City24News/नरवीर यादव
फरीदाबाद
| 2025 भारत और विश्व के लिए घटनाओं से भरा एक असाधारण कालखंड रहा। यह वर्ष केवल कैलेंडर का एक अध्याय नहीं, बल्कि अनुभवों, उपलब्धियों, त्रासदियों, संघर्षों और उम्मीदों की एक जीवंत कहानी बन गया। शायद ही कोई महीना ऐसा रहा हो जिसने समाज, राजनीति, कूटनीति, विज्ञान, खेल या जनमानस को किसी न किसी रूप में प्रभावित न किया हो।

जनवरी माह की बात करें तो आपको बता दें कि साल की शुरुआत प्रयागराज महाकुंभ से हुई, जिसने भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक शक्ति का विराट प्रदर्शन किया। करोड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इसे विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बना दिया। गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर आस्था का यह महासागर जहां एक ओर भारत की परंपराओं की गहराई दिखाता है, वहीं अत्यधिक भीड़, यातायात अव्यवस्था और कुछ स्थानों पर अफरातफरी ने प्रशासनिक तैयारियों और भीड़ प्रबंधन की चुनौतियों को भी उजागर किया। यह आयोजन आस्था और सुरक्षा के संतुलन की आवश्यकता का प्रतीक बन गया।
फरवरी महीना दिल्ली के लिए अत्यंत संवेदनशील और निर्णायक साबित हुआ। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर महाकुंभ यात्रियों की अचानक बढ़ी भीड़ के कारण मची अफरातफरी में कई निर्दोष लोगों की जान चली गई। इस त्रासदी ने सार्वजनिक परिवहन की तैयारी और आपात प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े किए। इसी महीने दिल्ली विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर लंबे अंतराल के बाद पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की, जबकि आम आदमी पार्टी के राजनीतिक प्रभाव में स्पष्ट गिरावट देखी गई।

मार्च अपेक्षाकृत शांत रहा, लेकिन इसी महीने खेल प्रेमियों के बीच एशिया कप को लेकर उत्साह चरम पर पहुंचा। भारत ने दुबई में तीसरी बार आईसीसी चैम्पियन्स ट्रॉफी जीतकर नया इतिहास रच दिया। इसी महीने महाराष्ट्र के नागपुर में हिंसा भड़की जिसमें 30 लोग घायल हो गये और जानमाल का काफी नुकसान हुआ।

अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला पूरे देश के लिए गहरा आघात साबित हुआ। पर्यटकों को निशाना बनाकर किए गए इस हमले ने यह स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद का खतरा अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। निर्दोष नागरिकों की मौत ने जनमानस को झकझोर दिया और राष्ट्रीय सुरक्षा पर बहस तेज हो गई।

मई में भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध अपनी बदली हुई रणनीति का परिचय दिया। भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के तहत सीमापार आतंकी ठिकानों पर निर्णायक कार्रवाई की गई। इस अभियान ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अब केवल संयम नहीं, बल्कि ठोस और प्रभावी कार्रवाई की नीति पर आगे बढ़ चुका है

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