भगवान बुद्ध और उनके दो शिष्यों के पवित्र अवशेष 19 मार्च तक आयोजित
City24news@भावना कौशिश
नई दिल्ली | भगवान बुद्ध के चार पवित्र पिपराहवा अवशेष सहित उनके दो शिष्यों – अरहाता सारिपुत्र और अरहाता मौदगल्यायन के अवशेष के साथ, 22 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल आज थाईलैंड के बैंकॉक पहुंचे हैं, जहां वे 26 दिवसीय प्रदर्शनी के लिए उपस्थित होंगे। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व बिहार के राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर और केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार कर रहे हैं। इस प्रतिनिधिमंडल में कुशीनगर और औरंगाबाद के सम्मानित भिक्षु, लद्दाख स्थित संस्कृति मंत्रालय व मध्य प्रदेश सरकार के अधिकारी, राष्ट्रीय संग्रहालय के क्यूरेटर, कलाकार और विद्वान शामिल हैं। यह कार्यक्रम विदेश मंत्रालय, थाईलैंड में भारतीय दूतावास, अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ, राष्ट्रीय संग्रहालय, मध्य प्रदेश सरकार के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
बैंकॉक सैन्य हवाई अड्डे पर पवित्र अवशेषों का थाईलैंड की सरकार में संस्कृति मंत्री श्री सर्मसाक पोंगपनित, थाई अधिकारियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों सहित बड़ी संख्या में भिक्षुओं द्वारा श्रद्धापूर्ण हार्दिक स्वागत किया गया। इन पवित्र अवशेषों का स्वागत सैन्य हवाई अड्डे पर शुभ मंत्रोच्चार समारोह और उत्साहपूर्ण आतिथ्य प्रदर्शन के साथ किया गया। केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार और प्रतिनिधिमंडलों के साथ श्री सर्मसाक पोंगपनित व थाई अधिकारियों द्वारा पवित्र अवशेषों को सैन्य हवाई अड्डे से बैंकॉक स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में सुरक्षित रखने के लिए ले जाया गया। इसके बाद इन्हें 23 फरवरी को बैंकॉक के सनम लुआंग पवेलियन में तैयार एक भव्य मंडप में स्थापित किया जाएगा। वहीं, श्रद्धालु माखा बुचा दिवस से अपनी श्रद्धा अर्पित कर सकते हैं।
केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार और थाईलैंड की सरकार के संस्कृति मंत्री श्री सर्मसाक पोंगपनित ने बैंकॉक के राष्ट्रीय संग्रहालय में पवित्र अवशेषों को रखे जाने पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत और थाईलैंड के बीच हमारे समान राष्ट्रीय हितों व प्राथमिकताओं के आधार पर हमेशा मजबूत, बहुआयामी और द्विपक्षीय संबंध रहे हैं। महान धर्म बौद्ध धर्म में सन्निहित भगवान बुद्ध का शाश्वत संदेश भारत और थाईलैंड के बीच सबसे महत्वपूर्ण व अटूट कड़ी है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि पवित्र अवशेषों के आने से भारत और थाईलैंड के बीच मित्रता व स्नेह का रिश्ता और ज्यादा मजबूत होगा, इससे हम दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में एक नए और अधिक गौरवशाली अध्याय की शुरुआत करेंगे। वहीं, थाईलैंड के संस्कृति मंत्री ने भारत सरकार की ओर से पवित्र अवशेषों को प्रदर्शनी के लिए भेजने के थाईलैंड की सरकार के अनुरोध को स्वीकार करने पर प्रसन्नता और आभार व्यक्त किया।
22 फरवरी, 2024 को थाईलैंड के धार्मिक कार्य विभाग और राष्ट्रीय संग्रहालय ने थाईलैंड राष्ट्रीय संग्रहालय में पवित्र अवशेषों के लिए एक प्रदर्शनी समझौते पर भी हस्ताक्षर किए। इस पर हस्ताक्षर थाईलैंड के धर्म कार्य विभाग के महानिदेशक श्री चियापोन सुक-आईम और संस्कृति मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय संग्रहालय में अतिरिक्त महानिदेशक श्री आशीष गोयल ने किए। इस दौरान केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार, थाईलैंड के संस्कृति मंत्री श्री सर्मसाक पोंगपनित, डायरेक्टर ऑफ मोरल एंड एथिकल प्रोमोशन ब्यूरो एक्टिंग फोर डिप्टी डायरेक्टर-जनरल ऑफ रिलीजन अफेयर्स- थाईलैंड श्रीमती थिटिमा सुफापुकैक और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्रीमती अमिता प्रसाद साराभाई की गरिमामयी उपस्थिति थी। इस प्रदर्शनी समझौते पर हस्ताक्षर 75 वर्षों से चले आ रहे भारत और थाईलैंड के बीच राजनयिक संबंधों में एक और प्रगति है।
इससे पहले पारंपरिक समारोहों के बाद पवित्र अवशेषों को लेकर प्रतिनिधिमंडल दिल्ली (भारत) से रवाना हुआ था। ये अवशेष संस्कृति मंत्रालय के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे गए 20 विशेष अवशेषों में से हैं। इनमें से चार इस महत्वपूर्ण अवसर के लिए थाईलैंड ले जाया गया है। इसके अलावा भगवान बुद्ध के दो सम्मानित शिष्यों- अराहत सारिपुत्र और अराहत मौदगल्यायन के पवित्र अवशेषों, जिन्हें वर्तमान में सांची रखा गया है, को भी थाईलैंड ले जाया गया है और पहली बार एक साथ प्रदर्शित किए जाएंगे। इन अवशेषों को राजकीय अतिथि का दर्जा देते हुए भारतीय वायुसेना के विमान में ले जाया गया है।
बिहार के राज्यपाल, केंद्रीय मंत्री और थाईलैंड के राजदूत की उपस्थिति में पालम हवाईअड्डे पर आयोजित समारोह
प्रदर्शनी कार्यक्रम के तहत पूरे थाईलैंड में कई स्थानों का दौरा शामिल है, जिससे भक्तों और उत्साही लोगों को समान रूप से इन प्रतिष्ठित अवशेषों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर प्राप्त हो सके:
- सनम लुआंग पवेलियन, बैंकॉक: 22 फरवरी 2024 – 3 मार्च 2024 (11 दिन)
- हो कुम लुआंग, रॉयल राजप्रुक, चियांग माई: 4 मार्च 2024 – 8 मार्च 2024 (5 दिन)
- वाट महा वानाराम, उबोन रतचथानी: 9 मार्च 2024 – 13 मार्च 2024 (5 दिन)
- वाट महाथाट, औलुएक, क्राबी: 14 मार्च 2024 – 18 मार्च 2024 (5 दिन)
इन पवित्र अवशेषों को 19 मार्च को थाईलैंड से उनके संबंधित स्थानों तक वापस ले जाया जाएगा। इसके साथ थाईलैंड में एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध प्रदर्शनी का समापन होगा।