नगर निगम की लापरवाही से गिरी बड़खल के सरकारी स्कूल की दीवार
पांच कमरों के स्कूल में पढ़ते हैं ढ़ाई हजार बच्चें
बरसात के पानी में डूब जाता है बड़खल गांव का सरकारी स्कूल
17 में से 12 कमरे है जर्जर घोषित, सरकार चाह रही स्कूल को मॉडल बनाना
City24news/कविता गौड़
फरीदाबाद। बड़खल गांव के सरकारी स्कूल के निकट लोगों के द्वारा लाख बार रोकने के बाद भी नगर निगम ने स्कूल की दीवार के निकट ही डंपिंग यार्ड बना दिया था। उक्त स्थान पर पहले तलाब हुआ करता था, लेकिन अब वहां डंपिंग यार्ड बनाकर कचरा घर बना दिया, जिस कारण विद्यार्थियों को पहले ही पढ़ाई करने में परेशानियां हो रही थी। अब करीब एक हफ्ता पहले उक्त डंपिंग यार्ड के वजन के कारण स्कूल की दीवार गिर गई। हालांकि रविवार होने के कारण यहां किसी तरह की कोई बड़ी घटना घटित नहीं हुई, वर्ना यदि स्कूल के समय में दीवार गिरती, तो शायद कोई बड़ी घटना घटित हो सकती थी। हालांकि स्कूल के इस मामले को एक हफ्ते से दबाया गया और पत्र लिखवा कर इस मामले को दबा दिया गया। लेकिन बड़खल के निवासियों ने इस मुद्दे को 11 अगस्त के बाद एक बार फिर उठा दिया, मामला दबा नहीं रह सका। इस बारे में एक एडवोकेट ने फोटो वायरल करते हुए कहा कि स्कूल की दीवार गिरी हुई है, इसे एक हफ्ते बाद भी ठीक नहीं करवाया गया है। इस और न तो जिला शिक्षा अधिकारी ने ध्यान दिया और न ही शिक्षा मंत्री ने जबकि शिक्षा मंत्री इसी इलाके से विधायक से शिक्षा मंत्रालय में पहुंची थी।
ार जाता है पानी: ग्रामीणों ने बताया कि बरसात में यह स्कूल झील में तब्दील नजर आता है। जिस कारण स्कूल में कक्षाओं तक बच्चो ंको पहुंचने में भी पानी से होकर जाना पड़ता है। कई बार तो अध्यापकों ने स्कूली बच्चों की बरामदें में बैठाकर कक्षाएं ली है। वहीं स्कूल में पानी भरने से स्टाफ भी कक्षाओं और दफ्तर के बाहर घूमते नजर आते है। स्कूल सड़क से करीब चार फीट नीचा है। स्कूल के गेट से अंदर पहुंचने पर अंदर तलाब का दृश्य नजर आता है। जबकि इस स्कूल को मॉडल स्कूल का दर्जा दिलवाने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन यहां न तो लैब है और न ही कोई अन्य सुविधा।
यह है हाल: ग्रामीणों ने बताया कि बडखल गांव सीनियर सैकेंड्री स्कूल के बाहर की सड़क पर जगह जगह किचड़ और गड्ड़े है। गेट ऊंचा होने के कारण बाहर से तो स्कूल ठीक नजर आता है। लेकिन जब स्कूल के अंदर देखा, जाए तो यह बरसाती पानी का तलाब नजर आता है। वहीं स्कूल के कमरे इतने जर्जर हालत में है कि कक्षाओं में बरसात के दिनों में पानी टपकता है। जिससे कमरों में बैठाकर बच्चों को अध्यापक पढ़ा नहीं पाते। स्कूल परिसर में पानी इस तरह भर जाता है कि स्कूल में मौजूद क्लास रूमों तक बच्चे पहुंच नहीं पाते। जिस कारण बरामदें में बैठकर अध्यापक कक्षाएं लेते हैं।
यह है स्थिति: ग्रामीणों ने बताया कि करीब यहां ढ़ाई हजार की संख्या में पढ़ाई करने वाले बच्चों को 63 अध्यापक स्कूल के मात्र पांच कमरों में पढ़ा रहे हैं। स्कूल में 17 कमरे हैं। लेकिन इनमें 12 कमरों को कंडम घोषित किया हुआ है। जिस कारण स्कूल के केवल पांच कमरों में ही कक्षाएं चलती हैं। जिसमें दो शिफ्टों में यहां कक्षाएं लगाई जाती हैं। पहली शिफ्ट में सुबह सात से दोपहर साढ़े 12 बजे तक कक्षाएं लगती है। जिसमें छठीं से 12वीं तक के बच्चे पढ़ते हैं। इन बच्चों को 28 शिक्षक पढ़ते हैं। दूसरी पारी में दोपहर एक से शाम पांच बजे तक पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को 35 अध्यापक पढ़ाते हैं।