सराय ख्वाजा विद्यालय में मनाया गया गुरु तेग बहादुर का 350वाँ शहीदी दिवस

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-प्रतियोगिता में पूजा, सृष्टि और रिया प्रथम
समाचार गेट/संजय शर्मा
फरीदाबाद
| गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सराय ख्वाजा फरीदाबाद में प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में गुरु तेग बहादुर जी के 350 वें शहीदी दिवस पर विभिन्न प्रतियोगिताएं और व्याख्यान आयोजित किए गए। प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचंदा ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी एक महान योद्धा, आध्यात्मिक व्यक्तित्व और मातृभूमि के प्रेमी नौवें सिक्ख गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी के सर्वाेच्च बलिदान की मानवता सदैव ऋणी रहेगी। उन्होंने धर्म, मातृभूमि और जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया। इसीलिए उन्हें ‘‘हिंद की चादर‘‘ के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया। श्री गुरु तेग बहादुर जी के प्रकाश पर्व को मनाते हुए, हमें उनके महान आदर्शों के प्रति समर्पित करने की जरूरत है जो हमें धार्मिक स्वतंत्रता और मानव कल्याण के महत्व के बारे में सिखाते हैं। प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचंदा, जितेंद्र गोगिया, प्राध्यापिका ममता और दीपांजलि ने विद्यार्थियों को बताया कि युवा पीढ़ी को श्री गुरु तेग बहादुर जी के जीवन, चरित्र और बलिदान से प्रेरणा पाकर मानवीय और नैतिक मूल्यों को जीवन में आगे बढ़ने की जरूरत है ताकि भारत फिर से विश्व गुरु बने। श्री गुरु तेग बहादुर जी ने अत्याचार और अन्याय के आगे झुकने से इन्कार कर दिया था। उन्होंने बेहद कठिनाईयों के बावजुद आदर्श और सिद्धांत का मार्ग चुना। प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचंदा ने बताया कि 

उनके बलिदानों ने न केवल ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम‘‘ के सिद्धांत पर आधारित एक प्राचीन भारतीय सभ्यता और संस्कृति को विलुप्त होने से बचाया, बल्कि एक दृढ़ और समावेशी राष्ट्र बनाने के रूप में भी काम किया।

सिक्ख धर्म की नींव की स्थापना मानव इतिहास में इस्लाम के खिलाफ हिंदू धर्म की ढाल बन गई। यह आज एक महान परंपरा व विरासत है, जिसे नौवें सिक्ख गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी ने अपने धर्म की रक्षा के लिए लोगों को शक्ति व मजबूती प्रदान की बल्कि सिक्ख धर्म की महानता को शिखर तक पहूॅचाया। उन्होंने अंधविश्वास, जाति आधारित भेदभाव और छुआछूत के खिलाफ लड़ाई लड़ी ताकि हर इंसान अपनी पसंद का आदर्श जीवन जी सके। एक सच्चा धर्म हमें समाज और लोगों की सर्वाेत्तम तरीके से सेवा करना सिखाता है। श्री गुरु तेग बहादुर जी कमजोर और वंचितों की बेहतरी के लिए लड़े। उनके सपुत्र गुरु गोबिंद सिंह ने न केवल अपने पिता के सिद्धांतों और मूल्यों को बरकरार रखा, बल्कि खालसा बनाकर उन्हें आगे बढ़ाया, जो धार्मिकता और न्याय के लिए लड़ाई का एक शानदार प्रतीक है। हमें श्री गुरु तेग बहादुर जी की महान शिक्षाओं को सदैव याद रखना चाहिए। हमें सुख, दुख, सम्मान और अपमान में स्थिर और सन्तुलित जीवन व्यतीत करना चाहिए। उनकी शिक्षाएँ हमें उद्देश्यपूर्ण जीवन और समानता, सद्भाव नैतिक मूल्यों का पालन करने व सामाजिक जीवन में सुरूचिता बनाए बनाए रखने के मार्ग पर चलना सिखाती हैं। आज हिंदी निबंध लेखन में पूजा को प्रथम, अंग्रेजी निबंध लेखन में सृष्टि को प्रथम तथा कहानी वाचन में रिया को प्रथम घोषित किया गया। प्राचार्य मनचंदा ने विजेता विद्यार्थियों को बहुत बहुत बधाई देते हुए सम्मानित किया।

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