हजारों किसानों कर्मचारियों व स्कीम वर्करों ने जलूस निकालकर की हड़ताल
City24news@रोबिन माथुर
हथीन | संयुक्त किसान मोर्चा एवं केंद्रीय ट्रेड यूनियन तथा कर्मचारी संगठनों के संयुक्त आह्वान पर राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस, मजदूर-कर्मचारियों की हड़ताल व ग्रामीण बंद को लेकर आज हजारों किसानों कर्मचारियों व स्कीम वर्करों ने देवीलाल पार्क से चलकर शहर में जलूस निकालकर बस अड्डे पर कार्यक्रम का समापन किया। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता उदय सिंह सरपंच व सीआईटीयू की जिला प्रधान उर्मिला रावत की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम का संचालन किसान सभा के ज़िला प्रधान धर्मचन्द ने किया।जलूस से पहले देवीलाल पार्क में इकट्ठे होकर आम सभा का आयोजन किया गया।कार्यक्रम में अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव बीजू कृष्णन तथा खेत मजदूर यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव विक्रम सिंह विशेष रूप से उपस्थित रहे।कार्यक्रम में शामिल किसान मजदूरों ने सरकार व प्रशासन द्वारा किसानों पर किए जा रहे दमन व अत्याचार की कठोर शब्दों में निंदा करते हुए किसानों की मांगों का बातचीत से समाधान करने की मांग की।
संयुक्त किसान मोर्चे के राष्ट्रीय नेता बीजू कृष्णन व मास्टर महेंद्र सिंह चौहान ना कहा कि 2 साल पहले देश के किसानों की व्यापक एकता के चलते 13 महीने चले ऐतिहासिक किसान आंदोलन के आगे केन्द्र सरकार को घुटने टेकने पड़े और तीन काले कानून वापस करवाने में सफलता मिली थी । इस आंदोलन में मजदूरों और आम जनता का व्यापक समर्थन मिला था।लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीद की कानूनी गारंटी, किसान मजदूर की कर्ज मुक्ति, बिजली निजीकरण विधेयक की वापसी के मामले में जो वायदे किए गए थे, उन पर केन्द्र सरकार द्वारा वायदा खिलाफ़ी की गई है।मजदूरों को गुलाम बनाने के लिए पारित चार लेबर कोड्स को भी सरकार वापस नहीं ले रही। कुख्यात लखीमपुर-खीरी कांड की साज़िश रचने वाले मंत्री को पद से नहीं हटाया गया है। किसान मजदूर के हितों को ध्यान में रखते हुए जो भूमि अधिग्रहण कानून (2013) बनवाया गया था। भाजपा सरकारों द्वारा उसमें बदलाव करके जमीनें भी छीनकर कॉरपोरेट कंपनियों को देने का रास्ता साफ कर दिया है। किसान का गन्ना, कपास, सरसों, धान, सब्जियां और अन्य फसलें लूटी जा रही हैं। इन फसलों के लागत खर्च बढ़ने और पूरे भाव न मिलने से काश्तकारों पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है। फसल खराबे के मुआवजे और बीमा क्लेम जारी नहीं किए जा रहे।
मनरेगा जैसी योजना में बजट घटाकर, काम मिलने पर तमाम तरह के अडंगे डाले गए हैं जिससे बड़ी संख्या में मनरेगा वर्करों को काम से वंचित कर दिया है। स्कीम वर्कर, अस्थाई कर्मचारी व अन्य श्रमिक न्यूनतम वेतन के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं।निर्माण श्रमिकों सहित सामाजिक कल्याण की सुविधाओं को अघोषित रूप से बंद किया जा रहा है। अभूतपूर्व महंगाई और बेरोजगारी ने आम लोगों के जीवन को और भी दूभर बना दिया है। स्मार्ट मीटर लगाकर गरीब लोगों को अंधेरे में रखने की योजना बन रही है। गांव व शहर में आवास का भारी संकट है। फैमिली आई डी के नाम पर तमाम कल्याणकारी योजनाओं से वंचित किया जा रहा है। हाल ही में पारित भारतीय न्याय संहिता 2023 में ड्राइवरों को सजा व जुर्माने के खतरनाक प्रावधान किए गए हैं।
