बिना योजना के किये गए विकास की वजह से लोग झेल रहे हैं परेशानी
तरक्की तो खूब हुई पर 77 साल बाद भी समस्याओं से जूझ रहे लोग
City24news/कविता गौड़
फरीदाबाद | आगामी मंगलवार को देश की आजादी को 76 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। सोशल मीडिया और अन्य साधनों के जरिये हर घर पर तिरंगा लगाने का आह्वान किया गया है। इन 77 वर्षो के दौरान औद्योगिक नगरी ने खूब तरक्की भी की है। आज शहर के लोग मेट्रो ट्रेन पर सफर कर रहे हैं। बहुमंजिला इमारतों का ग्रेटर फरीदाबाद बस चुका है। लेकिन इस सबके बावजूद आज भी औद्योगिक नगरी फरीदाबाद के लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है। इतने वर्ष गुजर जाने के बाद भी शहर में समस्याओं को जड़ से खत्म करने के लिए ठोस व्यवस्था नहीं बन पाई है। प्रदेश को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले शहर की गड्ढेदार सड़कों की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। वहीं शहर की इन सड़कों पर आज भी जगह जगह कूड़े के ढेर लगे हैं। स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर बीके अस्पताल है। जहां सुविधाओं में तो इजाफा हो रहा है। लेकिन डॉक्टरों और कर्मचारियों के अभाव में लोगों को इन सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा। ऐसे में बीमार लोग निजी अस्पतालों से लुट रहे हैं।
तरक्की तो जिले में खूब हुई
आजादी के बाद विभाजन के कारण पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के लिए बड़े ही सुनियोजित ढंग से शहर बसाया गया था। बाद में यहां लगातार सुविधाओं में भी इजाफा होता रहा। काफी संख्या में उद्योग लगने की वजह से शहर को औद्योगिक नगरी के रूप में पहचान मिली। इस दौरान अनेक पॉश सेक्टर विकसित किये गए। रोज गार्डन और टाउन पार्क जैसे अनेक उद्यान बनाए गए हंै। वर्ष 2014 में मेट्रो ट्रेन का सफर भी शुरू हो गया। इस बीच नहरपार इलाके में ग्रेटर फरीदाबाद के नाम से एक नया शहर विकसित हो गया। जहां जगह जगह गगनचुम्बी इमारतों का निर्माण लगातार जारी है। शहर में कूड़े के निस्तारण की समस्या को दूर करने को करीब सात साल पहले घरों से कूड़ा उठाने का ठेका ईकोग्रीन कंपनी को दिया गया था। इस दौरान घर घर पेयजल पहुंचाने के लिए यमुना किनारे जगह जगह रैनीवैल के कुओं का निर्माण किया गया। आज शहर में खरीदारी के लिए अनेक बाजार, मॉल और ग्रेफ की वर्ल्ड स्ट्रीट मौजूद है।
समस्याएं आज भी बरकरार
एक तरफ देश आजादी की 77वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारी कर रहा है। वहीं लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। सड़कों की बदहाली दूर करने के लिए अरबों रुपये खर्च हो चुके हैं। लेकिन ज्यादातर सड़कों पर बने गड्ढों के कारण दुर्घटनाएं हो रही है। यहां तक कि हाल ही में बसे ग्रेटर फरीदाबाद की सड़के भी गड्ढों से अछूती नहीं है। गंदे पानी की निकासी के लिए नालों पर अरबों रुपये खर्च हो चुके हैं। लेकिन जरा सी बरसात आते ही शहर की सड़के जलमग्न हो जाती है। ईकोग्रीन कंपनी को करोड़ों रुपये का भुगतान करने के बावजूद शहर में कूड़े के ढेर लगे होने के कारण अब नगर निगम ने ठेका किसी और को दे दिया, लेकिन उक्त कम्पनी घरों से कचरा उठा ही नहीं रही है। वहीं बंधवाड़ी में खड़े किये गए कूड़े के पहाड़ से पर्यावरण का नुकसान पहुंच रहा है। सीवर की सफाई का लगातार करोड़ों रुपये का भुगतान हो रहा है। लेकिन शहर में ऐसा कोई इलाका नहीं है, जहां गंदा पानी ओवरफ्लो होकर सड़कों पर न बह रहा हो।
नहीं बन सका दूसरा अस्पताल
आजादी के बाद तत्कालीन सरकार ने 200 बिस्तर का बीके अस्पताल शुरू किया था। इस अस्पताल को बने करीब 77 साल गुजरने के बाद भी अब तक रही विभिन्न पार्टियों की सरकारों ने कभी दूसरा अस्पताल बनाने का प्रयास नहीं किया। सेक्टर 55 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 50 बिस्तर के अस्पताल का निर्माण करवाया था। लेकिन इसे शुरू करने के बजाय इसमें डिलीवरी हट सेंटर खोल दिया गया, लेकिन उसमें भी सुविधाओं का भारी आभाव है। इस दौरान यहां सभी सुविधाओं से पूर्ण ईएसआई मेडिकल कॉलेज का निर्माण हुआ है। वैसे तो यह सिर्फ ईएसआई कार्ड धारकों के लिए है। लेकिन यह मेडिकल कॉलेज नहीं होता तो कोरोनाकाल में शहर की काफी दुर्गति होती। आम लोगों के इलाज के लिए शहर में एक मात्र बीके अस्पताल ही मौजूद है। जहां डॉक्टरों और कर्मचारियों का भारी अभाव हमेशा बना रहता है। यहां अक्सर दवाईयां तक उपलब्ध नहीं होती। ऐसे में शहर के लोगों को मजबूरी में निजी अस्पताल के हाथों लूटने को मजबूर होना पड़ता है।
जनता की भागदारी जरूरी है
समाजसेवी विष्णु गोयल का कहना है कि समस्याओं को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार में आम जनता की भागीदारी बेहद जरूरी है। होने वाले विकास कार्यो की देखरेख की जिम्मेदारी वहीं के वाशिंदों को दी जानी चाहिए। क्योंकि वे अपने लिए होने वालों कामों पर विशेष ध्यान देंगे। जिससे पारदर्शिता बनी रहेगी। सरकार जब तक जनता को नहीं जोड़ती, तब तक आजादी सार्थक नहीं होगी।