जैन धर्म में भी है रक्षाबंधन पर्व का विशेष महत्व

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भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व उमंग और उत्साह के साथ मनाया जाता है
मुनिराज विष्णु कुमार ने 700 मुनियों पर हो रहे उपसर्ग को किया था दूर
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | भाई बहन के प्रेम, उमंग, उत्साह, सौहार्द, का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व भारतवर्ष में अनेक धर्म व समाज मे रक्षाबंधन का पर्व अपनी अपनी मान्यताओं के अनुसार मनाया जाता है। पूर्व युवाध्यक्ष रजत जैन ने उक्त जानकारी देते हुए बताया की जैन धर्म में भी रक्षाबंधन के पर्व का अपना विशेष महत्व है। मुनिराज विष्णु कुमार जी ने 700 मुनियों पर हो रहे उपसर्ग को अपने तपोबल के द्वारा दूर किया था, तभी से जैन धर्म में रक्षाबंधन मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई। जैन धर्म में पूर्ण उत्साह,उमंग के साथ रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। रजत ने कहा की रक्षाबंधन का पर्व एक दिन ही नहीं अपितु पूरे वर्ष रक्षाबंधन का पर्व मनाना चाहिए। अपनी बहन के अलावा गांव व आसपास की सभी लड़कियों ,महिलाओं, मातृशक्ति के आत्मसम्मान,मानसम्मान ,मानमर्यादा की रक्षा करने का वचन लेकर इसे पूर्ण निष्ठा से निभाना चाहिए। राष्ट्र के गौरव, स्वाभिमान , सम्मान व राष्ट्र की रक्षा का वचन भी रक्षाबंधन पर अवश्य लेना चाहिए ।जैन धर्म में रक्षाबंधन का अर्थ है व्यक्ति को प्रत्येक जीवमात्र की रक्षा करनी चाहिए, व आपसी मैत्रीभाव रखना चाहिए ।अहिंसा के पथ पर चलकर प्रेम,सत्य ,अहिंसा,करुणा,दया का प्रचार प्रसार करना चाहिए, क्योंकि जब हम हिंसा व बुरे कार्यो ,बुरे विचारों से दूर रहेंगे तभी तो स्वाभाविक रूप से रक्षाबंधन का सही उद्देश्य वास्तविक रुप से पूर्ण हो सकेगा।

क्या कहना है समाज के बुजुर्ग का:- 78 बसंत देख चुके समाज के बुजुर्ग महावीर प्रसाद जैन ने बताया की आज का समय बेशक हाईटेक हो गया है,अधिकांश कार्य मोबाइल पर व्हाट्सएप के माध्यम से किये जाते हो लेकिन तीज त्योहारों पर प्राचीन काल से ही ओर आज के समय मे भी रक्षाबंधन पर बहन भाई के द्वारा लिखी जाने वाली चिट्ठी पत्री का अपना विशेष महत्व है। रक्षाबंधन पर किसी कारण से बहन भाई को राखी बांधने नहीं आ पाती है तो वह आज भी चिट्ठी लिखकर राखियों के साथ अपना प्रेम भरा संदेश भेजती है।

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