कर्मचारी नेता जितेंद्र तेवतिया व जिलेसिंह तथा योगेश शर्मा ने कहा कि केंद्र व हरियाणा की भाजपा सरकारें जनता के खून पसीने से खड़ी की गई देश की बहुमूल्य संपत्तियों को अडानी- अंबानी जैसे बड़े पूंजीपतियों और देसी- विदेशी कॉर्पोरेट के हाथों में बेचने का राष्ट्र- विरोधी काम करने में लगी हैं । स्कूल में मास्टर नहीं, अस्पताल में डॉक्टर नहीं। रेलवे, बिजली, रोडवेज, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे सारे सरकारी विभागों का निजीकरण हो रहा है। ऐसा करके एक तरफ जनकल्याण की सुविधाओं से आम जनता की बेदखली है। दूसरी तरफ सरकरी क्षेत्र में नौकरी मिलने के सभी रास्ते बंद किए जा रहे हैं । लाखों पद केंद्र व राज्य सरकार के विभागों में खाली पड़े हैं जिन्हे भरा नहीं जा रहा तथा पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल नहीं किया जा रहा।बेरोज़गार युवाओं को कच्चे रोजगार की गहरी खाई में धकेला जा रहा है। कौशल रोजगार निगम जैसे विभाग केवल कच्ची भर्ती के लिए खोल दिए गए हैं। यहां तक कि सेना की भर्ती में भी अग्निवीर योजना लाकर हमारी युवा पीढ़ी को दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर किया गया है। हमारे शिक्षित नौजवान अब जमीनों को बेच कर विदेशों में पलायन कर रहे हैं । भयंकर बेरोजगारी की मार झेल रहे निराश बेरोजगार नशाखोरी की चपेट में आ रहे हैं और उनकी जिंदगी बर्बाद हो रही है। इस प्रकार से देश और प्रदेश को बर्बादी के गर्त में धकेलने के लिए भाजपा की दिवालिया नीतियां जिम्मेदार हैं। जिसकी बदौलत अमीर गरीब की गैर बराबरी की खाई रोजाना चौड़ी हो रही है। किसान- खेत मजदूरों को कर्ज मुक्त करने की बजाय मोदी सरकार ने देश की धन दौलत को लूटने वाले पूंजीपतियों द्वारा लिए गए 25 लाख करोड़ रुपए माफ करने का शर्मनाक काम किया है।
ग्रामीण सफाई कर्मचारियों के राज्य प्रधान देवीराम सीआईटीयू की नेता रामरति चौहान व संतोष ने कहा कि प्रदेश सरकार ने उनकी यूनियनों द्वारा किए गए लंबे आंदोलन के बाद मानी गई मांगों को भी लागू नहीं किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों की तरह सभी आंदोलनों को एक ही तरह से डील करके पुलिसिया दमन से कुचलने का प्रयास करती है।स्कीम वर्करों व ग्रामीण सफाई कर्मचारियों ने अपने अधिकारों व मांगों की लड़ाई को निर्णायक स्तर तक पहुंचाकर सरकार को मांगे मानने पर मजबूर किया।
इन सारे सवालों पर इससे पहले भी सभी राज्यों की राजधानियों में संयुक्त किसान मोर्चा और ट्रेड यूनियनों की ओर से 26 से 28 नवंबर को 72 घण्टे का पड़ाव डाल कर रोजी रोटी सहित बुनियादी अधिकार और परस्पर सद्भाव पर किये जा रहे आक्रमण के खिलाफ जोरदार आवाज बुलंद की गई थी।26 जनवरी को पूरे देश में किसान मजदूरो ने ट्रैक्टर व वाहन परेड निकालकर अपने विरोध को जाहिर कर दिया था। परंतु मोदी खट्टर की सरकारें अब एक बड़ा राजनीतिक खेल-खेल रही हैं। आजीविका को बर्बाद करने वाली नीतियों के खिलाफ किसान मजदूर में जो गुस्सा है उससे ध्यान भटकाने के लिए मंदिर निर्माण जैसे मुद्दों को राजनीतिक रूप से भुनाकर भाजपा चुनाव जीतना चाहती है। मेहनतकश लोगों को धर्म व जात-पात पर भी बांटने का षडयंत्र रचा जा रहा है। यही नहीं बल्कि बोलने और हकों के लिए आवाज उठाने पर दमन व उत्पीड़न करके देश में तानाशाही थोपी जा रही है। इस हालात में हमें पूरे खेल को समझ कर भाजपा सरकार के मंसूबों को विफल करना होगा। प्रदर्शन कारी मजदूरों, कर्मचारियों, किसानों को सीटू जिला प्रधान उर्मिला रावत, किसान मोर्चा के नेता सोहनपाल चौहान, नरेन्द्र सहरावत, बीधूसिंह, ताराचंद,सरोज,जगबती डागर, कृष्णा, सोनबती, रूपराम तेवतिया, दरियाब,छिदी सरपंच, राज पाल नंबरदार घोड़ी,दुली चन्द रामदास, बीर सिंह दलाल, मेवा राम, हरी सिंह चौहान औरंगाबाद, अजीत रहीमपुर, सतीश कमरावली, चन्द्र मुनि आर्य हुकम सिंह चौहान,राजू शर्मा, नन्द किशोर शर्मा ने सम्बोधित किया।