दक्षिण हरियाणा में बारिश के इंतजार में लेट हुई खरीफ फसल की बिजाई

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ज्येष्ठ माह बीता सूखा,आषाढ में बन रही मॉनसून वाली बारिश की संभावन
City24news/सुनील दीक्षित
कनीना | दक्षिण हरियाणा में सावनी,खरीफ फसल के रूप में जानी जाने वाली बाजरे की फसल बिजाई इस बार ज्येष्ठ माह के सूखा बीतने के काारण न हो सकी। किसान बारिश के इंतजार में बैठे हैं। कहने को तो सामान्यतया ज्येष्ठ मास में बारिश हो जाती थी,ओर बारिश के बाद जोर-शोर से बाजरे की फसल बिजाई कर दी जाती थी। जिसकी बंपर पैदावार होती थी। ज्येष्ठ माह में लगा बाजरा मॉनसून की बारिश आने तक युवा अवस्था में पंहुच जाता था लिहाजा अत्यधिक बारिश के बावजूद भी उसमें नुकसान की संभावना न के बराबर होती थी। ज्येष्ठ मास में बिजाई किए गए बाजरे की फसल गोगा नवमी तक पककर तैयार हो जाती थी। शनिवार को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा के बाद अब आषाढ मास में बारिश की उम्मीद जताई जा रही है। आषाढ माह में बारिश के बाद बाजरे की बिजाई की जाती है तो उसके मॉनसून की बारिश की चपेट में आने की संभावना अधिक रहेगी। बिजाई किए गए बाजरे का भूमि से फुटाव होने के समय बारिश होती है तो रपट,पुनरू बिजाई की अधिक संभावना रहती है। समय-समय पर बारिश न होने पर भी फसल पर विपरीत प्रभाव पडता है। देखा जाए तो ये फसल पूर्ण रूप से बारिश पर आधारित है। बारिश समय पर होने से किसानों की लॉटरी लगती है। बारिश देरी से होने तथा न होने पर अकाल जैसे हालात पैदा हो जाते हैं। बाजरे की पैदावार न होने पर पशु चारा महंगा हो जाता है। किसानों की हालत भी दयनीय हो जाती है। लेकिन किसान पूरी तैयारी के साथ आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। 29 जून से मॉनसून की बारिश होने की संभावना है। बारिश के बाद सावनी फसल बिजाई होगी। बारिश के चलते किस हद तक फसल लग पाती है ये अभी भविष्य के गर्भ में है।
इस बारे में कृषि विभाग के एडीओ विकास कुमार ने बताया कि कनीना कनीना क्षेत्र में 34 हजार हैक्टेयर कृषि योगय भूमि में से करीब 20 हजार हैक्टेयर भूमि पर बाजरे की फसल उगाई जाती है। इस बार बारिश न होने से बाजरे की बिजाई नहीं की जा सकी है।

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