असर दिखाएगी साख पर सवाल उठाने वालों पर आयोग की सख्ती
सत्ता के लिए छटपटा रही कांग्रेस के असल प्रमुख राहुल गांधी की यात्रा ‘चौकीदार चोर है’ से ‘वोट चोरी’ तक पहुंच गई है। ‘चौकीदार चोर है’ को लेकर अदालत में माफी मांग चुके राहुल गांधी के सामने पहले की ही तरह संकट आ गया है। वोट चोरी की अवधारणा को जिस तथ्य के आधार पर वे भारतीय जनमानस में परोसने की कोशिश में जुटे हैं, उस तथ्य के जनक ने ना सिर्फ अपना तथ्य वाला ट्वीट डिलीट कर दिया है, बल्कि एक तरह से माफी भी मांग ली है। यह बात और है कि इस तथ्य के जनक और सीएसडीएस-लोकनीति के निदेशक संजय कुमार की माफी से चुनाव आयोग नहीं पसीजा है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के निर्देश पर संजय कुमार के खिलाफ लोक प्रतिनिधित्व कानून और भारतीय न्याय संहिता के तहत मामला दर्ज हो गया है। यहां यह बताना जरूरी है कि अगर संजय कुमार पर देश को भड़काने, चुनावी आंकड़ों में हेराफेरी करके देश को गुमराह करने का आरोप साबित होता है तो सात साल तक की सजा हो सकती है। दिलचस्प यह है कि कांग्रेस के बड़बोले प्रवक्ता पवन खेड़ा भी अपना ट्वीट डिलीट करके मैदान से भाग खड़े हुए हैं। हालांकि राहुल गांधी बिहार की धरती पर अपने तेजस्वी भाई के साथ अब भी इसी नैरेटिव के साथ घूम रहे हैं। चुनाव आयोग के रूख से नहीं लगता कि वे वोट चोरी के कथित आरोप और चुनावी आंकड़ों की हेराफेरी को लेकर मामला दर्ज कराने जा रहा है। लेकिन इतना तय है कि चुनाव आयोग के रडार पर कुछ और लोग, उनके पिछलग्गू यू ट्यूबर और कुछ पत्रकार भी हैं। आयोग उनकी गलतबयानियों पर गौर कर रहा है और लगता ऐसा है कि उनके खिलाफ भी मामले दर्ज किए जाएंगे।
इस हालत में सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी एक बार फिर ‘चौकीदार चोर है’ को लेकर जिस तरह माफी मांग चुके हैं, वैसे क्या ‘वोट चोरी’ को लेकर भी माफी मांगेंगे? चूंकि वे देश के पहले राजनीतिक परिवार के वारिस हैं, लिहाजा हो सकता है कि माफी ना मांगने की हवाबाजी करें। ठीक है कि उनके खिलाफ आयोग सीधे मामला ना दर्ज करना चाहे, लेकिन आयोग के तथ्यों और संजय कुमार के रणछोड़ कदम की बुनियाद पर कोई न कोई व्यक्ति अदालत की शरण में जा सकता है। ऐसे में राहुल के सामने माफी मांगने की ही नौबत आएगी। अपनी जो अदालती और प्रशासनिक प्रक्रिया है, उसमें अगर ऐसी ही गलती कोई आम आदमी करता तो उसे प्रशासनिक तबका अब तक सूली पर चढ़ा होता और अदालतें भी उसे दंडित करने में कसर नहीं छोड़तीं। लेकिन राहुल के साथ ऐसा नहीं होगा, वे माफी मांगेंगे और कांग्रेसी राज से चापलूसी करने वाला मीडिया का एक तबका उस क्षमा याचना को विशिष्ट बताते हुए उसे महानता का नया महाकाव्य बताने लगेगा। फिर भी कह सकते हैं कि चुनाव आयोग के इस कदम का असर तीखा होगा।
वैसे से अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन लगता है कि डीप स्टेट भारतीय चुनाव आयोग को साखहीन बनाकर भारत की चुनावी प्रक्रिया को बदनाम करने की कोशिश में ठीक वैसे ही है, जैसे बांग्लादेश में हुआ। जिस तरह बांग्लादेश में इस बुनियाद पर शेख हसीना का तख्तापलट हुआ, कुछ ऐसा ही करने की मंशा डीप स्टेट को ‘वोट चोरी’ के नैरेटिव के बहाने दिख रही है। ऐसे में चुनाव आयोग से ऐसे ही जरूरी कदम की अपेक्षा थी। उम्मीद की जानी चाहिए कि आयोग के इस कदम से शरारती तत्व बाज आएंगे। वैसे आयोग को बड़े नेताओं को भी खुला और कड़ा जवाब देना होगा। उसका तरीका क्या हो, यह उसे ही तय करना होगा।