स्पेशल स्टोरीउतराखंड में अंगदान करने वाले महेंद्रगढ निवासी युवक के परिजनों को एम्स ऋषिकेश ने किया सम्मानित

-कांवड यात्रा के दौरान जुलाई 2024 में सडक हादसे का शिकार हुआ था युवक सचिन
-ब्रेन डेड होने के बाद परिजनों ने लिया था अंगदान का साहसी निर्णय
-अंग प्रत्यारोपित करने के बाद जीवन की आस छोड चुके कई मरीजों की जिंदगी सक्षम बनीCity24news/सुनील दीक्षित
कनीना | महेंद्रगढ जिले में कनीना सब डिवीजन के गांव गुढा निवासी 25 वर्षीय युवक सचिन कुमार के परिजनों द्वारा लिए गए साहसी निर्णय का एम्स ऋषिकेश का स्टाफ सम्मान करता है। जिन्होंने जीवन मृत्यू से जूझ रहे मरीजों को अंग प्रत्यारोपण के लिए अनमोल उपहार के स्वरूप में प्रदान किए। रविवार 3 अगस्त को एम्स में आयोजित समारोह में वहां पंहुचे सचिन के पिता सतीश कुमार, पत्नी पूजा व भाई पंकज कुमार को साहस प्रदान करते हुए संस्थान की सीईओ एवं कार्यकारी निदेशक मीनूसिंह के हाथों समृति चिन्ह व प्रशंसा पत्र प्रदान कर सम्मानित किया है। इस दिन दिल्ली में भी समारोह आयोजित किया गया था जिसके मुख्यातिथि केंद्रीय स्वास्थ मंत्री थे। जिसमें उन्हें बुलाया गया था। उन्होंने आगामी 13 अगस्त को मनाए जाने वाले विश्व अंगदान दिवस के मौके पर आयोजित होने वाले समारोह में शामिल होने के लिए निमत्रंण दिया है। इस समारोह में उतराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को शरीक होना था लेकिन हाल ही में उत्तरकाशी में बादल फटने से हुई तबाही के कारण इस समारोह को स्थगित किया जा सकता है।
2024 में कांवड यात्रा के समय सचिन के साथ हुआ था सडक हादसा
सचिन कुमार के पिता सतीश कुमार ने बताया कि वह साथियों के साथ 2024 में कांवड यात्रा पर हरिद्वार गया था। 22 जुलाई 2024 को कांवड लाते समय गुरूकुल नारसन के समीप एक वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी थी। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया था। पुलिस ने उसे नजदीकी अस्पताल में उपचार दिलाने के लिए भेजा लेकिन एंबुलेंस चालक ने उसे देहरादून के निजी अस्पताल में दाखिल करा दिया। बाद में परिजनों ने उसे एम्स ऋषिकेश रैफर कराया। जहां गहन जांच व उपचार के बाद चिकित्सकों ने एक अगस्त को उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। सचिन के भाई पंकज सहित परिजनों ने सचिन के अंगदान करने का साहसी निर्णय लिया। चिकित्सकों ने बडी बुद्धिमता से शल्य चिकित्सा के जरिए सीमित समय में उसकी किडनी, अमाश्य व फेफडों आदि को कई जरूरतमंद मरीजों में प्रत्यारोपित कर दिया। सचिन के अंगो ने उन मरीजों का जीवन सामान्य व सक्षम बना दिया। उसके अंग प्रत्यारोपित करने के बाद जीवन की आस छोड चुके कई मरीजों को नयी जिंदगी मिल गई।
परिजन आज भी सचिन को मान रहे हैं जिंदा
सचिन आज इस दुनिया में नहीं है लेकिन उसके अंग आज भी नियमित रूप से काम कर रहे हैं। एम्स ऋषिकेश की ओर से सचिन को पहला मृतक अंग दान व्यक्ति घोषित किया गया है। उसके परिवार में माता-पिता, भाई-बहन, पत्नी व दो बच्चे आज भी उसे जीवित मान रहे हैं।
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कनीना-अंगदान करने वाले गुढा के युवक सचिन के परिजनों को सम्मानित करते एम्स ऋषिकेश का स्टाफ व दिया गया प्रशस्ति-पत्र।