मालिकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। फार्म हाउस मालिकों का आरोप है कि दरअसल यह किसी अदालती आदेश अथवा प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई नहीं है बल्कि यह चेयरपर्सन के पति द्वारा मनमाने ढंग से की गई एक ऐसी कार्रवाई है जिसकी मंशा ही गलत  है 

फार्म हाउस मालिक राजेश वत्स का कहना है कि सोहना नगर परिषद का तोड़फोड़ दस्ता पिछले दो दिनों से अरावली में तोड़फोड़ के लिए आ रहा है। इस दौरान नोडल अधिकारी तो महज खानापूर्ति के लिए दिखलाई पड़ते हैं। इस टीम के साथ नपा चेयरपर्सन की गाड़ी भी यहां आती है, लेकिन उसमें नपा चेयरपर्सन नहीं बल्कि उनके  पति आते हैं और वह जिस फार्म हाउस पर हाथ रखते हैं उसे छोड़ दिया जाता है और जिसकी तरफ इशारा करते हैं उसकी केवल बाउंड्री वाल गिराकर कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ती कर दी जाती है । दरअसल यहां पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई कार्रवाई नहीं बल्कि तोड़फोड़ के नाम पर बड़ी डील की कार्रवाई की जा रही है। इतना ही नहीं राजेश वत्स ने यह भी कहा कि वीरवार को हुई कार्रवाई के दौरान नगर परिषद का कोई भी अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं था, लेकिन इस दौरान चेयरपर्सन के पति ने जेसीबी की मदद से तीन फार्म हाउसों की बाउंड्री वाल गिरा दी।जबकि कानूनी रूप से चेयरपर्सन के पति किसी भी तरह की कानूनी कार्यवाही नही कर सकते है वही राजेश वत्स  के अनुसार यदि कार्रवाई करनी ही थी तो पूरे फार्म हाउस को ध्वस्त करना था लेकिन केवल बाउंड्री वाल पर पीला पंजा चला कर ये क्या संदेश देना चाहते हैं। वहीं नोडल अधिकारी राजपाल खटाना का कहना है कि दो फार्म हाउसों पर तोड़फोड़ की गई है और आगे भी इस तरह की कार्रवाई जारी रहेगी। 

आपको बता दें कि साल 1987 में अंसल बिल्डर की तरफ से फार्म हाउस की स्कीम लांच की गई थी। इस दौरान 300 से भी ज्यादा फार्म हाउस बिल्डर द्वारा अरावली में बेचे गए थे। इन फार्म हाउस के लिए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, वन विभाग, सिंचाई विभाग सहित बिजली निगम व अन्य विभागों से अनुमति भी दी गई थी। जिला नगर योजनाकार विभाग ने अरावली का सीना चीरकर इसमें सड़क बनाने की अनुमति भी प्रदान कर दी थी। जब यहां फार्म हाउस विकसित होने लगे तो अरावली नष्ट होने लगी। साल 1992 में हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट व राजस्थान हाई कोर्ट का आदेश आया था कि अरावली में निर्माण करना अवैध माना जाएगा और अरावली संरक्षण के लिए सख्त कदम उठाने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद भी अधिकारियों की मिलीभगत से अरावली में निर्माण कार्य जारी रहा। वहीं, अरावली को बचाने के लिए जब मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में पहुंचा तो ट्रिब्यूनल ने साल 1992 के बाद हुए निर्माण को ध्वस्त कर अरावली को रीस्टोर करने के आदेश दिए, लेकिन कोई काम अधिकारियों से नहीं हो पाया। आरोप है कि इसी की आड़ में अधिकारियों और उनके रिश्तेदारों ने अपनी जेबें भरने का धंधा बना लिया। अब भी अरावली को रीस्टोर करने के कई मामले जिला अदालत, पर्यावरण अदालत और एनजीटी तक पहुंचे हुए हैं और अरावली को रीस्टोर करने के आदेश भी जारी हो चुके हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर अधिकारी और नेताओं द्वारा मनमानी की जा रही है।

संसद से लेकर ग्राम पंचायत तक महिला सशक्तिकरण के सारे के सारे प्रयास उस समय बौने साबित हो जाते हैं जब हमारे समाज के पुरुष महिलाओं पर अपना पूरा अधिकार समझते हैं और उसे आगे नहीं बढ़ने देना चाहते हैं। फिल्हाल सोहना नगर परिषद की चेयरपर्सन के पति द्वारा की जा रही कार्रवाई को लेकर फार्म हाउस मालिकों में आक्रोश व्याप्त है। लोगों का कहना है कि सोहना नगर परिषद की चेयरपर्सन द्वारा सवैंधानिक पद की गरिमा को भी बरकरार नहीं रखा जा रहा है और अधिकारिक कार्रवाई और विभाग की गोपनीय फाइलों को भी अपने पति के हवाले करते हुए पद का दुरुपयोग किया जा रहा है। लोगों का आरोप है कि चेयरपर्सन के पति को कई बार इन फार्म हाउसों में आते-जाते देखा गया है। ऐसा माना जा रहा है कि चेयरपर्सन के पति संवैधानिक पद का दुरुपयोग करते हुए  चेयरपर्सन के पद को केवल कमाई का जरिया बना लिया गया है। अब देखना यह होगा कि मामला आला अधिकारियों तक पहुंचने के बाद अधिकारी किस तरह की कार्रवाई अमल में लाते हैं।

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