वर्धमान ने जनमानस में नवचेतना ऊर्जा उमंग उत्साह हर्षोल्लाह का संचार किया: रजत जैन

-तीर्थंकर महावीर ने दिया प्राणिमात्र को जियो और जीने दो का संदेश
-तीर्थंकर महावीर ने फैलाया सृष्टि में ज्ञान का प्रकाश
-भगवान महावीर ने पढ़ाया अहिंसा का पाठ
-भगवान महावीर ने जैनधर्म के अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय), ब्रह्मचर्य पंचशील के सिद्धांत बताएं
-भगवान महावीर अहिंसा के पथ दर्शक
-तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक पर निकाल धर्म जागृति जन जागरण प्रभात फेरी
-जिओ और जीने दो व अहिंसा परमो धर्म के जयघोषों से गुंजायमान हो गया नगीना
-तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के अमर संदेश जिओ और जीने दो व अहिंसा परमो धर्म के जय घोषों से गूंज उठी धर्मनगरी नगीना
नूंह | कस्बा नगीना में जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जन्म कल्याणक पूरी निष्ठा आस्था श्रद्धा उमंग उत्साह व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। प्रातः 4:30 बजे दिगंबर जैन चंद्र प्रभु मंदिर नगीना से जनमानस में अहिंसा के प्रति जागृति जागृत करने के निमित्त धर्म जागृति जन जागरण प्रभात फेरी निकल गई जिस धर्मनगरी नगीना तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के अमर संदेश, जिओ और जीने दो ओर अहिंसा परमो धर्म में जैसे नारों से गुंजायमान हो गई। मंदिर जी मे स्वर्ण रत्न जड़ित मंगल कलशों से जिनेंद्र प्रभु की विधि विधान से जलाभिषेक किया व तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की अष्ट द्रव्यों से मंत्रोच्चारणो के साथ विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व अध्यक्ष रजत जैन ने कहा की अहिंसा के पथदर्शक भगवान महावीर स्वामी ,जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर का जन्म 2623 वर्ष पूर्व कुंडलपुर में हुआ। रजत ने कहा की पूर्व में जब सारी सृष्टि में हाहाकार मचा हुआ था। जनमानस अपने आचरण से पथ भ्रष्ट होकर अधार्मिक कार्यों में अधिक संग्लन होने लगी तो ईसा से 599 वर्ष पूर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी को कुण्डलपुर के राजा सिद्धार्थ व रानी त्रिशला के घर वर्धमान नामक बालक का जन्म हुआ। रजत जैन ने बताया की तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का 2624 वां जन्मकल्याणक दिवस मना रहे हैं। जब सृष्टि घोर अंधकार व निराशा के गहरे सागर में डूबी हुई थी तो इस वर्धमान ने जनमानस में नवचेतना,ऊर्जा, उमंग, उत्साह,हर्षोल्लास का संचार किया । जैन धर्म के मूल सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म: के मार्ग पर चलकर, समस्त प्राणिमात्र के आत्मकल्याण के लिए, जिओ ओर जीने दो का अमर संदेश दिया व जनमानस को अहिंसा का मार्ग प्रशस्त कर , जनकल्याण की भावना जनजन के मन मे जागृत कर जनता को घोर निराशा, अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश सागर में डूबकी लगवाकर ज्ञान का प्रकाश चहुँओर फैलाया। तीर्थंकर महावीर ने जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए,(1) अहिंसा,(2) सत्य (3) अपरिग्रह (4) अचौर्य (अस्तेय) (5) ब्रह्मचर्य । उन्होंने छुआछूत, ऊंचनीच, वैरभाव, भेदभाव के अन्याय को समाप्त करने के लिए कहा की व्यक्ति जन्म से नहीं कर्म से श्रेष्ठ होता है ।रजत ने बताया की भगवान महावीर का आत्मधर्म जगत, प्रत्येक आत्मा के लिए एक समान था । दुनिया की सभी आत्मा एक ही है, हमे दूसरों के प्रति भी वही विचार रखे ,जो स्वयं को पसंद हो । 30 वर्ष की आयु में धन वैभव, राजशाही, ठाटबाट छोड़कर तपस्वी जीवन धारण कर वैराग्य ले लिया । बाद में यही बालक वर्धमान,तीर्थंकर महावीर कहलाया ओर जैन धर्म के अंतिम 24वें तीर्थंकर बने।72वर्ष की आयु में मोक्ष को प्राप्त हुए।इसलिए प्राणिमात्र को एक दूसरे के प्रति सद्भावना,व मैत्रीभाव रखना चाहिए । अहिंसा के पथ पर चलकर, जीओ ओर जीने दो के सिद्धांत को अपनाकर, अपना व प्राणिमात्र का आत्मकल्याण करना चाहिए।
दोपहर की सभा में महिला मंडल के द्वारा पारंपरिक व आधुनिक वाद्य यंत्रों की सहायता से धार्मिक भजन कीर्तन का आयोजन किया गया। संध्याकालीन सभा में चौबीसी व तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की सामूहिक विशेष आरती की गई। रात्रि कालीन सभा में बच्चों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए जिसमें बच्चों ने सामाजिक, धार्मिक,व मार्मिक नाटकों का मंचन कर उपस्थित जनसमूह को भाव विभोर कर दिया। जनता बच्चों की कला को देखकर प्रत्येक व्यक्ति तालिया को बजाने के लिए विवश हो गया। तालिया की गड़गड़ाहट से सारा कार्यक्रम स्थल गूंज उठा । इस अवसर पर जैन समाज नगीना के उपाध्यक्ष अनिल जैन, कोषाध्यक्ष महावीर जैन, सुनील जैन, मुकेश जैन, जजपा के प्रदेश प्रवक्ता राहुल जैन, जीतू जैन,अमित जैन, प्रदीप जैन ,रजतजैन बृजमोहन जैन जैन समाज नगीना के पूर्व अध्यक्ष अनिल जैन,अनिल जैन मेडिकल वाले,किशन जैन, ऋषभ जैन, राकेश जैन, सुनील जैन शुभ जैन,पार्थ जैन महेर जैन,चिराग जैन,सुमन जैन राधिका जैन,राजेन्द्र जैन ,राजकमल जैन,याशिका जैन, संध्या जैन शशि जैन, कुसुम जैन,सविता जैन,अंजू जैन,वीणा जैन आदि उपस्थित रहे।