पाकिस्तान की आयशा को लगा भारतीय दिल

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City24News@ भावना कौशिश
नई दिल्ली। 19 साल की पाकिस्तानी आयशा को पांच साल से दिल की बीमारी थी। उन्हें हार्ट ट्रांसप्लांट की आवश्यकता थी और 31 जनवरी को उन्हें भारत में एक दानकर्ता के दिल से यह संभावना मिली। उन्हें भारत के चेन्नई से लाया गया और दिल्ली के अस्पताल में सफलतापूर्वक सर्जरी की गई, जो कि मुफ्त में हुई।

2019 में दिल की बीमारी का चला पता

आयशा पहली बार 2019 में भारत आई थी जब उसे कार्डियक अरेस्ट हुआ और हार्ट फेलियर हो गया। उस समय अड्यार के मलार अस्पताल में वरिष्ठ कार्डियक सर्जन डॉ. के.आर. बालकृष्णन ने हार्ट ट्रांसप्लांट का सुझाव दिया था। उसे राज्य अंग रजिस्ट्री में प्रतीक्षा सूची में रखा गया था।

वापस पाकिस्तान गईं

प्रत्यारोपण के लिए पुल के रूप में, डॉक्टरों ने उसे एक बाएं वेंट्रिकुलर सहायक उपकरण दिया। यह एक सर्जरी के जरिए प्रत्यारोपित यांत्रिक पंप होता है जो बाएं वेंट्रिकल को ब्लड पंप करने में मदद करता है। आयशा भारत से वापस पाकिस्तान चली गईं।

आयशा की जान बचाने का एक ही विकल्प था

डॉ. केजी सुरेश ने बताया कि हमने जोखिम उठाने का फैसला आंशिक रूप से इसलिए किया क्योंकि दाता के हृदय की स्थिति अच्छी थी और आंशिक रूप से इसलिए क्योंकि हम जानते थे कि यह आयशा का एकमात्र मौका था। सर्जरी अच्छी तरह से हुई और कुछ दिनों बाद आयशा को लाइफ सपोर्ट से हटा दिया गया।

17 अप्रैल को मिली अस्पताल से छुट्टी

एनजीओ ऐश्वर्या ट्रस्ट, पूर्व रोगियों और डॉक्टरों से पूलिंग के जरिए फंड जुटाया गया। 17 अप्रैल को अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले राशन के परिवार ने अस्पताल का बिल चुका दिया। डॉक्टरों ने कहा कि हार्ट ट्रांसप्लांट में लगभग 35 लाख रुपये तक का खर्च आया।(स्रोत: समाचार एजेंसी)

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