तीर्थंकरों की जन्मस्थली हस्तिनापुर में होगा, आचार्य श्री 108 ज्ञानभूषण जी मुनिराज का 33 वां चातुर्मास

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City24news/अनिल मोहनिया
हस्तिनापुर में आचार्य श्री 108 ज्ञानभूषण का चातुर्मास होने से जनमानस में उत्साह व हर्षोल्लास की लहर
नूंह |हस्तिनापुर की पावन पूण्य पुनीत धरा का कण-कण पूजनीय व वन्दनीय है।सर्व जातीय सेवा समिति के उपाध्यक्ष रजत जैन ने उक्त जानकारी देते हुए बताया की इस धरा पर मनोज्ञ धाम प्रणेता 21वीं सदी के वात्सल्य मूर्ति आचार्य श्री 108 ज्ञान भूषण जी मुनिराज “रत्नाकर” का ससंघ मंगल चातुर्मास श्री दिगम्बर जैन मंदिर हस्तिनापुर,-मेरठ -उत्तर प्रदेश में होना निश्चित हुआ है। जिसको लेकर जनमानस में उत्साह व हर्षोल्लास का वातावरण व्याप्त है। हस्तिनापुर नगरी का है विशेष महत्व :- रजत जैन ने बताया की जैन धर्म में पौराणिक सांस्कृतिक , नगरी हस्तिनापुर का विशेष आध्यात्मिक व धार्मिक महत्व है। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ ने प्रथम पारणा (आहार) इसी भूमि पर लिया था। जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से 16 वें तीर्थंकर शांतिनाथ, 17 वें तीर्थंकर कुंथुनाथ, और 18 वें तीर्थंकर अरनाथ का जन्म इसी पावन, पुनीत, पुण्य , धरा (भूमि) पर हुआ था । जिसकी वजह से इस भूमि का कण कण परम सम्मानीय,परमआदरणीय, परम पूजनीय ,वन्दनीय है। परम सौभाग्य की बात है की इस बार आचार्य श्री 108 ज्ञान भूषण जी मुनिराज का तैतीस वां ( 33 वां ) चातुर्मास गुरुपूर्णिमा के मंगल दिवस आषाढ़ शुक्ल पक्ष 10 जुलाई से प्रारंभ होकर कृष्ण पक्ष की अवामावस्या 21 अक्टूबर दीपावली तक श्री दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर हस्तिनापुर,- मेरठ ( उत्तर प्रदेश) में होगा।

ससंघ होगा चातुर्मास:- रजत जैन ने बताया की आचार्य श्री 108 ज्ञानभूषण जी मुनिराज का ससंघ चातुर्मास होगा।जिसमें आचार्य श्री के अतिरिक्त धर्म वत्सल प्रभाविका क्षुल्लिका श्री 105 ज्ञानगंगा माता जी,क्षुल्लिका श्री 105 ज्ञानवाणी माता जी, क्षुल्लिका श्री 105 ज्ञानवर्षा माता जी, क्षुल्लक श्री 105 ऋजुभूषण जी महाराज, ब्रह्मचारिणी भारती दीदी के अतिरिक्त कई ब्रह्मचारिणी, ब्रह्मचारी त्यागीव्रती भी चातुर्मास में सम्मिलित रहगे।

कहां कहां हुए है आचार्य श्री के चातुर्मास:- रजत जैन ने बताया की इसबार प्रथमबार हस्तिनापुर में चातुर्मास हो रहा है।जिसको लेकर जनमानस में अपार (जबरदस्त )उत्साह, आकर्षण,हर्षोल्लास के वातावरण व्याप्त है।इससे पूर्व मुनिराज का 1993 में रामगढ़,1994 नगलीपुना, 1995 मुजफ्फरनगर,1996 फिरोजपुर झिरका,1997 कैराना, 1998 कैलाशनगर दिल्ली,1999 बरनावा, 2000 मोदीनगर,2001 ईसरी, 2002 फिरोजपुर झिरका, 2003 बड़ौत,2004 नौगांवा, 2006 कांधला, 2006 बड़ागांव,2007 सीकरी,2008 पलवल, 2009 बोलखेड़ा, 2010 मौजपुर दिल्ली,2011तिजारा, 2012 नगलीपूना,2013 रामगढ़, 2014 सेक्टर -16 फरीदाबाद, 2015 शामली, 2016 मनोज्ञधाम, 2017 फिरोजपुर झिरका, 2018 मथुरा, 2019 मोदीनगर, 2020 फिरोजपुर झिरका, 2021 सीकरी, 2022 मोदीनगर, 2023 फिरोजपुर झिरका,ओर 2024 में गुरुग्राम में आचार्य श्री 108 ज्ञानभूषण जी मुनिराज का चातुर्मास सम्पन्न हुआ।

क्या होता है चातुर्मास:- जैनधर्म की परंपरा के अनुसार मुनिराज श्री,महाराज श्री,,आर्यिका जी, वर्षाऋतु काल के चारमाह में विहार नहीं करते है। इसे चातुर्मास व वर्षा योग भी कहते हैं। अपने आवागमन के लिए एक निश्चित दूरी की रेखा (सीमा) स्वेच्छा से निर्धारित कर लेते हैं।अपने आध्यात्मिक कल्याण व आत्मकल्याण , व सत्य,दया,अहिंसा,करुणा व जीवमात्र की रक्षा के निमित्त ( हेतु ) एक नगर/ग्राम में ही प्रवास ( निवास ) करते हैं।वर्षाऋतु काल मे जीवजंतुओ की उत्पत्ति ( वृद्धि ) अत्यधिक तेज गति से होती है। 

तीर्थंकरों की धरा पर ज्ञान के द्वारा होगी ज्ञान की अमृतवर्षा :- रजत ने बताया की तीर्थंकरों की जन्मस्थली की पावन- पवित्र- पुण्य धरा पर आचार्य श्री 108 ज्ञानभूषण जी मुनिराज अपने तप, त्याग,तपस्या, संयम,धैर्य, चारित्र,आचरण, करुणा,दया,प्राणिमात्र के प्रतिमैत्री भाव का अद्भुत मिलन का सौभाग्य प्राप्त होगा। एक बार फिर तीर्थंकरों की नगरी जीव दया ,तप,ज्ञान,अहिंसा, सत्य,दया,त्याग व धार्मिक प्रभावना में वृद्धि के साथ प्राणिमात्र के प्रति मैत्रीभाव के गुणों आदि के ज्ञान, अमृतमय प्रवचनों से चारमाह तक जीवमात्र के आत्मकल्याण,आत्मज्ञान, आध्यात्मिक ज्ञान की धार्मिक प्रभावना के निमित्त ज्ञानमय अमृतवर्षा करगे। भक्ति सागर के ज्ञानरूपी अमृतवर्षा के रत्नाकर ( सागर )में अपने को डुबोकर प्राणीमात्र अपना सर्वांगीण आध्यात्मिक ,आत्म कल्याण कर सकेगा । रजत ने बताया आचार्य श्री ज्ञानभूषण के ज्ञानमय प्रवचनों से धर्म की ज्ञान गंगा बहेगी,जिससे ज्ञानामृत निकलेगा,धर्मरुपी ज्ञानामृत हमारा जीवन चरित्र निर्माण में सहायक सिद्ध होगा।आचार्य श्री ज्ञानभूषण जी मुनिराज के प्रवास के दौरान उनके द्वारा उत्तम आचरण व उत्तम विचार प्राप्त होंगे। उनके द्वारा दिखाए गए अहिंसा,दया,सत्य,तप, त्याग के सद्मार्ग पर चलकर प्राणिमात्र अपना जीवन सार्थक कर सकगे।

ये भी बिखेरेंगे,ज्ञानरूपी हीरे मोती :- धर्म वत्सल प्रभाविका क्षुल्लिका श्री 105 ज्ञानगंगा माता जी,क्षुल्लिका श्री 105 ज्ञानवाणी माता जी, क्षुल्लिका श्री 105 ज्ञानवर्षा माता जी ,क्षुल्लक 105 श्री ऋजुभूषण जी महाराज, ये भी ज्ञान के अमूल्य भंडार से ज्ञानरूपी, आत्मज्ञान के हीरे मोतियों को बिखेरेंगी जिससे भक्तजनो को अपना आत्म कल्याण करने के लिए ज्ञान प्राप्त होगा।

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