इंडिया-रशिया के नये समझौतों को लेकर दुनियाभर में बेचैनी

0

City24News/नरवीर यादव
फरीदाबाद
| हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन की संयुक्त प्रेस वार्ता में रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि रूस भारत की तीव्र गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था को आवश्यक तेल, गैस और कोयले की निरंतर आपूर्ति के लिए प्रतिबद्ध है। उल्लेखनीय है कि रूस दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक और गैस भंडार वाला देश है और पुतिन ने यह भी संकेत दिया कि पारंपरिक ऊर्जा से आगे बढ़कर दोनों देश परमाणु ऊर्जा में भी सहयोग बढ़ाएँगे जिसमें छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर, फ्लोटिंग न्यूक्लियर प्लांट तथा चिकित्सा एवं कृषि क्षेत्र में परमाणु तकनीकों का उपयोग शामिल है। इसके अलावा, भारत और रूस ने कुडनकुलम परमाणु परियोजना की प्रगति की समीक्षा की और भारत में एक दूसरे परमाणु संयंत्र स्थल पर चर्चा आगे बढ़ाई। यह भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा में निर्णायक योगदान देगा।
इसके अलावा, इस यात्रा की सबसे रणनीतिक उपलब्धि रक्षा क्षेत्र में संयुक्त निर्माण को बढ़ावा देना रही। रूस ने भारत में ही अपने हथियारों और सैन्य प्लेटफॉर्म्स के स्पेयर पार्ट्स और उपकरणों का उत्पादन करने पर सहमति दी। दोनों पक्षों ने उन्नत रक्षा प्रणाली के संयुक्त सह-विकास और सह-उत्पादन को पुनर्जीवित करने का निर्णय भी लिया। भारतीय सेनाओं की जरूरतों को देखते हुए संयुक्त उद्यमों से तीसरे देशों को निर्यात की संभावना भी टटोली गई। हम आपको बता दें कि यह पहली बार है जब रूस ने स्पष्ट रूप से “मेक इंडिया” के तहत अपने रक्षा परिवेश को भारत में शिफ्ट करने की दिशा में ठोस प्रतिबद्धता जताई है। उल्लेखनीय है कि सशस्त्र बलों की यह लंबे समय से शिकायत रही है कि रूस से महत्वपूर्ण पुर्जों और उपकरणों की आपूर्ति में काफी समय लगता है, जिससे देश से खरीदी गई सैन्य प्रणालियों का रखरखाव प्रभावित होता है। इस संबंध में भारत और रूस द्वारा जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया, ‘‘दोनों पक्ष प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से ‘मेक-इन-इंडिया’ कार्यक्रम के तहत रूसी हथियारों और रक्षा उपकरणों के रखरखाव के लिए पुर्जों, घटकों और अन्य उत्पादों के भारत में संयुक्त विनिर्माण को प्रोत्साहित करने पर सहमत हुए।’’ संयुक्त वक्तव्य के अनुसार, दोनों पक्ष भारतीय सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संयुक्त उद्यम स्थापित करने तथा पारस्परिक रूप से मित्रवत तीसरे देशों को निर्यात करने पर भी सहमत हुए। संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि भारत-रूस रक्षा साझेदारी को उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी और प्रणालियों के संयुक्त सह-विकास और सह-उत्पादन के लिए पुनः शुरू किया जा रहा है। हम आपको यह भी बता दें कि दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके रूसी समकक्ष आंद्रे बेलौसोव ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया। बैठक में भारतीय पक्ष ने अपनी युद्धक क्षमता को बढ़ाने के लिए रूस से एस-400 मिसाइल प्रणालियों की अतिरिक्त खेपों की खरीद में गहरी रुचि दिखाई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed