प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिंगार में बदहाली, मरीज बेहाल — डॉक्टर, दवाएं और सुविधाओं का टोटा

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City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | नूंह जिला स्वास्थ्य सेवाओं के सरकारी दावों की हकीकत पुनहाना उपमंडल के गांव सिंगार स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) की बदहाली से उजागर होती है। वर्षों पहले ग्रामीणों की सुविधा के लिए बनाया गया यह स्वास्थ्य केंद्र आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। डॉक्टरों की कमी, दवाओं का अभाव और जर्जर भवन — ये सब मिलकर इस केंद्र को “सिर्फ नाम का अस्पताल” बना चुके हैं।

डॉक्टरों की भारी कमी, दवाएं नदारद

ग्रामीणों के अनुसार, केंद्र पर स्थायी डॉक्टर की नियुक्ति नहीं है। मरीजों को केवल प्राथमिक इलाज देकर तुरंत रेफर कर दिया जाता है। बुखार, प्रसव या मामूली चोट जैसी स्थितियों में भी लोगों को पुनहाना या निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है। ग्रामीण बताते हैं कि “सरकारी अस्पताल तो है, लेकिन इलाज के नाम पर कुछ नहीं मिलता। दवा भी बाहर से खरीदनी पड़ती है।”

बिल्डिंग जर्जर, सफाई व्यवस्था लचर

अस्पताल की बिल्डिंग टूट-फूट का शिकार हो चुकी है। दीवारों में दरारें हैं और छत टपकती है। सफाई व्यवस्था पूरी तरह लचर है। बाउंड्री वॉल टूटी पड़ी है, जिससे मवेशी और आवारा जानवर अंदर घूमते रहते हैं। पीने के पानी और शौचालय की सुविधा भी नहीं है।

ग्रामीणों ने बताया कि अस्पताल की एंबुलेंस हमेशा पंचर या खराब हालत में रहती है, जिससे मरीजों को आपात स्थिति में भी निजी वाहनों पर निर्भर रहना पड़ता है।

प्रशासन से शिकायतें बेअसर

गांववासियों ने कई बार स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन को शिकायतें दी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ग्रामीणों की मांग है कि यहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति, जरूरी जांच उपकरणों की उपलब्धता और 24 घंटे एंबुलेंस सेवा सुनिश्चित की जाए।

जनप्रतिनिधियों ने भी उठाई आवाज

स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि “पीएचसी सिंगार अब सिर्फ नाम का केंद्र रह गया है। अगर यहां स्थायी डॉक्टर और पर्याप्त दवाएं उपलब्ध हों, तो ग्रामीणों को अपने ही क्षेत्र में बेहतर इलाज मिल सकता है।”

स्टाफ नर्स बोलीं — सीमित संसाधनों में पूरी कोशिश

वहीं स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत स्टाफ नर्स ओंबती ने कहा,

“हम डिलीवरी और अन्य आवश्यक सेवाओं के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। उपलब्ध संसाधनों के अनुसार मरीजों को सुविधा देने की पूरी कोशिश करते हैं।”

ग्रामीणों की उम्मीद — ‘सरकार ध्यान दे’

ग्रामीणों का कहना है कि अगर सरकार और स्वास्थ्य विभाग सिंगार पीएचसी की हालत सुधारने के लिए कदम उठाएं, तो हजारों लोगों को अपने ही गांव में राहत मिल सकती है। फिलहाल, लोग मजबूरी में निजी अस्पतालों और झोला छाप डॉक्टरों के भरोसे हैं।

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