प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से नूंह जिले के पारंपरिक कारीगरों को मिलेगा नया संबल।

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– कारीगरों को आत्मनिर्भर बनाना, उनके कौशल को पहचान दिलाना है प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य।

City24news/अनिल मोहनिया

नूंह | उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा ने कहा कि भारत सरकार द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना अब नूंह जिले में भी गति पकड़ रही है। इस योजना के माध्यम से जिले के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक, तकनीकी और डिजिटल सशक्तिकरण के माध्यम से एक नया जीवन पथ दिया जा रहा है।

इस योजना का उद्देश्य कारीगरों को आत्मनिर्भर बनाना, उनके कौशल को पहचान दिलाना और उन्हें आधुनिक उपकरणों, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता के माध्यम से सक्षम बनाना है।

नूंह जिले में योजना की प्रमुख विशेषताएं :

मुफ्त पंजीकरण और डिजिटल आईडी कार्ड : कॉमन सर्विस सेंटरों (CSC) के माध्यम से कारीगरों का निःशुल्क पंजीकरण किया जा रहा है और उन्हें प्रधानमंत्री विश्वकर्मा डिजिटल आईडी कार्ड जारी किए जा रहे हैं।

15,000 रुपए तक की टूलकिट सहायता : जिससे कारीगर अपने पारंपरिक औजारों को आधुनिक स्वरूप दे पा रहे हैं।

कौशल प्रशिक्षण : नूंह जिले में विशेष प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है, जहां लाभार्थियों को 5 से 15 दिन का व्यावसायिक प्रशिक्षण व 500 रुपए प्रतिदिन भत्ता दिया जा रहा है।

रियायती ऋण सुविधा : योजना के अंतर्गत पात्र कारीगरों को 5% ब्याज दर पर 1 लाख रुपए से 3 लाख रुपए तक का ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।

डिजिटल सशक्तिकरण और विपणन सहयोग : प्रशिक्षण के साथ-साथ डिजिटल लेन-देन, ब्रांडिंग और विपणन की जानकारी भी दी जा रही है ताकि उत्पादों को बड़े बाज़ार तक पहुँचाया जा सके।

जिला उपायुक्त नूंह ने बताया कि योजना का क्रियान्वयन तेजी से किया जा रहा है और अब तक सैकड़ों कारीगरों ने पंजीकरण कर लाभ लेना शुरू कर दिया है। जिला प्रशासन द्वारा प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर जागरूकता शिविर लगाए जा रहे हैं ताकि अधिक से अधिक पारंपरिक कामगार योजना का लाभ ले सकें।

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना नूंह जैसे जिलों में रोजगार के नए अवसर सृजित करने के साथ-साथ पारंपरिक कला और कौशल को संरक्षित और प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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