नगीना की होली का महत्व व अंदाज निराला :- रजत जैन

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आपसी प्रेम, भाईचारा सौहार्द ,एकता, सद्भावना की मिसाल है नगीना की होली: रजत जैन
नगीना जैसी होली का आनंद ओर कहीं नहीं: रजत जैन

City24news/अनिल मोहनिया
नूंह । वैसे तो पूरे भारतवर्ष में होली का पर्व पूरे उत्साह व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लेकिन कस्बा नगीना में मनाए जाने वाली होली का अपना महत्व व अंदाज निराला है। कस्बा नगीना में मनाए जाने वाली होली के पर्व को लेकर संवाददाता ने सामाजिक कार्यकर्ता रजत जैन से विशेष बातचीत की होली पर नगीना में क्या-क्या होता है क्या नहीं होता है और समय के साथ-साथ होली पर क्या-क्या बदलाव हुए। रजत जैन के अनुसार फाग का महीना रंगों की बहार,गुंजियों की सौगात, भांग का तड़का,अटपटे सवालों के चटपटे जवाब, लोकगीतों का संगम मूर्ख का किरदार सखियों की ठीठोली,युवाओं की टोली हिंदू मुस्लिम के आपसी प्रेम व भाईचारे की महक, ढोल नगाड़ों की गूंज होली मिलन समारोह में आपकी प्यार व सद्भावना का मेलमिलाप,, डीजे का मधुर संगीत, यही तो है नगीना की होली। रजत ने बताया की देश के अन्य हिस्सों में मनाए जाने वाली होली से अलग कस्बा नगीना में मेवात की सभ्यता व संस्कृति के साथ मनाए जाने वाली होली का अंदाज भी निराला है। होली पर विशेष रूप से बनाए जाने वाले भांग के पकोड़े व ठंडाई होली का आकर्षण को और अधिक बढ़ा देते हैं वहीं ढोल नगाड़ों की थाप के साथ युवाओं के द्वारा हर आयु वर्ग के व्यक्ति के साथ मिलकर कस्बा की गलियों में मिलकर निकलने वाली टोलिया व मजाकिया अंदाज में अटपटे सवालों के चटपटे जवाब होली की ठीठोली में चार चांद लगाकर उसकी खूबसूरती को और बढ़ा देते हैं।

लोकगीतों का संगम:- होली पर युवाओं के द्वारा गए गए लोकगीत मेवात की पावन पवित्र माटी (मिट्टी) की सुगंध होली के रस में घोल देती हैं। लोकगीत नगीना तोमें काई का टोटा,नगीना तोमें पानी का टोटा जैसे लोकगीत गाते हैं जो नगीना में पानी की समस्या को प्रदर्शित करते नजर आते है।

मूर्ख का हास्य किरदार:- कस्बा के मनचली युवा कस्बा में एक बुद्धिमान व्यक्ति को होली पर उसे मूर्ख का किरदार के रूप में चुनते हैं जिसे पूरे कस्बा में गधे पर बैठ कर घूमते हैं यह होली में हास्य व्यंग्य की भूमिका को निभा कर लोगों का मनोरंजन कर कर उन्हें लोटपोट कर देता है।

सखियों की ठीठ़ोली:- लड़कियां आपस में हंसी मजाक कर कर एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर होली का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाती है।

आपसी प्रेम व भाईचारा:- हिंदू मुस्लिम समुदाय के प्रेम भाईचारा के कुछ संजोए होली इनके आपके रिश्ते को और अधिक मजबूत करते हुए प्रेम भाईचारे की भीनी भीनी महक घोलकर आपसी एकता को ओर अधिक मजबूत करती है।

घरों में बनाए जाते है व्यंजन:- घरों में ग्रहण में परिजनों के सहयोग से विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं जिनमें मुख्य रूप से दाल बाटी चूरमा,गट्टा की सब्जी, खीर पूरी ,हलवा, इडली डोसा,साम्भर बड़ा, पुआ पकौड़ी दही बड़ा , आदि विशेष रूप से स्वादिष्ट बनाए जाते हैं।

छोटे लेते हैं बड़ों का आशीर्वाद:- आयु वर्ग व नाते में छोटे अपने से बड़ों के चरण स्पर्श कर कर उनसे आशीर्वाद लेते हैं बड़े भी सहर्ष उनके जीवन की दीर्घायु व मंगल कामना के साथ उन्हें अपना प्रेम से परिपूर्ण मंगल आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

होली मिलन समारोह:- प्राचीन शिव मंदिर स्थल पर होली मिलन समारोह का आयोजन किया जाता है जिसमें हर आयु वर्ग का व्यक्ति सम्मिलित होकर होली की खुशी को दोगुनी कर देते हैं होली मिलन समारोह में पारंपरिक खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है उसके पश्चात कढी कचौडी गुंजियों अन्य मिष्ठान व पकवान वितरित किया जाता है।

युवाओं की तैयारी:- होली के पर्व पर युवाओं के द्वारा गोहरवाली चौक में डीजे की व्यवस्था की जाती है जिसमें पारंपरिक गीत व भजन चलाकर युवा उनकी मधुर धुनों पर मनभावन नृत्य कर उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर देते है।

टामक की थाप से बढ़ता है उत्साह :- होली पर टामक (छोटा नगाड़ा) निकाला जाता है जो ये सूचना देता है कि होली की टोली अब निकल चुकी है आप सब होली के लिए तैयार हो जाए ,टामक की थाप पर हर आयु वर्ग के व्यक्ति का उत्साह देखने योग्य होता है नीचे मार्ग पर होली की टामक बजती है और घरों से टोली पर रंग बिरंगे,रंग, गुलाल पानी के भरे गुब्बारे,व पानी फेंका जाता है जिससे टोली वालों का भी उत्साह कई गुणा बढ़ जाता है।

अब ये नहीं होता:- होली का पर्व समीप आते ही एक पखवाड़ा पहले ही कस्बा के युवाओं के द्वारा दीवारों पर हास्य व्यंग्य श्लोकन लिखना प्रारंभ कर देते थे। दुकानों व प्रतिष्ठानों पर कीचड़ के भरे मटके( बिल्टी) फोड़ना शुरू कर देते थे लेकिन अब यह परंपरा बंद है ।बाजार के मध्य में एक बहुत ऊंचा मंच बनाया जाता था जिस पर हास्य व्यंग्य का कार्यक्रम होता था लेकिन अब यह भी बंद हो चुका है।

होली के बाद गुजियों की सौगात:- होली खेलने के बाद देवर व जीजा जी अपनी भाभियों में सालियों को भेंट स्वरूप घर जाकर गुंजिया उपहार में उपहार में देते हैं जिस घर का सारा वातावरण गुंजियों की मीठास जैसा हो जाता है।

नगीना कस्बा का आपसी प्रेम भाईचारा सद्भावना सौहार्द एकता दूसरे गांवो के लिए भी एक मिसाल के रूप में कार्य कर रही है।

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