तंजीम फरोग ए उर्दू कि आम मीटिंग बड़ी धूमधाम से हुई

City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | हरियाणा राज्य में उर्दू जबान के प्रचार-प्रसार के लिए तंज़ीम फरोग-ए-उर्दू मेवात के पदाधिकारियों का आम चुनाव के बाद पहली आम मीटिंग नूँह जिले के एवरग्रीन पब्लिक स्कूल पुन्हाना में बड़ी धूमधाम से सम्पन्न हुई। डॉ. कमरुद्दीन जाकिर की अध्यक्षता में यह आम मीटिंग आयोजित कि गई। जिसमें बड़ी संख्या में उर्दू प्रेमियों ने भाग लिया। तंज़ीम फरोग ए उर्दू मेवात के पूर्व अध्यक्ष जनाब मौलाना सिद्दीकी सनाबली ने अपने संगठन के पिछले कार्यों को प्रस्तुत किया और मेवात क्षेत्र में संगठन द्वारा प्रदान की गई सेवाओं, विशेष रूप से सार्वजनिक स्कूलों में उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति पर प्रकाश डाला। इसके अलावा डॉ. मुहम्मद अज़ीज़ ने तंज़ीम के कार्यों पर विशेष चर्चा, कि और आगे भी लोगों को किस तरहा जागरूक किया जाए, इन पहलुओं पर विशेष बात हुई ,संगठन के अध्यक्ष मास्टर नसीम अहमद ने संगठन की गतिविधियों को प्रस्तुत किया तथा भविष्य की महत्वाकांक्षाओं को भी रेखांकित किया।
पूर्व अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद सिद्दीक सनाबली ने स्कूलों में एमआईएस(MIS) की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसके लिए हमें गांवों में जाकर लोगों को उर्दू के प्रति जागृत करना होगा क्योंकि जब तक उर्दू को तीसरी भाषा के रूप में बच्चों के लिए एमआईएस पर उर्दू नहीं दिलवायेंगे, तब तक उर्दू के पद स्कूलों में नहीं खुलेंगे, सोचने कि बात यह है कि नूँह जिले में लगभग 95 प्रतिशत लोग उर्दू जानते है मगर अपने बच्चों को स्कूलों में उर्दू नहीं दिला पाते, क्योंकि उनके बगैर बच्चों को उर्दू के आलावा दूसरा विषय दे दिया जाता है, जो बिल्कुल गलत है, जब बच्चा उर्दू पढ़ना चाहता है तो फिर उन्हें उर्दू क्यों नहीं दी जाती, क्योंकि अब स्कूलों में तीन विषय में से कोई एक पढ़ना पड़ता है, उर्दू, संस्कृत, और पंजाबी, इनमें से कोई एक विषय लेना जरुरी है, जब सभी उर्दू जानते है तो उर्दू क्यों नहीं दी जाती, जबकि वो पहले से ही उर्दू जानते है और उनकी मातृभाषा उर्दू ही है। ये बच्चें कि पसंद या माता-पिता के द्वारा दिलवाया जाए। पूर्व आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. कमरुद्दीन
जाकिर ने कहा कि यह बहुत अफसोस की बात है कि जब हम देखते हैं कि कब्रिस्तानों और मस्जिदों में भी उर्दू का प्रयोग नहीं हो रहा है, उर्दू के स्थान पर अन्य भाषाओं का प्रयोग हो रहा है,जब हम दूसरी भाषा लिखते है तो साथ में उर्दू भी लिख सकते है, जो बोर्ड दुकानों पर दूसरी भाषा में लिखते है तो साथ में उर्दू भी लिख सकते है ताकि उर्दू का फरोग हो। उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा में रोजगार के खूब ज्यादा अवसर हैं। आप मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी जिसका रिजिनल सेंटर नूँह पल्ला में चल रहा, और आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज नूँह में बहुत जल्द शुरू होने वाला है। इसके अलावा अशरफ मेवाती, प्रिंसिपल कमर अली, प्रिंसिपल अब्दुल नाफे, मास्टर असलम, मास्टर अब्दुल कय्यूम, मास्टर खालिद आकेडा सहित अन्य ने भी शिक्षा के प्रचार-प्रसार के संबंध में कई महत्वपूर्ण राय व्यक्त की। एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए निदेशक का दायित्व निभा रहे युवा डॉक्टर अब्दुल अज़ीज़ ने कहाँ कि जिले के स्कूलों के साथ-साथ सरकारी कॉलेजों में भी उर्दू प्रोफेसरों की नियुक्ति की जानी चाहिए।ताकि बच्चा आगे भी अपनी पढ़ाई जारी रख सके। इस अवसर पर डॉ.मुश्ताक अहमद तिजारवी के संरक्षण में प्रकाशित होने वाली पत्रिका नया भारत का भी विमोचन किया गया। इस मौका पर ज़ाकिर हुसैन,हाफ़िज़ इमरान, मौलाना नासिर, भाई इमरान, मास्टर नजमुद्दीन, मास्टर हकीमुद्दीन,मास्टर असलम, उर्दू व्याख्याता मौलाना इश्तियाक, मास्टर शौकत,मास्टर मुबारिक, मास्टर अब्दुल कादिर, मास्टर आरिफ, भाई राशिद निज़ामी, मास्टर अब्दुल वकील, मास्टर इरशाद और खालिद मेवाती घासेड़ा आदि सैकड़ों की संख्या में उर्दू प्रेमी शामिल हुए। तंज़ीम फरोग ए उर्दू के अध्यक्ष ज़नाब नसीम संगेल के द्वारा दुआ के साथ बैठक समाप्त हुई।