सदा पूजे जाएंगे संत-महात्मा: ओमप्रकाश यादव
City24news@अशोक कौशिक
नारनौल। भारत देश पर शुरू से ही संतों, महापुरुषों एवं ऋषियों की कृपा रही है और इनकी कृपा का ही परिणाम है कि आज तक हमारी भारतीय संस्कृति को कोई मिटा नहीं सका है। उक्त विचार सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ओमप्रकाश यादव ने ढिंढासर स्थित रविदास मंदिर में गुरु रविदास महासभा की ओर से आयोजित 647वें जन्म महोत्सव को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। महंत बालकदास के संरक्षण में धूमधाम से मनाए गए इस जयंती समारोह की अध्यक्षता महासभा के प्रधान एवं हिंदुस्तान कारपारेशन लिमिटेड के रिटायर्ड अधिकारी बलबीर सिंह बबेरवाल ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व तहसीलदार लालाराम नाहर, हैफेड रेवाड़ी के डीएम रामकंवार, एससी-बीसी बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक राजपाल गोरा, एडवोकेट हिमांशु सैनी एवं बाबूलाल नारनौलिया मौजूद थे।
राज्यमंत्री ओमप्रकाश यादव ने कहा कि उन्होंने कई देशों का भ्रमण किया है। एकबार मिश्र का भ्रमण करने का मौका मिला तो वहां जानकारी मिली कि वहां महज 100 साल तक मुस्लिमों का शासन था। इस कारण वहां की उनकी अपनी प्राचीन संस्कृति नष्ट हो गई और वहां के मूल निवासी अब बमुश्किल पांच प्रतिशत ही बचे हैं। दूसरी तरफ हमारा देश है, जिस पर सैकड़ों सालों तक अलग-अलग शासकों ने शासन किया, लेकिन हमारी संस्कृति और परंपराएं आज तक मिट नहीं पाई। अयोध्या में राम मंदिर को 500 साल पहले मिटाकर मस्जिद बना दी थी, लेकिन संतों ने उस मंदिर को अपनी संस्कृति में जिंदा रखा और आज वह सपना पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में साकार हो गया है। कभी भी हमारे मूल देशवासियों ने दुश्मनों को हावी नहीं होने दिया और संत उन्हें सदैव अपनी संस्कृति की याद दिलाते रहे। संतों ने चाहे देश की आजादी हो, गौरक्षा आंदोलन हो या हिंदी बचाओ आंदोलन हो, सदा ही बढ़-चढ़कर भाग लिया और देश को बचाया है। गुरु रविदास जी महाराज संतों के जनक थे। इसीलिए उन्हें संत शिरोमणि कहा गया है। हमारी सरकार ने पूज्य संतों, महात्माओं, शहीदों एवं महापुरुषों का सम्मान किया है और उनकी जयंती समय-समय पर मनाती आ रही है।
इस समारोह में सर्व जाति अनुसूचित जाति समाज के प्रधान चंदनसिंह जालवान, महासचिव बिड़दीचंद गोठवाल, रामकुमार ढहीनवाल, हरिसिंह बड़कोदिया, रामचंद्र ग्रोवर, अनिल फांडन, हरफूल मैनेजर, डीजीएम महेंद्र खन्ना, रोहतास बबेरवाल, रामचंद्र गोठवाल, रोशनी सरपंच, राजकुमार बड़कोदिया, हजारी लाल खटावला,अशोक दास,जयसिंह नारनौल, सुरेंद्र नारनौलिया, सुनील पागल, जेई दलीप सिंह, जेई वेदप्रकाश, अकाउंटेंट जयसिंह धौलेड़ा एवं धर्मबीर कटारिया समेत हजारों नर-नारियां एवं बच्चे मौजूद थे। समारोह के समापन पर भंडारे का आयोजन भी किया गया। मंच संचालन डीपीआरओ से रिटायर्ड रतनलाल सुधाकर ने किया।