स्ट्रीट फूड से कैंसर व हृदय रोग का खतरा
City24news/भावना कौशिश
स्ट्रीट फूड। स्ट्रीट फूड का जिक्र होते ही हमारे मुंह में पानी आ जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन स्ट्रीट फूड की चीजों को बनाने में जो तेल इस्तेमाल होता है, वह हमारे हेल्थ के लिए कितना खतरनाक होता है?
आइए जानते है,स्ट्रीट फूड का जिक्र होते ही हमारे मन में चाट, पकौड़े, रोल और बर्गर की तस्वीरें उभरने लगती हैं. ये स्वादिष्ट फूड सबको पसंद हैं परंतु हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि इन सबको बनाने के लिए जिन ऑयल का इस्तेमाल करते हैं वह हमारे हेल्थ के लिए कितना नुकसानदायक हो सकता है. ज्यादातर स्ट्रीट फूड की दुकानों पर लागत बचाने के लिए एक ही तेल को बार-बार उपयोग में लाया जाता है. इसमें बार-बार चाट, पकौड़े, समोसे आदि तले जाते रहते हैं. एक ही तेल का इतनी बार गर्म करना, ठंडा करना और री-यूज करना उसकी क्वालिटी को बहुत नुकसान पहुंचाता है. आइए जानते हैं ये हमारे हेल्थ के लिए कितना नुकसानदायक है.
स्ट्रीट फूड बनाने में जो ऑयल प्रयोग होता है वह अक्सर रिफाइंड और हाईली प्रोसेस्ड होता है. ये तेल बार-बार उपयोग किए जाने से अपनी गुणवत्ता खो बैठते हैं. साथ ही कई बार इन तेलों को विभिन्न रसायनों से मिलाकर प्रोसेस भी किया जाता है ताकि ये ज्यादा दिनों तक चल सके.
हृदय रोग का खतरा
स्ट्रीट फूड बनाने के लिए जिन तेलों का उपयोग किया जाता है, उनमें ट्रांस फैट नामक हानिकारक चर्बी की मात्रा अत्यधिक होती है. ट्रांस फैट वह चर्बी होती है जो हमारे शरीर को अंदर से खराब कर देती है. यह खून में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा देती है जिससे हृदय रोग का खतरा काफी बढ़ जाता है. दिल का दौरा पड़ने या फिर दिल की धमनियों में ब्लॉकेज होने का खतरा भी काफी बढ़ जाता है.
कैंसर का खतरा
रिसर्च के अनुसार, तेल को बार-बार गर्म करने से उसमें एक हानिकारक रसायन बनता है जिसे एडल हाइड कहते हैं. यह एक प्रकार का विषैला पदार्थ होता है जो हमारी कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है. ऐसे तेल का नियमित सेवन करने से कई प्रकार के कैंसर, खासकर फेफड़ों और आंतों का कैंसर होने का खतरा काफी बढ़ जाता है.इसलिए बार-बार गर्म किए गए तेल का इस्तेमाल ना करें. हमेशा ताजा और शुद्ध तेल ही इस्तेमाल में लाएं अपने भोजन के लिए.
स्ट्रेस को बढ़ाता है
कई शोधों से पता चला है कि जब एक ही तेल को बार-बार गर्म किया जाता है, तो उसमें फ्री रेडिकल्स नामक हानिकारक पदार्थ बनते हैं. ये हमारी ब्लड सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ा देते हैं.