रेवाड़ी में इस बार जातीय समीकरण पर हो सकता है रोचक मुकाबला : विजय सोमाणी
City24news/ब्यूरो
रेवाड़ी। जब 1947 में देश आजाद हुआ तब से आज तक केवल यादव समाज से ही रेवाड़ी क्षेत्र से हल्का विधायक बनते आए हैं, ऐसा नहीं है कि अन्य बिरादरियों के लोग जिनमें गांवों में एससी व बीसी 60 से 70प्रतिशत जनप्रतिनिधित्व करते हैं, जैसे सरपंच, ब्लॉक समिति सदस्य, जिला पार्षद सदस्य व सामाजिक सरोकार, शिक्षा से जुड़े संस्थान व अन्य सभी कार्यों में अग्रिम भूमिका निभाते हैं। लेकिन जिस दिन वोट पड़ता है उसे दिन केवल दो ही परिवार ऊपर से नीचे तक व्यवस्था को काबू कर लेते हैं। ऐसे में 2024 विधानसभा चुनाव भी रोचक होने वाला है। पंजाबी समाज द्वारा राजनैतिक टिकट व भागीदारी की मांग इसकी शुरुआत है। रेवाड़ी विधानसभा में आजादी से आज तक कई प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा। जिसमें स्वतंत्रता सेनानी परिवार डाटा साहब जो आर.डी. सोमाणी के साथी थे, लाला हुकम चंद कसेरा, स्योलाल गुर्जर व पांच बार राष्ट्रीय नवचेतना मंच के राष्ट्रीय संयोजक विजय सोमाणी शामिल रहे।
यह पहली बार प्रयास है कि विधानसभा में टिकट की दौड़ व चुनाव लड़ने की ताकत शहर वासी जिनमें पंजाबी बिरादरी, वैश्य समाज, ब्राह्मण, सैनी व दलित भी अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। 6ठी बार विजय सोमाणी के निरंतर प्रयास किस करवट बैठते हैं यह बड़ा रोचक होने वाला है। यदि शहर व गांव में ये सामंजस्य फिट बैठता है तो परिणाम चौंकाने वाले व उन दो परिवारों की कूटनीति को तोड़ने का काम कर सकते हैं। जिसका परिणाम एससी, बीसी, जाट, गुर्जर, शहर में पंजाबी वैश्य, सैनी, ब्राह्मण का फार्मूला जैसे लोकसभा में राजबब्बर ने यादव व गैर यादव के बीच में एक बड़ी खाई बनाने का काम किया, वो खाई कितनी बरकरार रहती है यह आने वाला 2024 चुनाव तय करेगा। रेवाड़ी विधानसभा 2024 में करीब डेढ़ लाख वोट अन्य समाज की होती है जबकि 1 लाख वोट यादव समाज की है। जिनमें 5 से 7 कैंडिडेट कम से कम चुनाव में उतरते हैं परंतु अन्य बिरादरी में सशक्त उम्मीदवार जो निरंतर जनता की आवाज बनने का निरंतर दावा करते हैं। परंतु अबकी बार अन्य बिरादरियों की दावेदारी बढ़ रही है। जिसमें हो सकता है कि विजय सोमाणी की दावेदारी मजबूत या कमजोर हो। सूत्रों की माने या जिस प्रकार से अन्य जातियां टिकट मांग रही उस से लग रहा है रेवाड़ी में इस बार गैर अहीर का नारा भी लग सकता है।