सारगर्भित रचनाओं से संत रविदास ने समाज में एकरूपता लाने का दिया था संदेशःबाबूलाल
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मुंडिया खेडा में आयोजित किया गया समारोह
City24news/सुनील दीक्षित
कनीना । संत रविदास की शिक्षाएं आज भी जीवन का संदेश दे रही हैं। उनके द्वारा अपनी सारगर्भित रचनाओं से समाज एकरूपता लाने की दिशा में बेहतर कदम उठाए गए। ये विचार मुंडिया खेडा निवासी बाबूलाल प्रधान व लालचंद ने गांव में आयोजित समारोह में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारत देश आदिकाल से संत, माहपुरुषों व ऋषियों की धरती रही है। संत गुरु रविदास के दोहे और चैपाई मानव जीवन का मार्गदर्शन करने के लिए श्रेष्ठ हैं। रविदास ने किरू जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात, रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात। वे बताते हैं कि जिस प्रकार केले के तने को छिला जाए तो पत्ते के नीचे पत्ता फिर पत्ते के नीचे पत्ता और अंत में कुछ नही निकलता है और पूरा पेड़ खत्म हो जाता है। ठीक उसी प्रकार इंसान भी जातियों में बांट दिया गया है। इन जातियों के विभाजन से इन्सान तो अलग-अलग बंट जाता है और अंत में इंसान भी खत्म हो जाते हैं। लेकिन यह जाति खत्म नही होती है। हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस, ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास। रविदासजी कहते हैं कि हीरे से बहुमूल्य हरि यानि भगवान हैं, उनको छोड़कर अन्य चीजो की आशा करने वालों को अवश्य ही नर्क जाना पड़ता है। संत रविदास जी के वचनों के अनुसार प्रभु की भक्ति को छोडकर इधर-उधर भटकना व्यर्थ है। करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस, कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास। इस मौके पर मांगेराम, छाजुराम, मुंशीराम, होशियार सिंह, बनवारी लाल,रणजीत सिंह, संतोष, आकाश, अंकित, नीरज, जति, राकेश, सोमदत्त, रामभगत, कंवर सिंह उपस्थित थे।