परवेज खान ने 1500 मीटर दौड़ में फिर लहराया परचम

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City24news@संजय राघव

सोहना | विधानसभा के उपमंडल के गांव चाहल्का के रहने वाले राष्ट्रीय खेलों के स्वर्ण पदक विजेता परवेज खान ने अमेरिका के फ्लोरिडा में  एसईसी चैंपियनशिप में एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।  जहां परवेज ने एसईसी ट्रैक एंड फील्ड आउटडोर चैंपियनशिप 2024 में 1500 मीटर और 800 मीटर दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कर फाइनल इवेंट में जगह बनाई, तो वहीं शनिवार को आयोजित प्रतियोगिता में 1500 मीटर स्पर्धा में गोल्ड और 800 मीटर में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा है। यहां तक पहुंचने वाले वह पहले भारतीय एथलीट हैं। परवेज की तूफ़ान जैसी रफ़्तार देखकर लोगों के साथ साथ–साथ उद्योगपति भी प्रभावित हुए हैं।  दौड़ स्पर्धा में प्रथम आकर परवेज खान ने ओलंपिक में जगह बनाने की राह आसान कर ली है।  परिजनों ने बताया कि एक छोटे से गांव से मेहनत कर उसने देश का नाम रोशन किया है और उन्हें उम्मीद है कि वह देश के लिए ओलंपिक में खेले

गौरतलब कि अमेरिका के फ्लोरिडा में आयोजित एसईसी ट्रैक एंड फील्ड आउटडोर चैंपियनशिप 2024 में मेवात जिले के चाहल्का निवासी 20 वर्षीय परवेज खान ने क्वालिफाइंग रेस में 800 मीटर को 1.48.33 मिनट में और 1500 मीटर 3.44.98 मिनट में पूरी कर फाइनल में अपनी जगह बनाई थी। जिसके बाद रविवार की रात फाइनल का मुकाबला हुआ। 1500 मीटर दौड़ के इस मुकाबले में विभिन्न देशों के 9 प्रतिभागियों ने भाग लिया। जिसमें सभी को पछाड़ते हुए परवेज ने प्रथम स्थान प्राप्त कर गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया, वहीं 800 मीटर स्पर्धा में तीसरे स्थान पर आकर कांस्य पदक विजेता बने। इससे पहले परवेज अंडर 16 में 800 मीटर में नेशनल रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके है। जिसके बाद लगातार 2021–22 में परवेज नेशनल चैंपियन भी रह चुके हैं। इतना ही नहीं एनसीएए ट्रैक पर भी दौड़ने वाला परवेज पहला भारतीय है, इससे पहले वहां कोई भी भारतीय क्वालीफाई नहीं कर पाया। परवेज के पिता नफीस अहमद ने बताया कि 30 जून से पहले 1500 मीटर एथलीट खिलाड़ियों की रैंकिंग निकाली जाएगी, जिसके बाद टॉप 2 खिलाडियों को ओलंपिक में जाने का मौका मिलेगा।

परवेज खान एक किसान के बेटे हैं और मेवात जिले के तावडू खंड के गांव चाहल्का के रहने वाले हैं। जो अभी भारतीय नेवी में अपनी सेवाएं दे रहे है। इसके साथ ही अमेरिका की यूनिवर्सिटी आफ फ्लोरिडा ने परवेज की प्रतिभा को देखते हुए उसे 4 साल के लिए अपने पास रखा है। जिसमें यूनिवर्सिटी परवेज का सारा खर्चा वहन कर रही है। 1 साल का 58 लाख रुपए खर्च आता है, लेकिन पूरा खर्चा यूनिवर्सिटी वहन कर रही है। परवेज के पिता नफीस अहमद ने बताया कि परवेज को यहां तक पहुंचाने में सबसे ज्यादा उनके परिवार का सहयोग रहा है।

सेना में भर्ती के लिए तैयारी करने की इच्छा से प्रेरित होकर परवेज ने कम उम्र में ही दौड़ना शुरू कर दिया था। अपनी प्रतिभा को पहचानते उन्होंने सफलताओं के अवसरों की तलाश की और 13 साल की उम्र में नई दिल्ली चले आए। उन्होंने कहा कि वह मेवात क्षेत्र में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन उचित संसाधन नहीं मिलने से उनकी प्रतिभाएं बाहर नहीं आ रही हैं। बच्चों का टैलेंट यही दबकर रह जाता है।

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