नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका में तीन दिवसीय तबलीगी जलसे का देश और दुनिया में अमन-चैन और शांति के लिए दुआओं के साथ समापन हुआ

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City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | तबलिगी जमात के अंतरराष्ट्रीय अमीर मौलाना शाद ने जलसे में पहुंचे लगभग दस लाख लोगों को दुआ पढ़ाई। अंतिम दिन जलसे में भारी भीड़ रही वहीं मेवात में ज्यादातर बाजार बंद रहे।

हरियाणा के नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका में चल रहे तीन दिवसीय इस्लामिक तबलीगी जलसे (इस्तीमा) के अंतिम दिन मुस्लिम समुदाय के लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।

तबलीगी जमात के अंतरराष्ट्रीय अमीर मौलाना साद साहब ने जलसे में दुआ के साथ कार्यक्रम का समापन किया। वहीं अमीर ने पूरे आलम के इंसानों की खैर , अमन-चैन व भाइचारा के लिए दुआएं कराई। इसके साथ ही हजरत मोहम्मद साहब के संदेश को लेकर जलसे से जमातें और विभिन्न राज्यों से आए मुस्लिम समुदाय के लोग भी रवाना हो गए। 

सोमवार को सुबह करीब 6:00 बजे मौलाना साद का बयान शुरू हो गया था जो 10:00 बजे तक चला। भीड़ इस कदर थी कि दिल्ली–अलवर रोड पर जाम की स्थिति बनी रही। करीब 4 किलोमीटर एरिया जलसा के लिए कवर किया था। जलपान पार्किंग हर तरह की व्यवस्था की गई थी। इस जलसे की कमेटी पिछले 4 महीने से इसकी तैयारी कर रहे थी। मौलाना हजरत साद ने लोगों को बुराइयों को छोड़ अच्छाई के रास्ते पर चलने की बात कहने के साथ मुसलमानों को दीनी तालीम दी। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म किसी भी धर्म या समाज को बांटने की बात नहीं करता उन्होंने कहा कि इस्लाम वो धर्म है अगर उसका पड़ोसी भूखा है तो पहले पड़ोसी को खाना खिलाया जाए। इतना ही इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग किसी भी इंसान को तकलीफ़ नहीं दे सकते।

शनिवार से शुरू हुआ था जलसा

फिरोजपुर झिरका शहर में अनाज मंडी के पीछे करीब 21 एकड़ भूमि में जलसे के लिए टेंट लगाया गया था ,तो करीब 100 एकड़ भूमि में शौचालय, पार्किंग, वजू खाना, मेडिकल से लेकर तमाम इंतजाम किए गए थे 

जलसे में तबलीगी जमात द्वारा अपने करीब 5 हजार वालंटियर व्यवस्था को बनाने के लिए लगाए गए थे। हालांकि पुलिस कर्मचारी जलसे के अंदर दिखाई नहीं दिए हैं,लेकिन बाहर यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए तैनात थे। 19 अप्रैल शनिवार की शाम मौलाना साद साहब द्वारा जलसे की शुरुआत की गई थी, जिसमें पहले दिन 50 से 60 हजार लोगों ने शिरकत की,वहीं दूसरे दिन जलसा सुनने के लिए 5 से 6 लाख मुस्लिम समुदाय के लोग पहुंचे और अंतिम दिन जलसे में लगभग दस लाख से भी ज्यादा लोग सामिल हुए।

दो दिन मौलाना साद ने मुसलमानों को बुराई के रास्ते को छोड़ अच्छाई के रास्ते पर चलने का दिया संदेश

दो दिन मौलाना हजरत साद ने लोगों को बुराइयों को छोड़ अच्छाई के रास्ते पर चलने की बात कहने के साथ मुसलमानों को दीनी तालीम दी हैं। मौलाना साद साहब ने कहा कि जो मुस्लिम जमीनों और रास्तों पर अवैध कब्जा करता है,।उसकी दुआ कभी कबूल नहीं होती। मौलाना साद ने कहा कि इस्लाम जानना इस्लाम नहीं है बल्कि अमल करना इस्लाम है। तकदीर पर ईमान लाना जरूरी है। ईमान केवल दिल में रखने की चीज नहीं है बल्कि जाहिर करने का जरूरी ईमान है। 

हजरत मौलाना साद ने कहा कि हम भारत में रहते हैं और यहां के कानून हमें मानने होंगे। सच्चा मोमिन ऐसा कोई काम नहीं करता जिससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे और जो कानून के खिलाफ हो। इस्लाम देश से बगावत की इजाजत नहीं देता और इस्लाम को मानने वाले लोग गलत काम नहीं कर सकते। इसलिए मोमिनों को गलत काम छोड़कर सही राह पर चलना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि सच्चे मुस्लिम को पांचों वक्त की नमाज पाबंदी के साथ अता करनी चाहिए और अपने बच्चों को मस्जिद जरूर लेकर जाना चाहिए। विशेष रूप से घर की बेटियों और महिलाओं को इस्लाम की शिक्षा देनी चाहिए। वह बोले, ‘नमाज अता नहीं करने पर मोमिन को किसी भी सूरत में माफी नहीं है। चलने फिरने में बीमार मोमिन को बैठकर नमाज अता करनी चाहिए। जान बूझकर एक नमाज छोडने पर दो करोड़ 88 लाख वर्ष जहन्नुम में जलना पड़ेगा।’ उन्होंने कहा कि व्यक्ति को चाहिए एक दूसरे के सुख दुख में काम आए।

अंतिम दिन खचाखच भर गया पंडाल 

तीन दिवसीय जलसा सोमवार को दुआ के साथ संपन्न हुआ। इसमें हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली , मुंबई, कर्नाटक सहित अन्य राज्यों से कई लोग शामिल हुए। सुबह जलसे में हजरत मौलाना साद साहब ने करीब 4 घंटे लगातार बयान किए तथा लगभग दोपहर 10 बजे के बाद उन्होंने दुनिया व देश में अमन-शांति व भाईचारे के लिए दुआएं कराईं। भीड़ इतनी थी कि सुबह से दिल्ली-अलवर रोड पर जाम की स्थिति बनी रही। 21 एकड़ में लगाया गया टेंट जहां छोटा पड़ गया ,वहीं मैदान भी लोगों से खचाखच भर गया। लोगों को पार्किंग दुकानों सहित अन्य जगहों पर बैठकर दुआएं मांगनी पड़ी। दुआ करने के पूर्व हजरत साहब ने दी अपनी हिदायतों में कहा कि एक मालिक की इबादत करो। जिसकी जमीन पर रहते हो, जिसकी हवा में सांस लेते हो। सामाजिक जीवन में अपने पड़ोसी का हक, अपने माता-पिता की सेवा और सभी का सम्मान करना चाहिए। हम सब इंसान बराबर के भाई-भाई हैं। पाप और गुनाहों से बचो और नेकी के रास्ते पर चलो। जो बातें खुदा ने हराम की हैं उन्हें त्याग दो।

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