आस्था का धंधा करने वालों का खेल खत्म

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City24News/नरवीर यादव
फरीदाबाद
| अब इस खेल पर ब्रेक लगने लगा है। भारत सरकार ने आधिकारिक, सरकार-मान्य और अंतरराष्ट्रीय रूप से स्वीकार्य हलाल प्रमाणन को लागू कर उस पूरे नेटवर्क की जड़ पर चोट की है, जो आस्था की आड़ में कारोबार और संभावित रूप से आतंकी फंडिंग का रास्ता खोलता रहा। ओमान द्वारा भारत के सरकारी हलाल सर्टिफिकेट को मान्यता दिया जाना सिर्फ़ निर्यातकों के लिए राहत नहीं है, यह उस अनियंत्रित सिस्टम के खिलाफ सीधी कार्रवाई है, जिसे अब तक कोई छूने की हिम्मत नहीं कर रहा था। यह कदम साफ़ संदेश देता है कि आस्था का सम्मान होगा, लेकिन आस्था के नाम पर लूट, दलाली और संदिग्ध फंडिंग अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
देश-विदेश में वर्षों से हलाल सर्टिफिकेशन एक संगठित धंधा बन चुका है। कुछ निजी संस्थाएँ खुद को ‘धर्म का ठेकेदार’ घोषित कर मोटी फ़ीस के बदले हलाल सर्टिफिकेट जारी करती हैं वह भी बिना किसी सरकारी निगरानी, बिना पारदर्शिता और बिना जवाबदेही के। इन्हीं संस्थाओं को लेकर बार-बार यह गंभीर सवाल उठते रहे हैं कि उनके पास इकट्ठा हुआ पैसा आखिर जाता कहाँ है। जाँच एजेंसियों और सुरक्षा विशेषज्ञों ने भी आगाह किया है कि जब पैसा बिना नियंत्रण के बहे, तो वह टैरर फंडिंग जैसे खतरनाक रास्तों पर भी जा सकता है।
समस्या यह थी कि मुस्लिम देशों में खासकर खाड़ी बाज़ारों में, हलाल प्रमाणन के बिना भारतीय मांस और खाद्य उत्पाद बेचना लगभग नामुमकिन था। इस मजबूरी का फायदा उठाकर वही निजी संगठन निर्यातकों की गर्दन पर सवार रहे। सर्टिफिकेट चाहिए तो उनकी शर्तें मानो, उनकी कीमत दो, उनकी व्यवस्था स्वीकार करो, चाहे वह कितनी ही अपारदर्शी क्यों न हो। सरकार की गैरमौजूदगी में यह समानांतर सत्ता वर्षों तक फलती-फूलती रही।
पीयूष गोयल ने बताया है कि ओमान पहला ऐसा देश बन गया है जिसने आधिकारिक रूप से भारत के हलाल मांस प्रमाणन को मान्यता दी है। हम आपको बता दें कि इससे पहले खाड़ी देशों और अन्य इस्लामिक देशों में हलाल प्रमाणन के नाम पर अनौपचारिक और अपारदर्शी प्रक्रियाएँ चल रही थीं। भारत पिछले तीन–चार वर्षों से प्रयास कर रहा था कि इन देशों को औपचारिक और सरकार स्वीकृत हलाल प्रमाणन प्रणाली अपनाने के लिए राज़ी किया जाए।
इस समझौते के तहत ओमान भारत के हलाल प्रमाणन को सीधे स्वीकार करेगा, जिससे दोहराव वाली जाँच, अतिरिक्त प्रमाणन और अनावश्यक लागत से भारतीय निर्यातकों को राहत मिलेगी। इससे न केवल निर्यात लागत घटेगी, बल्कि भारतीय उत्पादों की बाज़ार तक पहुँच भी तेज़ और आसान होगी। पीयूष गोयल ने साफ शब्दों में कहा कि भारत अब सभी 55 इस्लामिक देशों के साथ इसी तरह की व्यवस्था लागू कराने के लिए सक्रिय बातचीत करेगा।

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