शहीदी मीनार व राजा हसन खां का स्मारक बहा रहा हैं बदहाली पर आंसू

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-शासन प्रशासन कब सुध लेगा शहीद मीनार व राजा हसन खां के स्मारक की
City24News/अनिल मोहनिया

नूंह | शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगी

ये पंक्तियां शहीदों के प्रति व्यक्ति के सम्मान व भावनाओं को प्रदर्शित करती है। लेकिन शासन और प्रशासन की लापरवाही व अनदेखी की वजह से इन पंक्तियों का महत्व मात्र कागजों में ही सिमटकर कर रह गया है।उक्त बात सर्व जातीय सेवा समीती के उपाध्यक्ष रजत जैन ने बताते हुए बताया की स्वतंत्रता संग्राम में अपना अमूल्य योगदान व बलिदान देने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में दिल्ली अलवर मार्ग पर स्थित राजकीय महाविद्यालय नगीना के प्रांगण में प्रदेश सरकार ने एक शहीदी मीनार का निर्माण करवाया था। जिससे की युवा पीढ़ी को मेवात के गौरवशाली इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके । रजत ने बताया की जिसका उद्घाटन प्रदेश के तत्कालीन महामहिम डॉक्टर ए. आर. किदवई राज्यपाल ने 10 फरवरी 2009 को किया था । उसके पश्चात लगभग 15 वर्ष बाद प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 09 मार्च 2024 को राजा हसन खां की मूर्ति का अनावरण भी इसी परिसर में किया। जिसको लेकर मेवात की जनता में खुशी की लहर व्याप्त हो गई। लेकिन आज ये परिसर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।

सरकार व प्रशासन की अनदेखी:- रजत ने बताया की सरकार व प्रशासन की अनदेखी की वजह से शहीदी मीनार का स्थल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। राज हसन खां की वीरता की अनंत अद्भुत गौरव गाथा को प्रस्तुत करती हुई घोडा पर स्थापित मूर्ति बयां कर रही है। लेकिन शासन व प्रशासन की अनदेखी की वजह से ये स्मारक धीरे-धीरे जल्द ही खंडहर में तब्दील होने लगा है। राजा हसन खां मेवात की मूर्ति के नीचे स्थापित घोड़ा क्षतिग्रस्त होना प्रारंभ हो गया है। जिसको लेकर शासन व प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

जनता में भ्रामकता:- जब महाविद्यालय के परिसर में राजा हसन खां की मूर्ति लगाई गई तो जनता उस मूर्ति को तांबा की मूर्ति समझ रही थी। लेकिन उस मूर्ति पर तांबा के जैसा कलर किया गया था। जिसको लेकर जनता में भ्रामकता फैली हुई है। लेकिन अब जब मूर्ति के साथ लगा हुआ। घोड़ा क्षतिग्रस्त हो गया है। क्षतिग्रस्त होकर घोड़ा में छिद्र हो गया है तो इसकी सच्चाई भी सामने आने लगी है। इसका स्मारक पर लगाई गई मूर्ति व घोड़ा तांबा की धातु का नहीं है। वह प्लास्टिक या अन्य किसी धातु से निर्मित किया गया है।

पार्क की बदहाल स्थिति:- जहां स्मारक पर लगाया गया घोड़ा क्षतिग्रस्त है। वही सुंदर पार्क के नाम पर सूखी घास व गड्ढे हैं ।पार्क का दरवाजा भी गायब है। जिसकी वजह से इसमें पशु व जानवर भी विचरण करते रहते हैं। आखिर शासन व प्रशासन इस शहीदी मीनार व शहीद स्मारक की कब सुध लेगा । इस स्मारक व मीनार के परिसर में फैली अव्यवस्थाओं का कब निवारण करेगा। आखिर इसकी बदहाली के लिए कौन-कौन जिम्मेदार है ये यथार्थ प्रश्न जनमानस के बीच बना हुआ है।

मूर्ति अनावरण के दिन भी की लीपापोती:- जिला प्रशासन व स्मारक स्थापित कमेटी व अधिकारियों ने मूर्ति अनावरण पर भी लीपापोती कर तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को भी शायद मुगालते में रखा। क्योंकि राजकीय महाविद्यालय के मुख्य द्वार पर महाविद्यालय के जिस बोर्ड पर नाम लिखा था उसे बोर्ड पर दोबारा ठीक प्रकार से रंग रोगन ना करवा कर उस पर एक प्लास्टिक का बैनर लगाकर अपनी कार्य प्रणाली को छुपाने का प्रयास किया था। समय के साथ वो प्लास्टिक का बैनर तो फट गया और सच्चाई जनता के सामने आ गई।

पार्किंग के लिए तोड़ी गई। दीवार:- 10 फरवरी 2009 को बडकली चौक पर हुई तत्काली मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की रैली को लेकर कर यातायात को सुगम व व्यवस्थित बनाने के लिए राजकीय महाविद्यालय के प्रांगण की दीवार को भी तोड़ा गया था। लेकिन आज तक भी उस दीवार का पुनः निर्माण नहीं करवाया गया है। जो जिला प्रशासन की गंभीरता को दर्शाता है।

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