नूंह में झींगा एवं मत्स्य पालन से बढ़ रही किसानों की आय

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-कोल्ड स्टोरेज, फीड मिल व एक्वेरियम कियोस्क जैसी गतिविधियों को मिल रहा बढ़ावा : उपायुक्त अखिल पिलानी
-वर्तमान में लगभग 177 हेक्टेयर खारे पानी की भूमि में किया जा रहा है झींगा पालन 
City24News/अनिल मोहनिया

नूंह | उपायुक्त अखिल पिलानी ने कहा कि जिला नूंह में ग्रामीण परिवेश होने के बावजूद मत्स्य पालन विभाग द्वारा झींगा एवं मत्स्य पालन की आधुनिक और लाभकारी गतिविधियों को सफलतापूर्वक लागू किया जा रहा है, जिससे किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है और रोजगार के नए अवसर सृजित हो रहे हैं।

उपायुक्त ने बताया कि जिले में वर्तमान में लगभग 177 हेक्टेयर खारे पानी की भूमि में झींगा पालन किया जा रहा है। आने वाले समय में 50 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र को भी झींगा पालन के अंतर्गत लाने की योजना है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के समीप होने के कारण जिले में झींगा पालन के प्रति किसानों एवं निवेशकों की विशेष रुचि देखने को मिल रही है।

उन्होंने बताया कि खारे पानी में झींगा पालन की एक फसल की अवधि 90 से 120 दिन होती है। एक हेक्टेयर इकाई से औसतन 7 से 9 टन उत्पादन प्राप्त होता है, जिससे प्रति फसल 10 से 15 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर तक का लाभ अर्जित किया जा सकता है।

उपायुक्त अखिल पिलानी ने जानकारी दी कि मत्स्य पालन विभाग द्वारा खारे पानी में झींगा/मत्स्य पालन करने पर अधिकतम 14 लाख रुपये की परियोजना लागत पर सामान्य वर्ग के लिए 40 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति एवं महिलाओं के लिए 60 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान किया जा रहा है।

जिले के गांव खेड़ला के झींगा एवं मत्स्य पालक अब्दुल रजाक, गांव मालब की सरजीना, गांव पल्ला की रबीना सहित अन्य प्रगतिशील किसान अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से झींगा एवं मछली पालन अपनाकर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन रहे हैं। झींगा पालन इकाई की स्थापना के लिए जनवरी एवं फरवरी का समय सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है।

उपायुक्त ने बताया कि मत्स्य पालन से जुड़ी अन्य गतिविधियों में कोल्ड स्टोरेज इकाइयों की स्थापना को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। जिला नूंह के अड़बर गांव में 50 टन क्षमता की एक कोल्ड स्टोरेज इकाई स्थापित की गई है। इसके अतिरिक्त मछली/एक्वेरियम कियोस्क, मछली फीड मिल के निर्माण तथा रेफ्रिजरेटेड-इंसुलेटेड फोर-व्हीलर की खरीद जैसी गतिविधियों पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इन सभी परियोजनाओं पर भी परियोजना लागत के अनुसार सामान्य वर्ग को 40 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति एवं महिलाओं को 60 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि मत्स्य पालन से संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए इच्छुक व्यक्ति जिला मत्स्य अधिकारी एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मत्स्य किसान विकास एजेंसी, कार्यालय—मिनी सचिवालय, प्रथम तल, नूंह में संपर्क कर सकते हैं।

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