खाटू श्याम जाने वाले निशान पद यात्रियों के लिए जगह-जगह सेवा शिविरों का हुआ संचालन

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-कनीना से होकर गुजरते हैं विभिन्न जिलों के श्रधालु
-कनीना के श्रीश्याम मंदिर सहित दर्जनभर स्थानों पर की गई शिविरों की व्यवस्था

City24news/सुनील दीक्षित
कनीना | राजसथान के सीकर जिले की खाटू नगरी में आयोजित होने वाले लखी मेले को लेकर कनीना व आसपास के गावों में शिविर लग गए हैं। सत्यनारायण यादव, एडवोकेट योगेश गुप्ता, राजेश खंडेलवाल ने बताया कि इन शिवरों में निशान यात्रा करने वाले पदयात्रियों के लिए भोजन,नाश्ता, स्नान करने, रात्री विश्राम तथा चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। कनीना में श्रीश्याम मंदिर, अटेली रोड रेलवे फाटक, नहर के समीप, मोहनपुर, नांगल, कोका, सुदंरह, बेवल, मुंडिया खेडा, झिगावन, दोंगडा अहीर, अटाली, सिहमा, खासपुर, खामपुर सहित विभिन्न गावों में सेवा शिविरों का आयोजन होता है। श्याम मंदिर कमेटी के प्रधान पृथ्वीसिंह चैहान ने बताया कि श्रीश्याम जी का लक्खी फाल्गुन मेला 28 फरवरी से शुरू हो चुका है जो 11 मार्च तक चलेगा। बारह दिवसीय इस मेले में श्रधालुओं की भीड बढने लगी है। मंदिर की भव्यता एवं सुरक्षा के लिए नियोजित रूप से कार्य किया जा रहा है।
सुरक्षा के लिए 10 हजार सुरक्षा कर्मी डिप्लोयड
मेले में 400 से अधिक सीसीटीवी कैमरे के अलावा 22 पुलिस सेक्टर व 9 प्रशासनिक सैक्टर बनाए गए हैं। 20 पुलिस सहयता केंद्र बनाए गए हैं। मेले में 10 हजार सुरक्षा कर्मी डिप्लोयड किए गए हैं। रींगस से खाटू तक वाहनों के लिए मार्ग को बंद कर दिया गया है। जयपुर सीकर हाईवे की ओर से आने वाले वाहनों के लिए मण्डा होते हुए बडी पार्किंग बनाई गई है तथा शाहपुरा कट से निकास किया गया है। 300 स्थाई तथा 382 अस्थाई टाॅयलेट स्थापित किएगए हैं। बिजली की व्यवस्था के लिए 30 साउंड प्रूफ जनरेटर लगाए हैं वहीं पेयजल के लिए एक करोड पानी के पाउच, 20 कैंटर व 25 टंकिया रखी गई हैं। बता दें कि इस मले में हरियाणा के महेंद्रगढ, भिवानी, रोहतक, सिरसा, हिसार,चरखी दादरी, गुरूग्राम, फरीदाबाद, झज्जर के अलावा दूर-दरा से श्रधालु रेल, बस सहित अपने वाहन एवं ध्वज लेकर पद यात्रा करते हैं। करीब पखवाडेभर तक विभिन्न मार्ग श्याम के रंग में रगें हुए दिखाई देते हैं। महिला,पुरूष सहित युवा भी पद यात्रा कर मेले में पंहुचते हैं। मंदिर के प्रति नागरिकों की अपार आस्था है। श्रधालुओं द्वारा हाथों में निशान लेकर पद यात्रा करने के चलते कनीना-नारनौल मार्ग पीतवर्ण को हो गया है।

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