संत समागम ही इस युग में धर्म की नाव : सुनील सागर
City24news@रोबिन माथुर
हथीन | परमपूज्य मुनि कुंजर ज्येष्ठाचार्य आदिसागर परम्परा के चतुर्थ पट्टाधीश राष्ट्र गौरव आचार्य सुनील सागर अपने संघ 35 साधुओं के संग शहर में मंगल प्रवेश किया। श्रद्धालुओं ने आचार्य सुनील सागर का सेक्टर दो हुड्डा चौक पर पहुंचने पर बैंड बाजों से स्वागत किया। जिसमें जैन समाज का उत्साह देखते ही बन रहा था।
आचार्य सुनील सागर ने जैन मंदिर में अपने प्रवचन में कहा कि कभी किसी का बुरा मत करो। यदि तुम किसी का भला करोगे तो उसका तुम्हें कई गुना अच्छा फल प्राप्त होगा। हमेशा देव शास्त्र गुरु की आराधना करो। अपने माता-पिता की सेवा करो, तभी तुम्हारा मनुष्य जन्म सार्थक है। आचार्य ने प्रवचन करते हुए कहा कि वर्तमान में संत समागम ही इस युग में धर्म की नाव है। पलवल शहर का बड़ा सौभाग्य है कि इतना बड़ा संघ यहां पहली बार आया है।
आचार्य तपस्वी सम्राट महाराज सन्मति सागर के पदचिह्नों पर चलते इस संघ का समागम पुण्य की ही दस्तक है। उन्होंने कहा कि क्रांतिधरा का सौभाग्य है, जो धर्म की क्रांति का अग्रदूत के रूप में आचार्य का सानिध्य मिला है। इस अवसर पर रथयात्रा का भव्य आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि जीवन का कल्याण दान और पुण्य में ही छिपा है। यहां हमें मिलकर गुरूतीर्थ को संवारना और सजाना है। जब भगवान जिनेन्द्र रथयात्रा में भक्तों को दर्शन देने के लिए निकलते हैं, तब जहां तक उनकी दृष्टि जाती है वहां तक मानव का कल्याण हो जाता है, लोगों के पाप धुल जाते हैं। जैन समाज के श्री 108 सन्मति सागर का 86वां अवतरण दिवस मंदिर के प्रांगण में धूमधाम से मनाया गया।
इस अवसर पर राकेश कुमार, चंदर सैन, अंकुर, राहुल, आकाश, मा. किशनचंद, सुरेंद्र कुमार, अन्नू, शीतल, मनीष, देवेंद्र अधाना, रजनी, इंदु सहित जैन समाज के श्रद्धालु मौजूद रहे।