सावन माह के दूसरे सोमवार व एकादशी के मौके पर कडी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बागोत के बाघेश्वर धाम में चढाई गई हजारों कांवड

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-पुलिस प्रशासन की स्तरकता के चलते किसी भी अप्रिय घटना के समाचार नहीं
-त्रयोदशी के दिन 23 को आयोजित होगा मुख्य मेला
City24news/सुनील दीक्षित

कनीना |कनीना सब डिवीजन के गांव बागोत स्थित ’बाघेश्वर धाम’ मंदिर में सावन माह की एकादशी के दिन सामवार को श्रधालुओं की खासी भीड उमड पडी। जिसे नियत्रिंत करने के लिए पुलिस कर्मचारियों ने मशक्कत करनी पडी। 23 जुलाई को आयोजित होने वाले विशाल कांवड मेले के दृष्टिगत सावन के दमसरे सोमवार को एकादशी के मौके पर कडी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हजारों की संख्या में कांवड चढाई गई। वीआईपी कैटेगरी में प्रदेश की स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राव नरेंद्र सिंह ने शिवलिंग पर जलाभिषेक किया। आरती सिंह राव ने कहा कि भगवान शिव प्राणियों के पालनहार हैं। सावन माह में शिवभक्तों पर उनकी अपार कृपा बरसती है। यह मेला रविवार से प्रारंभ हो चुका है। जिसमें ड्यूटी मैजिस्टेट सहित पुलिस कर्मचारी पूरी मुस्तैदी के साथ डटे हुए हैं। सोमवार को कनीना निवासी पूर्व चेयमैन सुमेर सिंह, केमला के राकेश कुमार, नरेश कुमार ने सपरिवार प्राकृतिक स्ययभंू शिवलिंग पर जलाभिषेक किया। भीड के चलते पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। बता दें कि बाघेश्वर धाम में बहुतायत में शिवभक्त शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। जिनकी सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन की ओर से पुख्ता प्रबंध किए जाते हैं। एसडीएम डाॅ जितेंद्र सिंह अहलावत ने बताया कि भीड का नियंत्रित करने के लिए बेरिकेटिंग की गई है। बिजली व पेयजल की व्यवस्था के साथ-साथ एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड,गोताखोर एवं स्वास्थ विभाग की टीमों को अलर्ट मोड पर रखा गया है। प्रशासन की स्तरकता के चलते अभी तक किसी भी अप्रिय घटना के समाचार नहीं हैं।
बाॅक्स न्यूज
राजा दिलीप की तपस्या से शिव शंकर भगवान हुए थे प्रसन्न

नागेंद्र शास्त्री ने एक किवंदती के माध्यम से बताया कि प्राचीन समय में ऋषि पिप्लाद ने यहां पर तपस्या की थी। राजा दिलीप को कोई संतान नहीं थी। इस दुख के निवारण के लिए वे अपने कुलगुरू वशिष्ठ के पास गए थे जिन्होंने पिप्लाद ऋषि के आश्रम में रहने वाली नंदिनी गाय व कपिला बछडी को उपवास रखकर जंगल में चराने को कहा था। एक दिन राजा दिलीप गाय-बछडी को चरा रहा था उस समय एक बाघ ने बछडी पर धावा बोलना चाहा। राजा की नजर जब बाघ पर पड़ी तो अंतरमन से प्रार्थना करते हुए उन्हें बख्शीश देेने की मिन्नत की। उनका मानना था कि बाघ बछडी को खा गया तो उन पर गाय का श्राप लगेगा ओर गाय को खायेगा तो उनकी तपस्या पूरी नहीं हो सकेगी। भगवान शिव शंकर बाघ का स्वरूप धारण कर राजा की परीक्षा ले रहे थे, उसके बाद इस स्थान का नाम ’बाघेश्वर धाम’ पड़ा। जहां प्रतिवर्ष सावन माह की त्रयोदशी को शिवरात्री तथा फाल्गुन माह की त्रयोदशी को महाशिवरात्री के अवसर पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। जिला प्रशासन की ओर से मेले में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं।
कनीना-बाघेश्वर धाम बागोत में प्राकृतिक स्वयंभू शिवलिंग पर जलाभिशेक करती प्रदेश की स्वास्थ्य मंत्री आरती राव व पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राव नरेंद्र सिंह।

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