नए आपराधिक कानूनों बारे जागरूकता के लिए सराय ख्वाजा विद्यालय में सेमिनार का आयोजन
City24news/ब्यूरो
फरीदाबाद। जिला शिक्षा विभाग के आदेशानुसार गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सराय ख्वाजा फरीदाबाद में लीगल लिटरेसी क्लब, जूनियर रेडक्रॉस और सेंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड के सहयोग से प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में हाल ही में भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के बारे में विस्तृत जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता जिला सहायक न्यायवादी सिद्धार्थ शर्मा का स्वागत करते हुए प्राचार्य मनचंदा ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 ये तीनों कानून 1 जुलाई 2024 से लागू हो गए हैं। हरियाणा विधानसभा में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 23 (2) और 23 (3) के अंतर्गत जुर्माने की सीमा बढ़ाने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (हरियाणा संशोधन) विधेयक 2024 लाया गया है।आपराधिक धमकी, अपमान, कष्ट, मानहानि आदि से संबंधित अपराधों और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों से संबंधित प्रावधानों को समेकित और संशोधित करने के लिए एक अधिनियम लाया गया है। मुख्य वक्ता जिला सहायक न्यायवादी सिद्धार्थ शर्मा ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 में शिकायतकर्ता की अनुपस्थिति या मृत्यु की स्थिति में न्यायिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के प्रावधान हैं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 में दस्तावेज़ी साक्ष्य से जुड़े प्रावधान हैं। इसमें प्राथमिक और द्वितीयक साक्ष्य के बीच अंतर बताया गया है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 में इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों से जुड़े साक्ष्य के बारे में विशेष प्रावधान हैं. इसमें इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स की स्वीकार्यता और विषय-वस्तु को सिद्ध करने के प्रावधान हैं। जूनियर रेडक्रॉस और सेंट जॉन एंबुलेंस प्रभारी प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचंदा ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023, 1 जुलाई 2024 से लागू हो चुका है। प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में तकनीक को इन कानूनों का आधार बनाया गया है जिससे ये विश्व में सबसे आधुनिक आपराधिक कानून होंगे तथा भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023 (बीएनएसएस 2) दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) को प्रतिस्थापित करने का प्रयास करती है। सीआरपीसी गिरफ्तारी, अभियोजन और जमानत की प्रक्रिया प्रदान करती है। प्राचार्य मनचंदा, प्राध्यापिका सरिता, राजीव लाल और प्राध्यापिका ममता ने जिला सहायक न्यायवादी सिद्धार्थ शर्मा का अध्यापकों और विद्यार्थियों को तीनों नए कानूनों के विषय में जागरूक करने के लिए आभार व्यक्त किया तथा आग्रह किया कि सारे स्टाफ और विद्यार्थियों के लिए पुनः प्रार्थना सभा में इस जागरूकता कार्यक्रम से लाभान्वित करने का प्रयास करें जिस से सभी नए कानूनों के प्रावधानों से परिचित हों।