16 वर्षीय बेटे को लीवर डोनेट कर महिला ने कायम रखी परिवार की खुशियां

0

Oplus_131072

-खेडी कांटी की महिला अनिता शर्मा बनी आमजन के लिए प्रेरणा स्रोत
 -लिवर ट्रांसप्लांट के लिए मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री राहत कोष सहित आम जन की मिली मदद

City24news/सुनील दीक्षित
कनीना | मां की ममता के आगे सबकुछ गौण है। जन्म देने के बाद संतान पर कोई मुसीबत आती है तो अनायास ही मां का आंचल मुसीबत को टालने के लिए बिछ जाता है। वह मुसीबत भले ही किसी ज्ञातण्अज्ञात शत्रु द्वारा खडी की गई हो या असाध्य व गंभीर बिमारी का रूप लेकर आई हो। ऐसा ही वाकया महेंद्रगढ जिले के अटेली विधान सभा के गांव खेडी कांटी में देखने को मिला है। जहां एक महिला अनिता शर्मा ने अपने जीवन की परवाह न करते हुए आर्थिक रूप से विषम परिस्थितियों व चुनौतियों का सामना करते हुए अपने 16 वर्षीय पुत्र लक्ष्य त्रिपाठी को लिवर डोनेट कर न केवल जीवनदान दिया है बल्कि परिवार की खुशियों को कायम रखने में अहम भूमिका निभाई है। अनिता शर्मा बीए पास होने के साथण्साथ कुशल गृहणी है जो पूरे परिवार को एकसूत्र में पिरौने में कामयाब रही है। उनके पति गांव में ही छोटी सी दुकान चला कर परिवार का पोषण कर रहे हैं।
11 कक्षा में पढने वाले बेटे लक्ष्य त्रिपाठी को जन्म से ही लीवर सम्बंधी समस्या थी, जिस पर चिकित्सकों ने 15-16 साल बाद लीवर ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी थी। परिजनों को तभी से उपयुक्त डोनर तलाशे जाने तथा लीवर ट्रांसप्लांट में होने वाले खर्चे की व्यवस्था बनाने को लेकर चिंता सताए जा रही थी। प्रदेश के नामी अस्पताल के चिकित्सकों ने लिवर ट्रांसप्लांट ऑपरेशन के लिए 22 लाख तथा दवा आदि फोलो करने के लिए 10-12 लाख रूपये अतिरिक्त खर्चें का एस्टीमेट बताया था। यह सुनकर परिजनों के पैरों तले से मानों जमींन खिसक गई। दिनोंदिन चिंता में डूबे परिजनों के सामने इतनी रकम का कोई जुगाड दिखाई नहीं दे रहा था। अंततः उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, प्रदेश की स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव, भिवानी महेंद्रगढ लोकसभा क्षेत्र के सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह, प्रधानमंत्री राहत कोष व शाॅसल मीडिया के जरिए ग्राम व क्षेत्रवासियों से सहयोग की अपील की। उसके बाद क्या था देखते-देखते उम्मीदों के द्वार खुल गए किंतु उपयुक्त लिवर डोनर नहीं मिला।
रकम की व्यवस्था होने के बाद लक्ष्य की मां अनिता शर्मा ने अपने बेटे को लीवर डोनेट करने की ईच्छा जताई। महिला की हिम्मत देख उनके भाई महिपाल ने रक्त देने का बीडा उठाया। सारी औपचारिक्ताएं पूरी होने के बाद गुरूग्राम के मेदांता अस्पताल में डाॅ नीलम मोहन की देखरेख में करीब 12 घंटे ऑपरेशन की कार्रवाई चली। जिसमें मां के लीवर को बेटे के लीवर की जगह प्रत्यारोपित किया गया। फिलहाल माण्बेटा स्वस्थ हैं जिन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया जा चुका है।
डाॅ राजेश शर्मा ने बताया कि लीवर दान कर महिला अनिता शर्मा ने अपने परिवार की खुशियों को जिंदा रखा है। हालांकि ग्रामीणों तथा परिवार के सद्स्यों ने पहले इस जोखिमभरा फैसला बताया लेकिन अनिता शर्मा बेटे के लिए लीवर डोनेट करने के फैसले पर अडिग रही। इस घटना के बाद महिला दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *