कौशल शिक्षा का देश के विकास में बड़ा योगदान- डॉ. राज नेहरू

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City24news/ज्योति खंडेलवाल
पलवल। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय और केआर मंगलम यूनिवर्सिटी के बीच शुक्रवार को समन्वय बैठक का आयोजन किया गया। दोनों विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने इस बैठक में शिक्षा और उसके माध्यम से देश के विकास के विविध आयामों पर चर्चा की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि कौशल और शिक्षा के माध्यम से विकसित भारत के लक्ष्य में बड़ा योगदान सुनिश्चित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उद्यमिता और कौशल देश के विकास के साथ-साथ रोजगार की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नितांत आवश्यक है। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने उभरती तकनीक के इस्तेमाल से नवाचार को बढ़ावा देने का भी आह्वान किया। 

केआर मंगलम यूनिवर्सिटी के मोतीलाल नेहरू स्कूल ऑफ लीगल स्टडीज के चेयरमैन प्रोफेसर मेहराज उद्दीन मीर ने नए भू कानूनों के विषय में गहन जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भूमि से सबंधित कानूनों में कुछ परिवर्तन हुए हैं। प्रोफेसर मीर ने कहा कि हमारे जीवन में न्याय का महत्व है, लेकिन उसके लिए हमें कानूनी तौर पर जागरूक होना जरूरी है। स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज के डीन प्रोफेसर जे एस यादव ने कहा कि कृषि का देश के विकास में बड़ा योगदान है, लेकिन तकनीक के इस्तेमाल से इसे हम और बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कृषि में ड्रोन टेक्नोलोजी और स्मार्ट इरिगेशन के बारे में भी तकनीकी जानकारी दी।

श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रोफेसर ज्योति राणा ने कुमारमंगलम यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधिमंडल के साथ अपने अनुभव साझा किए। एग्रीकल्चर डीन प्रोफेसर जॉय कुरियाकोजे ने अतिथियों का स्वागत किया और विश्वविद्यालय के विजन के बारे में अवगत करवाया। प्रोफेसर जॉय ने स्टार्ट अप और उच्च शिक्षा में कौशल पर जानकारी दी।

कार्यक्रम में कुमारमंगलम यूनिवर्सिटी की डीन प्रोफेसर इंद्रप्रीत कौर, प्रोफेसर जोगेंद्र यादव, प्रोफेसर नीरज खत्री और डॉ. रित्विक घोष ने अपने विचार सांझा किए। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के एसिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हरीश कुमार ने अतिथियों का आभार ज्ञापित किया। 

इस अवसर पर डॉ. शोभना जीत, प्रशांत पंवार, आकांक्षा, नाजिया, डॉ. नेहा शर्मा, डॉ. अंबिका, उज्ज्वल कुमार, अखिलेश, डॉ. तेजेंद्र सिंह, डॉ. स्मिता, डॉ. गीता, हेमंत हरी त्रिपाठी, पुष्पेंद्र और चंद्रशेखर के अलावा काफी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे। 

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