नूंह जिले में करोड़ों रुपए की लागत से बने उप स्वास्थ्य केन्द्र अपनी बदहाली पर बहा रहे हैं आंसू 

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सीएचओ ना होने के चलते उप स्वास्थ्य केन्द्र में रखे सामान पर जम रही है धूल
ग्रामीणों ने बताया एक साल से नहीं खुल रहे हैं उप स्वास्थ्य केंद्र 
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | नूंह जिले में करोड़ों रुपए की लागत से हरियाणा सरकार द्वारा गांवों में बनाए गए ग्रामीणों के इलाज के लिए उप स्वास्थ्य केंद्र अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। सिविल सर्जन की माने तो इन उप स्वास्थ्य केंद्रों पर सीएचओ , एएनएम और जीएनएम की ड्यूटी लगाई गई है। जो उप स्वास्थ्य केन्द्र पर ग्रामीणों का इलाज करने के साथ-साथ गांव में गर्भवती महिलाओं को इंजेक्शन लगाने का काम करती हैं। लेकिन हद तो तब हो जाती है जब इन उप स्वास्थ्य केदो पर लगे कर्मचारियों के द्वारा इन्हें खोले हुए एक-एक साल बीत जाता है। जिससे लोगों के इलाज के लिए बनाए गए ये उप स्वास्थ्य केन्द्र अब खुद ही बिमारी का शिकार हो रहे हैं और अब इन्हें ही अपनी मरम्मत की जरूरत है।

आपको बता दें कि पिनगवां सीएचसी के अंदर स्वास्थ्य विभाग ने करोड़ों रुपए की लागत से मोहम्मदपुर,तेड और औथा गांव सहित जिले में कई उप स्वास्थ्य केंद्रों की बिल्डिंग बनाई थी। लोगों के इन बिल्डिंगों के बनने से लगा था कि उनके गांव में अब उप स्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिंग बन रही है और यहां पर लगे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारी अब उनका इलाज करेंगे। लेकिन लोगों ने बताया कि उनके गांव में यह स्वास्थ्य केंद्र तो बना दिए गए हैं, लेकिन इन उप स्वास्थ्य केंद्रों पर सामान आने के बाद इनको दोबारा खोला भी नहीं गया है और नहीं यहां पर कोई डॉक्टर या अन्य कर्मचारी बैठते हैं जिससे उनका इलाज कर सके। औथा गांव के दर्जन भर लोगों ने बताया कि गांव में मेन रोड पर उप स्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिंग बनाई गई थी, जिसे चारों ओर से बाउंड्री वॉल कर भव्य रूप देकर बनाया गया था और इस उप स्वास्थ्य केंद्र में बेड, कुर्सी और जरूरत का सभी सामान रखा गया था। ग्रामीणों ने बताया कि बिल्डिंग बनने के बाद लगा था कि अब उनके गांव में गरीब लोगों का इलाज सरकार द्वारा मुफ्त कराया जाएगा। लेकिन बिल्डिंग बनने के बाद उनके गांव में इस उप स्वास्थ्य केंद्र पर हमेशा ताला ही जड़ा रहता है। जिससे गरीबों को फिर निजी अस्पतालों में जाकर इलाज कराना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस उप स्वास्थ्य केंद्र से गांव के लोगों को कोई लाभ नहीं हो रहा है। जबकि सरकार ने लाखों रुपए इस बिल्डिंग को बनाने में खर्च किए हैं और इसमें रखा हुआ लाखों रुपए का सामान भी अब धूल जमने की वजह से खराब हो रहा है। ग्रामीणों ने मांग करते हुए कहा कि वह सिविल सर्जन से मांग करते हैं कि इस उप स्वास्थ्य केंद्र पर जिन भी कर्मचारियों की ड्यूटी है उन्हें परमानेंट भेजा जाए, ताकि गांव में बने इस लाखों रुपए की लागत से बिल्डिंग का ग्रामीणों को लाभ मिल सके।

क्या कहते हैं जिले के सिविल सर्जन डॉ सरबजीत थापर 

नूंह जिले के सिविल सर्जन डॉ सरबजीत थापर का कहना है कि उन्हें जानकारी मिली है कि यह उप स्वास्थ्य केंद्र हर रोज खुल रहा है और इस पर जिन कर्मचारियों की ड्यूटी है वह लगातार आ रहे हैं। अगर ऐसा नहीं है तो इसकी जांच कराई जाएगी और यहां पर लगे कर्मचारियों को लगातार बैठने के लिए कहा जाएगा। जिससे गांव में बने उप स्वास्थ्य केंद्र का लोगों को लाभ मिल सके और गरीब लोगों का इलाज किया जा सके।

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